धान छोड़ फसल विविधिकरण अपना पानी बचत के साथ कमा रहे अधिक मुनाफा
-सरकार की जल बचाओ मुहिम (मेरा पानी-मेरी विरासत) के साथ जुड़कर जागरूकता का परिचय दे रहे किसान
-झोरड़आली के किसान दीपक नड्डा ड्रिप सिंचाई से जैविक सब्जियां उगाकर बचा रहे 75 प्रतिशत पानी
-बेगू के राजा राम ने धान की जगह मूंग व कपास फसल की बिजाई करके उठाया मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का लाभ
-योजना के लाभ के लिए 25 जून तक किया जाएगा पंजीकरण, किसान अपना पंजीकरण करवाकर उठाएं योजना का लाभ
प्रदेश सरकार ने पानी बचत के साथ-साथ किसानों को फसल विविधिकरण की ओर अग्रसर करने के उद्ेश्य से मेरा पानी-मेरी विरासत नामक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की हुई है। जागरूक किसान न केवल इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि सरकार की जल बचाओ मुहिम के साथ जुड़कर दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं। इन्हीं जागरूक किसानों में झोरड़वाली के दीपक नड्डा, बेगू गांव के राजा राम आदि भी हैं, जिन्होंने धान की जगह वैकल्पिक खेती करके न केवल अधिक पैदावार ली बल्कि पानी की भी बचत की। इन सभी किसानों ने वैकल्पिक खेती को अपनाकर सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का लाभी उठाते हुए प्रति एकड़ 7 हजार रुपये की राशि भी प्राप्त की है।
झोरड़वाली के किसान दीपक नड्डा ने बताया कि वह धान की जगह फसल विविधिकरण को अपना रहे हैं। वह पिछले साल से चार एकड़ में फलदार पौधों व जैविक सब्जियों की खेती कर रहे हैं। उसने बताया कि वह चार एकड़ में ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करके करीब 75 प्रतिशत पानी की बचत कर रहे हैं। दीपक ने बताया कि वह सब्जियों व फलों से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। उसने पारस के नाम से नर्सरी भी बनाई हुई है। फलों व सब्जियों के जैविक होने से लोगों में इनकी मांग अधिक है। वे स्वयं सीधे ग्राहकों को फल व सब्जियां पहुंचा रहे हैं, जिससे उसे अधिक बचत हो जाती है।
उन्होंने कहा कि दूसरे किसान भी फसल विविधिकरण को अपनाकर फल व सब्जियों की जैविक खेती करें तो इससे न केवल पानी की बचत होगी, बल्कि आमदनी भी बढेगी। इसी प्रकार गांव बेगू के किसान राजा राम ने भी मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का लाभ उठाते हुए फसल विविधिकरण को अपनाया है। राजा राम धान की जगह पांच एकड़ में मूंग व चार एकड़ में कपास की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही चार एकड़ में जैविक सब्जियां भी उगा रहे हैं। राजा राम ने बातचीत में बताया कि किसान फसल विविधिकरण करके न केवल अपनी आय को बढा सकते हैं, बल्कि गिरते भू जल स्तर को बचाने की सरकार की मुहिम में सहयोगी भी बनें।
ब्लॉक नाथूसरी चौपटा के गांव मोचीवाली के प्रगतिशील किसान सीता राम ने भी प्रदेश सरकार की भूजल संरक्षण की मुहिम में हाथ बढाते हुए मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना के तहत फसल विविधीकरण को अपनाया है। किसान सीताराम ने बताया कि पिछले वर्ष खरीफ 2020 में धान की खेती को छोड़कर कपास की फसल 15 एकड़ में कास्त की थी और इस वर्ष भी मैंने धान की बजाए कपास की फसल 15 एकड़ में बिजाई की है। उसने बताया कि सरकार की ओर से उसे मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी मिली है। इसी प्रकार गांव डबवाली के किसान सतकरतार सिंह भी अपने खेत में फसल विविधीकरण को अपना रहे हैं। सतकरतार सिंह ने 10 एकड़ में धान की बजाय कपास फसल की कास्त की है। उसने बताया कि जल बचाओ मुहिम में हर किसान को जुडऩा चाहिए। इसके लिए फसल विविधिकरण को अपनाकर मुहिम के उद्ेश्य को सार्थक किया जा सकता है। इन किसानों ने सभी किसान भाईयों से अपील की है कि वे भी धान की फसल की बजाए अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे मक्का, कपास, अरहर, मूंग, ग्वार, तिल, मूंगफली, मोठ, उडद, सोयाबीन व चारा तथा प्याज की फसल की कास्त करें व सरकार द्वारा चलाई जा रही मेरा पानी-मेरी विरासत स्कीम का लाभ उठाए।
मेरा पानी-मेरी विरासत तथा मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण 25 जून 2021 तक करवाना अनिवार्य होगा। योजना के अनुसार जो किसान धान फसल की बजाए वैकल्पिक फसल जैसे मक्का, कपास, अरहर, मूंग, ग्वार, तिल, मूंगफली, मोठ, उडद, सोयाबीन व चारा तथा प्याज की फसल की कास्त करने पर उसे सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
एसीएस ने की फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों से बातचीत :
कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजयेंद्र कुमार ने लोक निर्माण विश्राम गृह में फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों से बातचीत की। इस दौरान किसानों ने फसल विविधिकरण के अनुभव को लेकर अपने विचार सांझा किए। इस दौरान उपायुक्त अनीश यादव भी उपस्थित थे। इसके अलावा डीडीए कृषि विभाग डा. बाबू लाल, बागवानी अधिकारी रघबीर सिंह झोरड़ भी मौजूद थे। एसीएस ने किसानों से कहा कि उन द्वारा फसल विविधिकरण दूसरे किसानों को भी इस विधि को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। एसीएस ने उपस्थित किसानों से एक-एक कर फसल विविधिकरण से कास्त कर रहे फसलों और इससे होने वाले फायदों आदि बारे भी जानकारी ली। उपस्थित किसानों ने बताया कि वे फसल विविधिकरण के साथ-साथ ड्रिप प्रणाली से सिंचाई करके कम पानी से बेहतर पैदावार ले रहे हैं। किसानों ने बताया कि कृषि एवं कल्याण विभाग तथा बागवानी विभाग द्वारा समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से काफी फायदा हुआ। फसलों की गुणवत्ता सुधारने की जानकारी के साथ-साथ प्रदेश सरकार की योजनाओं का भी लाभ मिलने में आसानी हुई।