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देश के संस्कारों का आधार है संस्कृत – राजकुमार मक्कड़

श्रीमाता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पञ्चकूला ने राष्ट्रस्तरीय ज्योतिष्–कार्यशाला का किया आयोजन

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पंचकूला, 16 फरवरी – श्रीमाता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, पञ्चकूला द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय आभासीय (Online) राष्ट्रस्तरीय ज्योतिष्–कार्यशाला के समापन सत्र का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इस समापन सत्र में बतौर मुख्यातिथि राष्ट्रपतिसम्मान से सम्मानित श्री राजकुमार मक्कड़, पूर्व आयुक्त दिव्यांगजन, हरियाणा सरकार उपस्थित रहें। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ।

मुख्यातिथि ने कहा कि हरियाणा संस्कृत एवं संस्कारों की धरती है। इस धरा पर हरियाणा सरकार के द्वारा संस्कृत के उत्थान के लिए महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल व श्रीमाता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला की स्थापना किया जाना एक सराहनीय प्रयास है। संस्कृत भारत के संस्कारों का आधार है। गीता की पावनधरा हरियाणा से इस प्रकार के ज्ञान यज्ञ का आयोजन प्रशंसनीय है। उन्होंने महाविद्यालय के इस तरह के आयोजनों की सराहना करते हुए कहा कि यह महाविद्यालय भारत की प्राच्य विद्या के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार में महती भूमिका निभा रहा है। अपने सम्बोधन में मुख्यातिथि ने प्रतिभागियों से संस्कृत एवं ज्योतिष् शास्त्र को जन–जन तक पहुंचाने की अपील की।

राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक डॉ. सुनीलकुमार ने बताया कि इस राष्ट्रीय कार्यशाला में सम्पूर्ण भारत से आभासीय माध्यम से 100 प्रतिभागी भाग लिया है एवं संसाधक (रिसोर्स पर्सन) के रूप में डॉ कृष्ण चन्द्रशास्त्री , श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली से डॉ. देशबन्धु, डॉ. बृजमोहन, डॉ. जगदीश, महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, मूदंडी से डॉ. नरेशदत्त, डॉ. नवीन शर्मा ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया।

प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र ईमेल माध्यम से भेजे जाएंगे। इस उद्घाटन सत्र में प्राचार्या श्रीमती रीटा गुप्ता द्वारा समागत मुख्यातिथि का स्वागत व अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर डॉ. राजबीर द्वारा मञ्चसञ्चालन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के सदस्य एवं प्रतिभागी आभासीय माध्यम से उपस्थित रहें।

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