*Andhra Pradesh and Karnataka councillors & Officials Appreciate Chandigarh's Innovative Waste Processing Units during study tour*

*डॉ. सुमिता मिश्रा ने कंट्रोल रूम से राज्यव्यापी ‘ऑपरेशन शील्ड’ का नेतृत्व किया’*

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पंचकूला, 31 मई – गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने आज पंचकूला स्थित राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र (एसईआरसी) डायल 112 हरियाणा से ‘ऑपरेशन शील्ड’ के क्रियान्वयन की निगरानी की। गृह मंत्रालय, भारत सरकार के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में आयोजित इस अभ्यास में हवाई हमलों, ड्रोन हमलों और युद्धकालीन परिदृश्यों जैसे सुरक्षा खतरों के उच्च-तीव्रता वाले सिमुलेशन शामिल थे।

डॉ. मिश्रा ने हरियाणा के सभी 22 जिलों के लाइव अपडेट की निगरानी की और वास्तविक समय में परिचालन संबंधी निर्देश जारी किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तैयारियों को एक बार की ड्रिल ही नहीं समझा जाना चाहिए, बल्कि इसे एक सतत संस्कृति के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। इस अभ्यास ने वरिष्ठ अधिकारियों, स्थानीय प्रशासन और सामुदायिक स्तर के स्वयंसेवकों के बीच एक सहज समन्वय का प्रदर्शन किया जो राज्य की प्रतिक्रिया क्षमताओं को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

*’जन भागीदारी के माध्यम से नागरिकों की व्यापक भागीदारी’*

ऑपरेशन शील्ड का एक मुख्य आकर्षण लगभग 10,000 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की व्यापक भागीदारी थी, जिन्होंने राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस), होम गार्ड और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के साथ मिलकर कार्य किया। इस व्यापक नागरिक भागीदारी ने हरियाणा के ‘‘जन भागीदारी’’ मॉडल को दर्शाया, जिसमें नागरिकों को सामुदायिक सुरक्षा और लचीलेपन के केंद्र में रखा गया। नागरिक सुरक्षा मास्टर प्रशिक्षकों को एनडीआरएफ और गृह मंत्रालय के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने कहा कि ये मास्टर प्रशिक्षक हर जिले में और अधिक प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण देंगे।

डॉ. मिश्रा ने इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए इसे ऑपरेशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित प्रशिक्षकों के इनपुट के कारण सफल संचालन संभव हो सका, जिन्हें गृह मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार एनडीआरएफ टीमों द्वारा प्रशिक्षित किया गया था।

*बहुस्तरीय सिमुलेशन और प्रौद्योगिकी तैनाती*

डॉ. मिश्रा ने बताया कि उपायुक्तों के नेतृत्व में जिला स्तरीय वॉर रूम ने टेक्टिकल (सामरिक) ब्रीफिंग की और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वयंसेवकों को तैनात किया। अभ्यास में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मॉक इवैक्यूएषन, प्रथम-प्रतिक्रिया ट्राइएजिंग और साइबर-घटना प्रोटोकॉल का परीक्षण शामिल था। वास्तविक दुनिया के आपातकालीन परिदृश्यों को दोहराने के लिए ड्रोन, आपातकालीन चेतावनी प्रणाली और जीआईएस-आधारित संसाधन ट्रैकिंग जैसी उन्नत तकनीकों को तैनात किया गया था। इन प्रयासों ने राज्य की तत्परता का तनाव-परीक्षण करने में मदद की और भविष्य में क्षमता निर्माण के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।

*अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल*

इसे सुरक्षा शासन में एक “महत्वपूर्ण क्षण” कहते हुए, डॉ. मिश्रा ने कहा कि जब नागरिकों को पहले प्रतिक्रिया देने वालों के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया जाता है तो लचीलापन समाज की अंतर्निहित विशेषता बन जाता है। उन्होंने आंतरिक सुरक्षा मामलों में समन्वय, सतर्कता और साझा जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व को भी रेखांकित किया।

इस अवसर पर गृह, विभाग की सचिव श्रीमती गीता भारती, एडीजीपी श्री हरदीप सिंह दून, राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव श्री राहुल हुड्डा के अलावा राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र (एसईआरसी) में अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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