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गेहंू खरीद की बकाया राशि भी जल्द भेजी जाएगी किसानों के खातों में : दुष्यंत

सिरसा, 22 मई।

गेहंू खरीद की बकाया राशि भी जल्द भेजी जाएगी किसानों के खातों में : दुष्यंत

प्रदेश में 12 हजार 40 करोड़ की कीमत की अब तक 70 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई, 6 हजार करोड़ से अधिक की राशि भेजी जा चुकी किसानों के खाते में


                    उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में 70 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई है। इसकी कीमत 12 हजार 40 करोड़ रूपये बनती है। सरकार द्वारा अब तक 6 हजार करोड़ से अधिक की राशि किसानों के खाते मेें भिजवाई जा चुकी है, जोकि 50 प्रतिशत से भी अधिक बनती है और जल्द ही बची राशि भी किसानों के खाते में भिजवा दी जाएगी।

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                    उप मुख्यमंत्री शुक्रवार को लघुसचिवालय स्थित सभागार में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उपायुक्त रमेश चंद्र बिढान, डीआईजी डॉ. अरूण सिंह, एसडीएम जयवीर यादव भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग की अनुपालना के तहत व्यापक प्रबंधों के बीच गेहूं की खरीद की गई। किसानों को किसी प्रकार की समस्या नहीं आने दी और सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया। उन्होंने बताया कि 10 मई तक खरीदे गेहूं की 6 हजार करोड़ से अधिक की राशि किसानों के खाते में भेजी जा चुकी है और 20 मई तक की खरीद की गई गेहूं की राशि को जल्द ही किसानों के खाते में भेज दिया जाएगा।

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                    पत्रकारवार्ता में उन्होंने कहा कि सभी खरीद ऐजेंसियों व उनके अधिकारियों को आदेश दिए है कि अगले तीन दिन में पांच दिन पुरानी गेहूं की आवक का उठान कार्य पूरा करवाएं। उठान कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा प्रदेश सरकार द्वारा बारिश के कारण हुए लस्टर लोस की भरपाई के लिए केंद्र से जो अनुरोध किया था, उसे मंजूर कर लिया गया है। अब लस्टर लोस की भरपाई केंद्र सरकार करेगी।


                    उप मुख्यमंत्री ने मेरा जल-मेरी विरासत योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि लोगों में जो भ्रम है कि सरकार किसानों को धान की खेती न करने के लिए प्रतिबंधित कर रही है, जोकि गलत है। उन्होंने बताया कि सरकार के निर्णय के अनुसार उन्हीं गांवों में धान की फसल न लगाने बारे प्रतिबंधित किया जाएगा, जो डार्क जोन में आते हैं और जहां पर भूमिगत जल स्तर 35 मीटर से नीचे हैं। सिरसा के 13 गांव है जो इस दायरे में आते हैं। उन्होंने बताया जो किसान धान की बजाए दूसरी फसल की खेती करेंगे, उन्हें सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। योजना का उदेश्य किसानों को विविधिकरण खेती की ओर अग्रसर करने के साथ-साथ जल स्तर को बढाना है।

                    एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के फैलाव व इसके बचाव के लिए गंभीरतापूर्वक काम किया है और इसी का परिमणाम है कि अन्य राज्यों की अपेक्षा कोविड-19 के एक्टिव केस प्रदेश में कम है और रिकवरी रेट ज्यादा है। प्रदेश का 60 प्रतिशत से अधिक का रिकवरी रेट दर्शाता है कि हमारे प्रशासनिक अधिकारियों व स्वास्थ्य कर्मियों ने बेहतर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यदि सिरसा की बात की जाए तो यहां पर सभी संक्रमित लोग ठीक होकर वापिस अपने घर जा चुके है। इसके लिए यहां का प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है और हम सबको एकजुट होकर इसका सामना करना है और प्रदेश को कोरोना मुक्त बनाना है। सोशल डिस्टेंसिंग व संक्रमण के बचाव के उपायों के बीच जिंदगी को दोबारा से पटरी पर लाकर आर्थिक व विकासात्मक गतिविधियों को बढाना है।


                    उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चाहे प्रवासी मजदूर हों या फिर दूसरे राज्य में फंसे प्रदेश के नागरिक हों, सभी को उनके घर तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रबंध किए और किसी को भी कोई कठिनाई नहीं आने दी गई। उन्होंने बताया कि राजस्थान में जिला सिरसा के फंसे 1500 नागरिकों को वापिस घर लाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड की पॉलिसी को अपनाने में हरियाणा अग्रणी राज्य है और राज्य सरकार ने केंद्रीय खाद्य और आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान से आग्रह भी किया है कि वन नेशन, वन राशन कार्ड की पॉलिसी के तहत अन्य राज्यों को भी जोड़ा जाए ताकि ऐसे संकट के समय में जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाने के लिए एक राज्य दूसरे राज्य से ऑनलाइन डाटा शेयर कर सके।

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