*MC Chandigarh organises Cyclothon for clean markets: City unites for Swachh Chandigarh at Sector 17*

कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला ने गांव  भरेली  मे किया  किसान प्रशिक्षण का आयोजन  

For Detailed News

पंचकूला अप्रैल 25: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला ने केन्द्र की प्रभारी डॉ  श्रीदेवी तल्लापरागडा के दिशा-निर्देश पर धान की खेती किसानों के लिए वरदान परंतु भू-जल संकट के लिए अभिशाप  विषय पर आज गांव  भरेली  मे  किसान प्रशिक्षण का आयोजन किया जिसने गांव के लगभग तीस किसानों ने भाग लिया।


 कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए पौध रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रविंद्र चौहान ने किसानों को बताया कि क्योंकि हरियाणा और पंजाब का लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र  भू जल संकट की चपेट में है इसका उपाय ना केवल कृषि विविधीकरण अपितु इसका मुख्य उपाय धान की सीधी बिजाई की तकनीक को अपनाना है। उन्होंने बताया कि एक किलो धान को पैदा करने में लगभग 3000 लीटर पानी का प्रयोग होता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वह धान की सीधी बिजाई  करें । यदि किसान धान की सीधी बिजाई को अपनाएंगे तो न केवल पानी की बचत होगी बल्कि धान की रोपाई पर लगने वाली मजदूरी खर्च को भी बचा सकते हैं।


डॉ चौहान ने कहा कि यदि किसान धान की सीधी बिजाई की तकनीक की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला हमेशा उनकी सेवा के लिए तैयार है। इसके साथ साथ आज के समय में एकीकृत कृषि   प्रणाली के विभिन्न घटकों जैसे मशरूम उत्पादन,मधुमक्खी पालन,सब्जी व फल उत्पादन ,वमींकम्पोसट, दूध उत्पादन आदि को अपनाने की भी  आवश्यकता है। जमीन की उर्वरा शक्ति को बढाने के लिए गेहूँ कटाई के बाद ढैचा ब मूँग की बिजाई करें। प्रशिक्षण शिविर में किसानों को सूरजमुखी की पैदावार बढाने  तथा बीमारी की रोकथाम के उपाय सुझाए गए l उन्होंने सूरजमुखी मे खाद का संतुलित प्रयोग करने की सलाह दी ताकि फसल की लागत को कम किया जा सके। फसलों में  रसायनों का प्रयोग कृषि विशेषज्ञों की राय लेकर ही करें  और पर्यावरण व भूमि को प्रदुषित होने से बचाया जा सके। वैज्ञानिकों ने आने वाले समय में धान की सीधी बिजाई को अपना कर पानी की बचत व फसल लागत को कम करने में अहम बताया।

https://propertyliquid.com/


इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के मत्स्य वैज्ञानिक डॉक्टर  गजेंद्र सिंह ने कृषि विविधीकरण के तहत मछली पालन अपनाने पर बल दिया । उन्होंने  कहा कि यदि किसान मछली उत्पादन को अपनाते है तो वे प्रति एकड़ लगभग एक से  दो लाख रुपये कमा सकते हैं।   इस अवसर पर गांव भरेली के  प्रगतिशील किसान  कंवरपाल  राणा ने  वैज्ञानिकों का कृषि संबंधित जानकारी देने  के लिए धन्यवाद किया ।