किसान बागवानी में ‘स्टैकिंग विधिÓ का प्रयोग कर कमाए अच्छा मुनाफा : उपायुक्त अनीश यादव
– हरियाणा सरकार सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर दे रही 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान
उपायुक्त अनीश यादव ने किसानों का आह्वान किया है कि किसान बागवानी में ‘स्टैकिंग विधिÓ को प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है, सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंगÓ ऐसी विधि है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे स्टैकिंग को प्रयोग करने के लिए किसानों को 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल होर्टीहरियाणास्कीमसडॉटइन (https://hortharyanaschemes.in) पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
उपायुक्त ने बताया कि आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीके उभरकर सामने आ रही हैं। इससे किसानों को ढेरों फायदे पहुंच रहे हैं। सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंगÓ ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नई-नई तकनीकों से खेती करने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि इससे ढेर सारी जानकारियां मिलती हैं और दूसरी इनसे मुनाफा और फसलों की पैदावार भी अधिक होती है।
बांस व लौह स्टैकिंग पर दिया जाता है अलग-अलग अनुदान :
उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा बांस स्टैकिंग की लागत 62 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ पर 31 हजार 250 से लेकर 56 हजार 250 रुपए तथा लोहा स्टैकिंग लागत एक लाख 41 हजार रुपए प्रति एकड़ पर 70 हजार 500 से लेकर एक लाख 26 हजार रुपए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र 1 से 2.5 एकड़ है। इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट व दूरभाष नंबर 0172-2582322 पर प्राप्त की जा सकती है।
आसान है ‘स्टैकिंगÓ तकनीक :
किसान पहले पुरानी तकनीक से ही सब्जियों और फलों की खेती करते थे। लेकिन अब किसान स्कैटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं क्योंकि यह तकनीक बहुत ही आसान है। इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग होता है। स्टैकिंग बांस व लौहे के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है।
‘स्टैकिंग विधिÓ से सब्जियों में नहीं होती सडऩ :
‘स्टैकिंग विधिÓ से खेती करने पर सब्जियों की फसल में सडऩ नहीं होती, क्योंकि वो जमीन पर रहने की बजाए ऊपर लटकी रहती हैं। करेला, टमाटर एवं लौकी जैसी फसलों को सडऩे से बचाने के लिए उनको इस तकनीक से सहारा देना कारगर साबित होता है। पारंपरिक खेती में कई बार टमाटर की फसल जमीन के संपर्क में आने की वजह से सडऩे लगती है, लेकिन स्टैकिंग तकनीक में ऐसी दिक्कत नहीं होती।