*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

किसान पराली प्रबंधन कर पर्यावरण सरंक्षण में बनें सहयोगी : उपायुक्त

सिरसा, 11 अक्तूबर।

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उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने कहा कि प्रदूषित वातावरण का मानव के साथ-साथ हर जीव-जंतु के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ वातावरण का होना बहुत ही जरूरी है। पर्यावरण की स्वच्छता को बनाए रखने में सभी का सहयोग जरूरी है। इस दिशा में किसान भाई भी पराली को जलाने की बजाए इसका प्रबंधन करके न केवल पर्यावरण सरंक्षण में सहयोगी बनें, बल्कि इसे अपने लाभ का भी जरिया बनाएं।


उपायुक्त ने कहा कि पराली जलाने से उठने वाला धुंआ पर्यावरण को तो प्रदूषित करता ही है, साथ में मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। बुजुर्ग, बच्चों व दमा के रोगियों के लिए तो यह और भी भयंकर साबित होता है। पराली जलाने से होने वाले इन दुष्परिणों के चलते सर्वोच्च न्यायालय भी सख्त  है और इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों की अनुपालना में गंभीरता से कार्य कर रही है और यही प्रयास है कि पराली को न जलाया जाए और ऐसी घटनाओं पर पूर्ण अंकुश लगाया जाए। इसके लिए जहां किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, वहीं पराली के उचित प्रबंधन के लिए अनुदान पर कृषि उपकरण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। गांव में कस्टम हायर सैंटरों के माध्यम से लघु व सीमांत किसानों को प्राथमिकता के साथ फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरण दिए जा रहे हैं।

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उन्होंने बताया कि इस बार प्रदेश सरकार जीरो बर्निंग संकल्प के साथ इस दिशा में गंभीरता से कार्य कर रही है। इसी कड़ी में जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्ण अंकुश के लिए प्रशासन पूरी तरह से मुश्तैद है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर हर प्रकार से निगरानी के लिए योजना बनाई गई है। हरसेक सेटेलाइट से पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रख रहा है, जहां भी पराली जलने की घटना होगी, उस समय वहां की इमेज हरसेक को मिल जाएगी। इसके बाद गांव स्तर पर गठित टीम मौके पर जाकर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेगी। कोई भी पराली जलाता है, तो उसका चालान कर जुर्माना किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान स्वयं जागरूक बनकर पराली को जलाने की बजाए इसके उचित निपटान की दिशा में आगे बढें।


उपायुक्त ने बताया कि जिला में बहुत से किसान हैं, जोकि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के माध्यम से अनुदान पर मिलने वाले फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरणों से पराली का उचित प्रबंधन कर लाभ कमा रहे हैं। इन किसानों का मानना है कि पराली प्रबंधन करने से न केवल उन्होंने लाभ कमाया है, बल्कि भूमि की ऊपजाऊ शक्ति भी बढी है, जिससे उनकी पैदावार में भी बढोतरी हुई है। इन किसानों से दूसरे किसान प्रेरित होकर पराली प्रबंधन की दिशा में कार्य करें।