*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

किसान आय बढ़ोतरी के लिए बागवानी को अपनाएं : दलाल

सिरसा, 6 जनवरी।


            किसान गेहूं, धान, कपास जैसी परंपरागत खेती से न तो अधिक उत्पादन ले सकता है और न ही अधिक मूल्य लिया जा सकता है। इसके साथ-साथ आधुनिक खेती, बागवानी व अन्य खेती से जुड़े व्यवसाय को अपनाकर अपने आय में बढोतरी कर सकता है। प्रदेश सरकार इस दिशा में किसानों को प्रेरित करने के लिए अनेकों योजनाएं लागू कर रही है, ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किसान की आय दोगुनी के लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले पूरा किया जा सके।


            यह बात कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने सोमवार को जिला बागवानी कार्यालय में आधुनिक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला का उद्घाटन करने के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने प्रयोगशाला में उपलब्ध सभी सुविधाओं व व्यवस्थाओं का बारिकी से निरक्षण किया तथा अधिकारियों से जानकारी ली। इस अवसर पर पूर्व विधायक मक्खन लाल सिंगला, भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदीश चौपड़ा,भाजपा नेत्री रेणू शर्मा, एसडीएम जयवीर यादव, मिशन निदेशक हरियाणा राज्य बागवानी विकास मिशन डा. बी.एस सहरावत, जेडीएस डा. धर्म सिंह यादव, सहित किसान व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंत्री के यहां पहुंचने पर पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया तथा अधिकारियों व गणमान्य व्यक्तियों ने फूल-मालाओं के साथ स्वागत किया।


            कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि किसान को अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी को भी तरजीह देनी होगी, ताकि वह अपनी आय में बढोतरी कर सके। गेंहू, कपास, धान जैसी फसलों से किसान न तो अधिक उत्पादन ले सकता है और न ही अधिक मूल्य प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा पशुपालन, मच्छली पालन आदि व्यवसाय को भी अपनाकर किसान आर्थिक रूप से सुदृढ हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को बागवानी की ओर अग्रसर करने के उद्ेश्य से अनेकों योजनाएं क्रियान्वित कर रही है। इसी कड़ी में यह आधुनिक गुणवता नियंत्रण प्रयोगशाला किसानों के लिए नये साल के तोहफे के रूप में समर्पित की गई है। राज्य के किसान इस प्रयोगशाला से लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि अधिक फर्टिलाइजर व पेस्टिसाइड के होने से अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में हमारे प्रोडेक्ट स्वीकृत नहीं हो पाते हैं। प्रयोगशाला में किसान अपने फल व सब्जियों के उक्त कंटेंट को कम करके अपने प्रोडेक्ट की अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।


            उन्होंने कहा कि हमारे यहां फसलों में बहुत अधिक फर्टिलाईजर, पैस्टिसाइड आदि कीटनाशक दवाओं का प्रयोग हो रहा है, जोकि न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति को खत्म करता है, वहीं कैंसर जैसी भयानक बीमारियों में सहायक हो रहा है। इसलिए किसान भाईयों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने के लिए प्रदेश सरकार अनेक कदम उठा रही है। इसी कड़ी में विभाग में अलग से प्राकृतिक खेती विंग बनाई गई है, जोकि पदमश्री पारलेकर की विधि पर काम करते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करेगी। इसके लिए प्रत्येक गांव से एक किसान को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, जोकि आगे वो अन्य किसानों को इसके लिए प्रशिक्षण देगा।


            डा.बीएस सहरावत ने बताया कि यह प्रयोगशाला राज्य की दूसरी गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला है। प्रयोगशाला का उद्ेश्य फल व सब्जियों के नमूने में कीटनाशक अवशेषों की उपलब्धता की जांच, कीटनाश अवशेषों की मोनटरिंग के साथ-साथ किसानों को कीटनाशक दवाओं का समुचित उपयोग व प्रबंधन के लिए जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि 194 लाख रुपये की लागत से स्थापित इस प्रयोगशला का राज्य के किसानों को लाभ होगा और किसानों को उनके फल व सब्जियों में प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व पेस्टिसाइड के मात्रा का पता चलेगा। जिससे किसानों को अहसास होगा कि उन द्वारा किए जा रहे कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से स्वास्थ्य व भूमि की कीतनी हानी हो रही है।

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