*Chandigarh Shines in Swachh Survekshan 2024–25; Enters the Super Swachh League Cities*

किसानों को सस्ता और आसान ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार की नई पहल

संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण सीमा बढ़ाकर 3 लाख से 5 लाख की गई

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पंचकूला 1 मार्च- केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत के अन्नदाता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे सरकार की कृषि विकास और उत्पादकता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। कृषि को दस प्रमुख विकासात्मक क्षेत्रों में शामिल किया गया है, जो भारत की आर्थिक प्रगति को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण इंजन है।

केंद्रीय बजट 2025-26 घोषणाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए “कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर बजट के बाद वेबिनार” (Post-Budget Webinar on Agriculture & Rural Prosperity) आयोजित किया गया। उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया और कृषि और किसान कल्याण विभाग के विभिन्न विभागों के सचिवों की अध्यक्षता में किया गया।

प्रतिभागियों में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ-साथ आरबीआई , नाबार्ड , अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक , क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक , राज्य सहकारी और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एसटीसीबी और डीसीसीबी- , राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियां , कृषि विकास केंद्र और देश के कोने-कोने से आए किसान शामिल रहे।

जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में भी बताया गया है, 31.3.2024 तक 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी-KCC) के खाते हैं। अल्पकालिक ऋण जरूरतों को पूरा करके केसीसी योजना ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

केसीसी-संशोधित ब्याज अनुदान योजना (केसीसी-एमआईएसएस ) किसानों को 4 प्रतिशत की प्रभावी रियायती ब्याज दर पर ऋण दे रही है। किफायती ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने जमानत-मुक्त के सी सी ऋण को 1.6 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया है। एक बड़े कदम के रूप में, केंद्रीय बजट 2025-26 ने संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया है। इस कदम से छोटे और सीमांत किसानों पर वित्तीय तनाव कम होने के साथ-साथ कृषि में अधिक निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

इससे फसल उत्पादन, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए किसानों की बढ़ी हुई कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी।
सरकार ने पिछले दशकों में ब्याज सहायता योजना के माध्यम से किसानों को 1.44 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। इन पहलों के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य 2023-24 में कृषि अल्पकालिक ऋण को 9.81 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2029-30 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है।

एल डी एम पीएनबी गजल शर्मा ने बताया कि इन उपायों के ज़रिए सरकार न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की सुलभता बढ़ा रही है, बल्कि किसानों को वित्तीय स्वतंत्रता भी दे रही है। जैसे-जैसे यह पहल पूरे देश में लागू होगी, इसमें भारत में कृषि ऋण को फिर से परिभाषित करने की क्षमता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि समय पर और किफ़ायती ऋण उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

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