सरकार विधवा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए दे रही ऋण 

कार्यस्थल पर महिलाएं अपने साथ होने वाले उत्पीडऩ या शोषण को न करें नजरअंदाज : उपायुक्त प्रदीप कुमार

सिरसा, 01 मार्च।


                  उपायुक्त प्रदीप कुमार ने कहा कि महिलाएं अपने साथ होने वाले किसी भी प्रकार के उत्पीडऩ या शोषण को नजरअंदाज करें बल्कि संबंधित का डटकर मुकाबला करते हुए शिकायत दर्ज करवाएं। उनका यह हौसला व हिम्मत न केवल समाज में सकारात्मक संदेश देगा बल्कि असामाजिक तत्वों को सबक भी मिलेगा। इसलिए उत्पीडऩ होने की स्थिति में कार्यस्थल पर गठित कमेटी के समक्ष संबंधित महिला को अपनी शिकायत प्रस्तुत करनी चाहिए।

For Detailed News-


                  उपायुक्त सोमवार को स्थानीय लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडऩ विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्यअतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग डा. दर्शना सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी संत कुमार, जिला बाल कल्याण अधिकारी पूनम नागपाल, प्रोबेशन अधिकारी डा. मोनिका चौधरी, एसए सरोज व दिव्या सहित सभी सीडीपीओ, आईसीसी और एलसीसी के सदस्य मौजूद थे। सीएमजीजीए सुकन्या जनार्दनन व डीएलएसए से एडवोकेट चंद्ररेखा ने सेमिनार में महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के बारे में उपस्थितजनों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी।


                  उपायुक्त प्रदीप कुमार ने कहा कि महिलाओं को अपनी बात रखने का अधिकार है। इसलिए यदि कार्यस्थल पर उनके साथ किसी भी प्रकार की दुव्र्यवहार होता है तो उसके विरुद्ध आवाज उठाएं तथा कार्यालय में गठित इंटरनल कंपलेंड कमेटी (आईसीसी) या एलसीसी कमेटी के समक्ष रखें। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के अधीन घरों में काम करने वाले छोटे महिला कामगारों से लेकर बड़े संस्थानों में कार्यरत महिला कर्मचारी आते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थानों में किसी भी पद पर कार्यरत महिलाएं चाहें वे नियमित, अनुबंध, एडहॉक, डेली वेजिज, प्रोबेशन अथवा स्कूलों व महाविद्यालयों में अध्यन्नरत छात्राएं भी इस अधिनियम के अधीन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी व निजी संस्थान जहां पर 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं वहां पर इंटरनल कंपलेड कमेटी गठित करना आवश्यक है। अगर कोई भी संस्थान इन हिदायतों की पालना नहीं करता है तो उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन विभागों में अभीतक आईसीसी कमेटियों का गठन नहीं किया गया है, वे जल्द से जल्द कमेटी गठित करें और इसकी सूचना पीओआईसीडीएस कार्यालय में दें। उन्होंने कहा कि जिस संस्थाओं में 10 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं वे सीधे जिला स्तर पर गठित लोकल लेवल कंपलेन कमेटी (एलसीसी) में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग समय-समय पर ब्लॉक व गांव स्तर पर जागरुक कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति बारीकी से जानकारी दे और किसी प्रकार के उत्पीडऩ या शोषण पर शिकायत संबंधी जानकारी दे।

https://propertyliquid.com


                 जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. दर्शना सिंह ने कहा कि किसी भी महिला कर्मचारी जिसके साथ यौन उत्पीडऩ हुआ है, वे तीन माह के अंदर-अंदर अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है, ऐसे मामलों में महिला कर्मचारी को तीन माह की एक्सटेंशन भी दी जा सकती है। आईसीसी कमेटी द्वारा शिकायत की जांच तीन माह की समयावधि में करके मामले का निपटान करवाना होता है। उन्होंने बताया कि आईसीसी कमेटी की जांच से अगर शिकायतकर्ता या आरोपी व्यक्ति संतुष्टï नहीं है तो वे 90 दिनों में माननीय न्यायालय अथवा ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर उत्पीडऩ कई प्रकार से हो सकता है जैसे महिला कर्मचारी से अभद्र व्यवहार जिससे महिला असहज महसूस करे।