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कार्यकर्ता घर-घर जाकर किसानों को बताएं कृषि कानून के फायदे : दुग्गल

सिरसा, 2 अक्तूबर।

-न मंडी व्यवस्था खत्म होगी और न ही समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मंडियों में खरीद, आढतियों को भी नहीं होगा कोई नुकसान


-भारतीय जनता पार्टी की सरकार का किसान हितैषी नीतियां लागू करना विपक्ष को नहीं आ रहा रास


-सिरसा सांसद सुनीता दुग्गल ने खंड ओढा में कार्यकर्ताओं को किसा संबोधित


                  सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में किसानों के हितार्थ जो तीन कानून बनाएं हैं, वो पूरी तरह से किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इन कानूनों से किसान कई बंधनों से मुक्त होकर आर्थिक रूप से आजाद होगा। विपक्ष द्वारा किसानों के नाम पर अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए विरोध किया जा रहा है, जबकि ये तीनों कानून पूरी तरह से किसानों के हित में है। किसान इन कानूनों को एक बार पढ़ व समझ लें, ये तीनों कानून उनके हित में हैं। पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर किसानों को तीनों कृषि कानूनों के बारे में बताएं, ताकि कानून के बारे में जो भ्रम किसानों में विपक्ष द्वारा पैदा किया जा रहा है, वह दूर हो सके।

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                  सांसद शुक्रवार को ओढा में कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित कर रही थी। इस दौरान बीजेपी जिला अध्यक्ष आदित्य चौटाला सहित सैंकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे। सांसद ने कार्यकर्ताओं को कृषि कानूनों के किसानों के हित में होने की जानकारी घर-घर पहुंचाने बारे दिशा-निर्देश दिए तथा उनकी समस्याएं भी सुनी। इस अवसर पर भाजपा महामंत्री विजय वधवा, मंडल अध्यक्ष सतेंद्र गर्ग ओढ़ां, निगरानी कमेटी चेयरमेन पवन गर्ग, चेयरमेन पंचायत समिति मनोज शर्मा, सुरेश पंवार, चेयरमेन विनोद, लखविंद्र, कपिल सोनी, हरजिंद्र सिंह जंडवाला, नवीन रोड़ी, पृथ्वी चंद गर्ग, वकील नथवान, अटल वीर नैन सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे। तत्पश्चात सांसद सुनीता दुग्गल ने गोरीवाला ग्राम सचिवालय व डबवाली की पंजाबी धर्मशाला में कार्यकर्ताओं की बैठक ली और उनकी समस्याएं भी सुनी।

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                  सासंद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ऐसे ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जिनके बारे में आज तक विपक्ष ने सोचा भी नहीं था। इसी कड़ी में तीन कृषि कानून भी किसान के हित में लिया गया ऐतिहासिक फैसला है। भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही किसान हितैषी रही है और किसान व हर वर्ग के लिए अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच हमेशा किसानों की भलाई के लिए रही है। इसी सोच के चलते प्रधानमंत्री ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। ये जो तीन कृषि कानून बनाए गए हैं, ये कानून इस लक्ष्य की पूर्ति करने की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि ये तीनों कृषि कानून किसान के जीवन में आर्थिक रूप से बड़ा बदलाव लाएंगे और किसान की आय में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि देशभर के प्रगतिशील किसान संगठन इन कानूनों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। इसलिए इन तीनों कानूनों को एक बार समझने की जरूरत है। इसी उद्ेश्य के साथ पार्टी का हर कार्यकर्ता घर-घर जाकर किसानों को इन कानूनों के बारे में समझाएं और इससे किसानों को होने वाले फायदों की जानकारी दें।


                  उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने व सुविधाओं में वृद्धि के उद्देश्य से बनाए गये ये तीनों कानून पूर्ण रूप से किसानों के हित में है। जो किसान विरोधी हैं, वो ही इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, इनका किसान हित से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी राजनीतिक दलों कानून को लेकर किया जा रहा है विरोध केवल और केवल अपनी राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति करना है। ऐसे लोग कभी भी किसान के हितैषी नही हो सकते है। उन्होंने कहा कि किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है कि इन कानूनों के आने से किसानों अथवा आढ़तियों को नुकसान होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। न तो मंढी व्यवस्था खत्म होगी और न ही आढतियों का नुकसान होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और न ही आढ़त खत्म होगी। ये सभी व्यवस्थाएं व प्रक्रियाएं आज भी चल रही हैं और भविष्य में भी चलती रहेंगी।


                  उन्होंने कहा कि कहा कि इन कानूनों से कृषि उपज का बाधा मुक्त अंतर-राज्य व्यापार संभव हो सकेगा। किसानों को अपना उत्पाद मंडी तक ले जाने की बाध्यता नहीं होगी। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1956 में संशोधन कर अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का फैसला किया गया है। इस फैसले से उत्पादन, भंडारण, ढुलाई और वितरण करने की आजादी से व्यापक स्तर पर उत्पादन करना संभव होगा। इसी प्रकार से केन्द्र सरकार ने मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा से किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर सामानों की खरीद बिक्री की आजादी देगा। कृषि उत्पादों के लिए एक देश एक बाजार की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। कृषि ऊपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) कानून किसानों को उनकी ऊपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेचने की ईजाजत देता है। अब यह सचमुच वन नेशन वन मार्केट होगा।


                  सासंद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता की भलाई के लिए जो नीतियां व योजनाएं लागू कर रहे हैं, वो 70 साल तक देश पर राज करने वालों को रास नहीं आ रहा। किसानों के नाम पर विपक्ष का विरोध साफ दर्शाता है कि वह अपनी खोई राजनीतिक जमीन को बचाने का प्रयास रहा है, लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं होंगे, क्योंकि देश का किसान समझता है कि उसके हित प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से आह्वान किया है कि वे परंपरागत खेती के साथ-साथ दूसरी फसलों को भी तरजीह दें। बागवानी अपनाकर किसान अपनी आय में बढोतरी कर सकते हैं। फसल विविधिकरण के तहत सरकार ने अनेक योजनाएं लागू की हैं, जिनका किसानों को फायदा उठाना चाहिए। किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित स्वरूप विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान कर रही है।


                  बीजेपी जिला अध्यक्ष आदित्य चौटाला ने कहा कि वे स्वयं एक किसान के बेटे हैं, इसलिए कृषि को काफी नजदीक से जानते हैं। ये जो तीन कानून केंद्र सरकार लेकर आई हैं। ये पूरी तरह से किसान के हित में हैं। सरकार ने इन कानूनों के माध्यम से किसान को फसल बेचने व उसके भाव के लिए मर्जी का मालिक बनाया है। सही मायने में किसान आजाद हुआ है। अब किसान को छूट होगी कि वो अपनी फसल कहां बेचेगा और किस भाव पर बेचेगा। विपक्ष अपना कर्तव्य निभाने की बजाए किसानों में कृषि कानूनों के प्रति भ्रम पैदा कर रहा है। विपक्ष का विरोध किसानों की भलाई के लिए न होकर अपना राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए है। लेकिन किसान उनके बहकावे में आने वाला नहीं है। किसानों को एक बार इन कानूनों के बारे में समझ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों का नाम लेकर विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश व केंद्र की भाजपा सरकार समय-समय पर किसानों के हित की नीतियां व योजनाएं लागू कर रहीं हैं, यह सब विपक्ष को रास नहीं आ रहा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे किसानों को इन कानूनों से उन्हें होने वाले फायदों के बारे में बताएं और उन्हें कहें कि वे विपक्ष की बहकावे में न आकर अपने हितों के बारे में सोचें।