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कपास में गुलाबी सुण्डी की रोकथाम को लेकर वैज्ञानिकों व अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन

-गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण को लेकर किसानों की जागरूकता पर दिया गया जोर


सिरसा, 24 फरवरी।

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कपास की फसल में गुलाबी सुंडी नामक बीमारी की रोकथाम एवं इसके नियंत्रण को लेकर संयुक्त निदेशक कपास, कृषि एवं कल्याण विभाग द्वारा बुधवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कृषि तथा किसान कल्याण विभाग, केन्द्रीय कपास अनुसन्धान संस्थान, कृशि विज्ञान केन्द्र, सिरसा एंव चौधरी चरण सिहॅं, हरियाणा कृषि विष्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों /अधिकारियों, राज्य के बी0टी0 कपास के पदाधिकारियों व बीज विक्रताओं ने भाग लिया। कार्यशाला में वैज्ञानिकों एवं अधिकारियो ने गुलाबी सुंडी की रोकथाम बारे अपने-अपने सुझाव व दवाईयों की जानकारी दी। डा0 एस.के. वर्मा द्वारा बी.टी. कपास में पाई जाने वाली गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र व कपास फसल में आने के कारण बारे विस्तृत जानकारी दी गई ।


डा. ऋ षि कुमार प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि गुलाबी सुण्डी के बचाव हेतु मकैनिकल नियन्त्रण बारे विस्तार पूवर्क बताया गया। गुलाबी सुण्डी कम उडऩे वाला कीट है जो कि उसी क्षेत्र में नुकसान करता है । सभी कपास की लकडिय़ों को मच्छरदानी से ठक कर रखें। कपास फ सल में गुलाबी सुण्डी की रोकथाम हेतु स्प्रे करने के लिए प्लांटोमाईषिन 30 से 40 ग्राम प्रति एकड़ या क्यूनालफॉस 600 से 700 एम0एल0 प्रति एकड़ या ट्राईजोफोस 600 मिली लिटर या कारब्रिल 800 ग्राम या टेऊसर 75 मिलीलीटर या अंवाट 200 मिली लिटर प्रति एकड़ आदि दवाईयों का स्प्रे करके गुलाबी सुण्डी के नुकसान से बचाया जा सकता है ।


मुख्यअतिथि के तौर पर उपस्थित अतिरिक्त निदेशक (एफ..ए.एस.) डा. सुनील कुमार ने बताया कि किसानों को पहला पानी बिजाई के 30 से 40 दिन बाद सिंचाई करें ताकि जड़ों का पूर्ण विकास हो सके । जिन किसानों ने खेतों में कपास की लकडिय़ों को एक जगह रखा हुआ है या उनके आस पास खेतों में बिनौला व जिनिंग से तेल निकालने वाली मिल लगती हों उन सभी किसान भाईयों को ध्यान देना जरूरी है कि कहीं उनके खेतों में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप तो नहीं है। गुलाबी सुण्डी के पतंगों को रोकने के लिए माह अप्रैल से भण्डारित की हुई लकडिय़ों को पॉलोथीन बैग से ढक कर रखें ।  

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डा. राम प्रताप सिहाग, संयुक्त निदेषक (कपास) सिरसा द्वारा हरियाणा राज्य में बी.टी. कपास की बिजाई व मकैनिकल तरीके से नियन्त्रण करने बारे व बीज विक्रेताओं को कहा गया कि अपनी-अपनी दुकानों पर गुलाबी सुण्डी के नियन्त्रण हेतु बैनर लगवाएं तथा इस बारे किसानों को अधिक से अधिक जागरूक करें। इस बारे में बीज विक्रेताओं के के प्रधान द्वारा भी आश्वासन दिया गया कि हम आप द्वारा दी गई हिदायतों की दृढ़ता से पालना करेंगे व किसानों को गुलाबी सुण्डी के नियन्त्रण हेतु अधिक से अधिक जागरूक करेंगे। वरिष्ठï कॉर्डिनेटर डा. देवेन्द्र जाखड़ कार्यशाला में आए वैज्ञानिकों व अधिकारियों का धन्यवाद किया। कार्यशाला में डा. सतबीर सिहॅं, डा. जितेन्द्र अहलावत, डा. विजय कुमार व अन्य कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया ।