*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

कपास में गुलाबी सुंडी के प्रति जागरूकता के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

सिरसा, 5 दिसंबर।

कपास में गुलाबी सुंडी के प्रति जागरूकता के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन


                केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय स्टेशन में कीटनाशक अवरोधकता प्रबंध व कपास में गुलाबी सुंडी प्रबंध प्रणाली एवं प्रसार के प्रति किसानों में जागरूकता के लिए दो दिवसीय किसान व स्काउट प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में 70 स्काउट व किसानों ने भाग लिया।


केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष डा. दिलीप मोंगा ने प्रशिक्षार्थियों को बताया कि बीटी कपास आने के बाद कपास में सुंडियों का प्रकोप खत्म हो गया परन्तु मध्य व दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में पिछले 3-4 साल से गुलाबी सुंडी का प्रकोप बीजी-2 कपास में देखा गया। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में अभी तक बीजी-2 कपास के प्रति किसी भी तरह की सुंडियों में सहनशीलता दर्ज नहीं की गई हैं। पिछले दो साल से हरियाणा व पंजाब के कुछ खेतों में गुलाबी सुंडी के प्रकोप को देखा गया जो कपास जिनिंग मील व कपास से तेल निकालने वाली मीलों के पास लगतें हैं।

कपास में गुलाबी सुंडी के प्रति जागरूकता के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन


                वरिष्ठï वैज्ञानिक डा. ऋषि कुमार ने कपास की फसल में लगने वाले कीटों के समाधान, मित्र कीटों की पहचान व उनके लाभ बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कपास की फसल में कीट प्रबंधन, खासतौर कपास की फसल में लगने वाली गुलाबी सुंडी के जीवन चक्र व प्रबंधन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जो किसान कपास की फसल कपास जिनिंग मील व कपास से तेल निकालने वाली मीलों के आस-पास लगाते हंै, उनको गुलाबी सुंडी के प्रकोप के प्रति जागरूक रहना बहुत जरूरी है।


                वैज्ञानिक डा. अमरप्रीत सिंह ने कपास उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीकों जैसे-किस्म का चुनाव, बिजाई का समय, खाद एवं उर्वरक, सिंचाई व खरपतवार नियंत्रण के बारे में बताया। डा. सतीश सैन कपास की फसल में लगने वाले रोगों की पहचान व उनके प्रबंधन के बारे में बताया। तकनीकी सहायक सतपाल सिंह ने गुलाबी सुंडी के निरीक्षण व रोकथाम में प्रयोग होने वाले फिरोमोन ट्रेप के फायदे व लगाने की विधि के बारे में बताया। वाईपी द्वितीय दीपक जाखड़ ने किसानों को गुलाबी के जीवन चक्र जैसे-सुण्डी के लार्वा, प्यूपा व प्रौढ़ की पहचान करवाई। अंत में सभी प्रतिभागियों को केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा शाखा के फार्म व प्रयोगशालाओं का भ्रमण करवाया गया। भ्रमण के दौरान स्काउट व किसानों ने प्रशिक्षण को काफी फायदेमंद व जागरूकता उत्पन्न करने वाला बताया।

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