आदर्श आचार संहिता के दौरान कैश, शराब, हथियार और अन्य चुनाव संबंधी सामग्री पर निगरानी रखने के लिए किया गया उड़न दस्ते व स्थैतिक निगरानी टीमों (एसएसटी ) का गठन- जिला निर्वाचन अधिकारी

एससी-एसटी एक्ट के तहत 54 पीडि़तों को दी गई 94 लाख 43 हजार रुपये की आर्थिक सहायता : उपायुक्त प्रदीप कुमार

सिरसा, 18 फरवरी।

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                      उपायुक्त प्रदीप कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार या दुव्र्यवहार होता है तो पीडि़त परिवार को तुरंत प्रभाव से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि पीडि़त को समय पर मिली सहायता आर्थिक सबल बनाने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी मदद करती है। इसलिए किसी दुर्घटना या अत्याचार के शिकार व्यक्ति को समय पर आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाए और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आर्थिक सहायता देने में किसी प्रकार का विलंब न हो।


                      यह बात उपायुक्त प्रदीप कुमार ने वीरवार को अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आयोजित जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। इस बैठक में डीएसपी धर्मवीर सिंह, जिला कल्याण अधिकारी सुशील कुमार, एडीए दीपक, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी आत्म प्रकाश मेहरा, वैटरनरी सर्जन सुरेंद्र कुमार सहित समिति के गैर सरकारी सदस्य कृष्ण कुमार, वेद प्रकाश कसूंबी, पूर्व सरपंच जगसीर सिंह, रणजीत सिंह भाटी, सज्जन सिंह, बग्गा राम मौजूद थे। बैठक में अबतक दर्ज हुए 86 केसों की विस्तारपूर्वक समीक्षा की गई और संबंधित अधिकारियों को विचाराधीन केसों के जल्द से जल्द निपटान के आदेश दिए। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि पुलिस अधिकारी व संबंधित विभाग के अधिकारी आपसी तालमेल से अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत दर्ज मामलों पर गंभीरता से कार्यवाई करें ताकि पीडि़तों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।


                      उपायुक्त प्रदीप कुमार ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि पीडि़त व्यक्ति की शिकायत पर त्वरित कार्यवाही करें और आरोपी व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाही करें ताकि पीडि़त व्यक्ति को न्याय के लिए भटकना न पड़े। जिला कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि योजना के अनुसार पीडि़त व्यक्ति को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना अनिवार्य है, इसलिए किसी भी मामलें में किसी प्रकार की ढील न बरती जाए और समयबद्ध अवधि में पीडि़त को सहायता राशि दी जाए। उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत विभिन्न प्रकार के अत्याचार होने पर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को अधिनियम के नियमों के अनुसार 85 हजार रुपये से लेकर 8 लाख 25 हजार रुपये तक की राशि ऐसे मामलों के लिए प्रदान की जाती है। इसके लिए अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार अधिनियम) के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।

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                      उन्होंने बताया कि ने कहा कि अब तक 54 पीडि़तों को 94 लाख 43 हजार 750 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के मद्देनजर गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के साथ अत्याचार किए जाने के फलस्वरूप अपराध की प्रवृति को ध्यान में रखकर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि विभिन्न प्रकार के अत्याचारों जैसे अपमानित, क्षति पहुंचाना, छेड़छाड़, बलात्कार व नरसंहार, चल-अचल संपत्ति का नुकसान, स्थाई/अस्थाई अपंगता आदि घटित होने पर प्रदान की जाती है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इन मामलों को तुरंत प्रभाव से निपटाएं और पीडि़त परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करें।