एसडीएम दिलबाग सिंह ने की मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर अपलोड डाटा की समीक्षा
एसडीएम दिलबाग सिंह ने रविवार को गांव धोलपालिया के खेतों में जाकर मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर अपलोड डाटा का मिलान किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि डाटा अपलोड करने से पहले आंकड़ों का मिलान किया जाए। इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस अवसर पर तहसीलदार हरकेश गुप्ता सहित संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।
एसडीएम ने खेतों में मौके पर जाकर मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड विवरण की समीक्षा की। इसके लिए उन्होंने गांव धोलपालिया के खेतों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मौके पर ही संबंधित विभागों के अधिकारियों से अपलोड विवरण बारे विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने किसानों द्वारा उगाई गई फसलों का मेरी फसल मेरा ब्यौरा, ए-गिरदावरी व हरसेक (एचएआरएसएसी) में दर्ज ब्यौरे से मिलान किया।
उन्होंने कहा कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों के लिए फसलों का विवरण अपलोड करवाना अनिवार्य है। मंडी में पोर्टल पर रजिस्ट्र होने वाले किसानों की फसल को प्राथमिकता के आधार पर खरीद किया जाएगा। इसके अलावा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाता है, जिसमें अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्र भी शामिल है। किसान को चाहिए कि वे अपनी फसल का विवरण मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अवश्य दर्ज करवाए।
किसान पराली को जलाने की बजाए इसका उचित प्रबंधन कर लाभ कमाएं :
एसडीएम दिलबाग सिंह ने मौके पर उपस्थित किसानों से बातचीत करने के दौरान कहा कि किसान पराली को जलाएं ना, बल्कि इसका उचित प्रबंधन कर इससे लाभ कमा सकते हैं। सरकार द्वारा पराली के उचित प्रबंधन के लिए अनुदान पर कृषि उपकरण उपलब्ध करवा रही है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे इन उपकरणों का इस्तेमाल कर पराली का उचित प्रबंधन व निपटान करें। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा इसका उचित निपटान करके इसे खाद में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेष जलाने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, वहीं पर्यावरण दूषित होता है। किसान फसलों को न जलाकर पर्यावरण सरंक्षण में सहयोगी बनें।