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उपायुक्त ने बाल श्रम को रोकने के लिए जिला टास्क फोर्स कमेटी द्वारा आयोजित बैठक की करी अध्यक्षता

-जिला में बाल मजदूरी पर पूर्णतः अंकुश लगाने के लिए ईंट-भट्ठो, ढाबों, इत्यादि स्थानों पर नियमित रूप से करें छापेमारी-उपायुक्त

-बाल श्रम की शिकायतों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ अधिकारी अपने स्तर पर भी करें औचक निरीक्षण-श्री सुशील सारवान

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पंचकूला, 9 फरवरी- उपायुक्त श्री सुशील सारवान ने लघु सचिवालय के सभागार में बाल श्रम को लेकर जिला टास्क फोर्स कमेटी की आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। उन्होने संबंधित अधिकारियों को जिलें में छापंेमारी बढाकर बाल मजदूरी रोकने के निर्देश दिए।

उपायुक्त श्री सुशील सारवान ने जिला में बंधुआ मजदूरी पर पूर्णतः अंकुश लगाने के लिए ढाबों, ईंट-भट्ठो इत्यादि स्थानों पर नियमित रूप से छापेमारी की जाए और यदि कोई भी बंधुआ मजदूर पाया जाए तो बंधुआ मजदूर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उचित कार्रवाई के निर्देश दिए।

उन्होंने निर्देश दिये कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षण टीम के साथ रहें ताकि किसी भी स्थिति से आसानी से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि विजीलेंस समिति के सदस्य अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को भेजने की बजाए स्वयं निरीक्षण के लिए जाएं और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट उन्हें प्रस्तुत करें।  

इसके उपरांत उपायुक्त ने जिला में बाल श्रम के मामलों को रोकने के लिए गठित जिला टास्क फोर्स की आयोजित बैठक की भी अध्यक्षता की। उन्हांेने अधिकारियों को निर्दश दिये कि बाल श्रम की शिकायतों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ वे अपने स्तर पर भी ऐसे स्थानों का औचक निरीक्षण करें जहां बच्चों से बाल श्रम करवाया जा रहा हो। उन्होंने निर्देश दिये कि विभिन्न स्थानों टीम बनाकर छापेमारी कर बाल मजदूरी में संलिप्त बच्चों को छुडवाया जाये और बच्चों से जबरन मजूदरी करवाने वालों के विरूद्ध नियमानुसार सख्त कार्रवाही की जायें। साथ ही रेस्क्यू किये गये बच्चों का पुर्नंवास भी सुनिश्चित किया जाये।


उन्होंने बताया कि बाल श्रम (रोकथाम और विनियमन) संशोधन अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से दुकानों, फैक्ट्रियों, कारखानों, होटल, ढाबो और घरों में काम करवाना अपराध हैं और ऐसे मामलों में संलिप्त पाये जाने पर 10 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये जुर्माना तथा 6 महीने से 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।

उन्होनंे निर्देश दिये कि एक संयुक्त टीम बनाकर और पुलिस के साथ छापेमारी करें ताकि बच्चों से जबरन काम करवाने वाले गिरोह को पकड़कर, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाही की जाये ताकि ऐसे लोगों को एक कड़ा संदेश जाये। इसके अलावा बाल श्रम के साथ-साथ भीख मांगने वाले स्थानों पर भी छापेमारी करें तथा इसमें संलिप्त बच्चों को ऐसा न करने के लिए जागरूक करें। उन्होंने कहा कि बाल श्रम के साथ-साथ चाईल्ड बैगिंग (बच्चों द्वारा भीख मांगना) भी अपराध है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चे तथा युवा हर कार्य को जोश के साथ करते हैं और इस दिशा में वे सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेजों में बच्चों को बाल मजदूरी की रोकथाम के लिए जागरूक करें कि यदि उन्हें कहीं बाल श्रम होता दिखे तो वे इसकी सूचना अवश्य दें। विद्यार्थियों को भीख मांगने वाले बच्चों को भीख न देने तथा दूसरों को भी ऐसा करने के लिए जागरूक करें।
उपायुक्त ने सभी से बंध्ुाआ मजदूरी व बाल श्रम को रोकने के लिए सुझाव मांगे और जिले के संबंधित अधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा छापेमारी कर बंध्ुाआ मजदूरी व बाल श्रम पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए।

उपायुक्त ने जिलावासियों से अपील की कि यदि उनके संज्ञान में बाल श्रम से संबंधित कोई भी मामला आता है तो वे इसकी जानकारी चाईल्ड लाईन नंबर 1098 पर दें।

इस अवसर पर असिस्टेंट लेबर कमिश्नर अनुज कुमार, नगराधीश मन्नत राणा, एसीपी हेडक्वार्टर आर्यन चैधरी, डिप्टी सीएमओ डाॅ. स्नेहा, तहसीलदार कालका, किरण वर्मा, राजेंद्र सिंह, गुरमेल सिंह, हरदेव ंिसह, तेजबीर सिंह व अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।

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