*Chandigarh Shines in Swachh Survekshan 2024–25; Enters the Super Swachh League Cities*

अशोक तंवर ने कृषि कानूनों के खिलाफ काले दिवस का किया समर्थन

सिरसा, 26 मई। अपना भारत मोर्चा के संयोजक एवं पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर ने दिल्ली में चल रहे कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर आज काला दिवस मनाए जाने का समर्थन किया है। यहां जारी अपने बयान में डॉ. अशोक तंवर ने कहा कि 7 साल की सरकार में 6 महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की सुध न लेना और बातचीत न करना इस बात को दर्शाता है कि सरकार राजधर्म को निभाने की बजाय हठधर्म पर उतारू है और टस से मस होने को राजी नहीं है। डॉ. तंवर ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में घमंड की राजनीति न कभी चली है और न ही चलेगी।   

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         पूर्व सांसद ने कहा कि देश में इतना बड़ा किसान आंदोलन पहले कभी नहीं चला लेकिन यह भी सत्य है कि जब-जब भाजपा और भगवाधारी दलों के लोग सत्ता में आते हैं हर बार ऐसा ही होता रहा है। सरकार जनकल्याण के लिए होती है लेकिन यह पहली बार हुआ है जब सरकार की लापरवाही से देश में सैंकड़ों किसान शहीद हुए, सैंकड़ों सैनिक शहीद हुए और कोरोना महामारी से 3 लाख 11 हजार 388 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कोरोना और ब्लैक फंगस बीमारी का जिक्र करते हुए डॉ. तंवर ने कहा कि सरकार इन बीमारियों से निपटने में नाकाम साबित हुई है। आम जनमानस की जान की कोई कीमत नहीं समझी जा रही। अस्पतालों में मरीजों के लिए न बेड उपलब्ध हैं, न ऑक्सीजन है, न वेंटीलेटर  और न वैक्सीन है। अस्पतालों में चिकित्सकों का भारी अभाव है। कोरोना मरीजों और महामारी झेल रहे लोगों के लिए यह समय किसी आपदा से कम नहीं है। उन्होंने कोरोना काल में सेवा करने वाले कोरोना वारियर्स और सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए गए मानवता भलाई कार्यों की सराहना की। साथ ही अपना भारत मोर्चा व संस्थाओं की तरफ से एक बोलेरो गाड़ी रेवाड़ी नगरवासियों को प्रदान की ताकि गरिमामय तरीके से कोरोना में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार किया जा सके।  

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       डॉ. तंवर ने आईजी वाई पूर्ण कुमार द्वारा डीजीपी मनोज यादव पर लगाए उत्पीडऩ के आरोपों की न्यायिक या सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि इतने वरिष्ठ अधिकारी का ही जब पुलिस में उत्पीडऩ हो रहा है तो यह बात स्पष्ट है कि सरकार नाम की कोई चीज प्रदेश में काम नहीं कर रही। आईजी वाई पूर्ण कुमार पर जो इल्जाम लगाए गए हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है। यह वास्तव में दलित उत्पीडऩ का मामला है और इसमें सीबीआई को दखल देकर जांच करनी चाहिए।