अपने परिवारों और समुदायों की सेहत में सुधार लाने के लिए न्यूट्री गार्डन को अपनाएं-डाॅ श्रीदेवी
कृषि विज्ञान केंद्र, चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने बेहलो गांव में किया कार्यक्रम का आयोजन’
पंचकूला, 6 नवंबर- कृषि विज्ञान केंद्र, चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने इफको और महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा के सहयोग से बेहलो गांव में न्यूट्री गार्डन के आर्थिक और पोषणात्मक महत्व पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में 55 किसानों और महिलाओं ने भाग लिया और उन्नत कृषि प्रणाली सहित मानव स्वास्थ्य के लिए पोषक तत्वों के महत्व पर जानकारी प्राप्त की।
कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला की समन्वयक डॉ श्रीदेवी तल्लप्रगड़ के दिशा निर्देशन में कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. गुरनाम सिंह, ने की, जिन्होंने सभी अतिथियों और उपस्थित किसानों का स्वागत किया। डॉ. गुरनाम ने किसानों से अपील की कि वे न्यूट्री गार्डन को अपनाकर अपने परिवारों और समुदायों की सेहत में सुधार ला सकते हैं।
डॉ. बहादुर सिंह गोदारा, डिप्टी मैनेजर, मार्केटिंग, इफको, हरियाणा चंडीगढ़ ने मिट्टी की सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्वों के बारे में बताया। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे अपने खेतों में उचित उर्वरकों का प्रयोग करें और नैनो यूरिया के इस्तेमाल पर जोर दें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और उपज में वृद्धि हो।
डॉ. राजेश लाठर, हॉर्टिकल्चर विशेषज्ञ ने फल और सब्जियों के महत्व पर बात की। उन्होंने बताया कि ताजे फल और सब्जियाँ सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी हैं और उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
डॉ. सरोज देवी, गृह विज्ञान विशेषज्ञ ने रबी फसलों के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी और बताया कि न्यूट्री गार्डन से पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है। उन्होंने किसानों को अपने घरों और खेतों में पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियाँ उगाने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद रहीं श्रीमती सविता ने किसानों को प्रेरित किया और अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने न्यूट्री गार्डन की खेती को लेकर अपने खेतों में किए गए प्रयोगों के बारे में बताया और अन्य किसानों को भी इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए उत्साहित किया।
इस कार्यक्रम के दौरान, किसानों को न्यूट्री गार्डन की खेती के आर्थिक लाभों के बारे में भी बताया गया। कृषि विशेषज्ञों ने यह समझाया कि इससे न केवल पोषण स्तर में सुधार होता है, बल्कि यह छोटे पैमाने पर खेती करने वालों के लिए एक अच्छा आर्थिक साधन भी साबित हो सकता है।