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हरियाणा सरकार की वन टाईम सैटलमेंट योजना का व्यापारी उठाए लाभ-हनिश गुप्ता

योजना के तहत बकाया कर पर ब्याज व जुर्माना बिल्कुल माफ, और मूल कर पर 30 मार्च 2024 तक मिलेगी भारी रियायत

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पंचकूला, 7 फरवरी- जिला उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त बिक्रीकर श्री हनिश गुप्ता ने बताया कि हरियाणा सरकार ने व्यापारियों के लिए वन टाईम सैटलमेंट योजना के माध्यम से 30 जून 2017 से पहले के बकाया करों पर ब्याज व जुर्माना माफ और मूल करो में भी रियायत देने का अवसर प्रदान किया है।
उन्होंने बताया कि जिन व्यापारियों का 2017 से पहले के कर बकाया है वो विभाग से सैटलमेंट कर एक मुश्त राशि का भुगतान कर सकते है। उन्होने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा वन टाईम सैटलमेंट योजना के तहत बकाया कर पर ब्याज व जुर्माना बिल्कुल माफ व मूल कर पर भी भारी रियायत दी जा रही है।
 उन्होंने बताया कि जिले के व्यापारियों के लिए कर भुगतान करने का यह एक बेहतरीन मौका है। उन्होंने बताया कि यदि बकाया राशि 10 लाख रुपये से कम है तो उसका भुगतान 30 मार्च तक करना होगा और यदि 10 लाख रुपये से 25 लाख रुपये की राशि के बीच है तो इसका भुगतान दो किस्तों में किया जा सकता है। यदि 25 लाख रुपये से ज्यादा कर की राशि है तो इसका भुगतान तीन किस्तों में विभाग से सैटलमेंट के माध्यम से किया जा सकता है। पहले 90 दिनों में 40 प्रतिशत राशि, अगले 90 दिनों में 30 प्रतिशत राशि व अंतिम 90 दिनों में 30 प्रतिशत राशि का भुगतान आबकारी एवं कराधान विभाग कर को करना होगा।


उन्होंने बताया कि व्यापारियों को जागरूक करने के लिए जिले में अभियान चलाए जा रहे है। जिले के व्यापारी कार्यालय में आकर आबकारी एवं कराधान अधिकारी श्री अरूण कुमार (हेल्प डेस्क)से किसी भी कार्य दिवस पर बिक्री कर विभाग में आकर इस योजा की जानकारी व लाभ उठा सकते है।
उन्होंने बताया कि जीएसटी से पहले सात प्रभावी कर अधिनियमों सें संबधित मामलों लिए ब्याज और दंड से छूट के साथ, करों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। उन्होने बताया कि बिना विवाद वाले मामलों में करदाताओं का देय राशि का 100 प्रतिशत बिना दंड व ब्याज क भुगतान करना होगा। 50 लाख रूप्ये से कम के विवादित करोे के लिए करदाताओं को बकाया राशि का 30 प्र्रतिशत भुगतान आवश्यक है।
श्री गुप्ता ने  बताया कि विभाग द्वारा निर्धारित करों के लिए, करदाताओं का जुमार्ने ओर ब्याज से राहत के साथ 50 लाख रूप्ये से कम की राशि के लिए 60 प्रतिशत का भुगतान करना होगा। कर दर अंतर के कारण बकाया राशि के लिए करदाताओं को को कुल देय राशि का केवल 30 प्रतिशत ही भुगतान करना होगा।

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