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सिविल सर्जन की अध्यक्षता में इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के सदस्यों की मीटिंग का किया गया आयोजन

मीटिंग में टीबी के मरीजों की प्राइवेट सेक्टर नोटिफिकेशन के बारे मे विस्तार से बताया गया

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पचंकूला, 28 फरवरी : सिविल सर्जन, डॉ मुक्ता कुमार तथा डॉ मोनिका कोरा, उप सिविल सर्जन की सह अध्यक्षता मे आज रेड बिशप, सेक्टर- 1 में  इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के सदस्यों की मीटिंग का आयोजन किया गया।

   इस अवसर पर  सिविल सर्जन, डॉ मुक्ता कुमार  द्वारा पंचकूला मे टीबी के मरीजों की प्राइवेट सेक्टर नोटिफिके्शन के बारे मे विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि जिला पंचकूला में प्राइवेट सेक्टर द्वारा दिए गए लक्ष्य का 74 प्रतिशत टीबी मरीजों को अधिसूचित किया गया है।
    इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, डॉ राजेश राजू ने सभी सदस्यों को टीबी के डाइग्नोसिस और ट्रीटमेन्ट के बारे मे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला पंचकूला मे सिविल सर्जन डॉ मुक्ता कुमार के मार्गदर्शन मे वयस्क बीसीजी टीकाकरण अभियान की शुरुआत की जिसमे टीबी से बचाव के लिए वयस्क बीसीजी का टीका सभी 5 वर्ष पुराने टीबी मरीजों, 3 वर्ष पुराने टीबी मरीजों के परिजनों, 60 वर्ष से अधिक आयु वाले ,सेल्फ रिपॉरटिड स्मोकर्स , सेल्फ रिपॉरटिड शुगर के मरीज को लगाना शामिल है। इसमे प्राइवेट सेक्टर के जो मरीज है उनको सैंस्ेटाईज करके वयस्क बीसीजी का टीका लगवाने के लिए प्रेरित कर सकते है।


    जिला टी बी अधिकारी, डॉ मोनिका कौरा ने इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के सदस्यों को बताया कि भारत सरकार ने 9 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शरुआत की, जिसके  तहत कोई भी  व्यक्ति संस्था एनजीओ निक्षय मित्र बन सकता है। जिसके अंतर्गत टी बी मरीजों को गोद लेकर  उनकी पोषण सहायता कर सकते है ताकि टी बी मरीज दवा के साथ-साथ खुराक लेकर अपना ईलाज पूरा कर सके।
      सरकार ने टीबी मरीजों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत निक्षय मित्र स्कीम की शुरुआत 9 सितंबर 2022 को राष्ट्रपति द्वारा की गई थी, जिसमे सभी गरीब टीबी मरीजों को सशक्त व्यक्ति,एनजीओ, कारपोरेट सैक्टर, प्राईवेट अस्पताल द्वारा गोद लिया जाता है जिसमे मरीज को हर महीने लगभग 500 रुपये की हाई प्रोटीन डाईट दी जाती है।
   उन्होने  बताया कि जिला पंचकूला मे वर्तमान समय मे लगभग 875 मरीज ट्रीटमेंट पर है जिनमे से लगभग 250 मरीज एडाप्टेड है, प्राइवेट डॉक्टर भी मरीजों को गोद ले सकते है।  पिछले वर्ष आल्कमिस्ट अस्पताल ने 150 मरीजों को गोद लेकर लगातार 6 महीने तक उनको पोषण सहायता दी। उन्होने मौजूद सदस्यों को बताया कि  ऐसे ही आप भी एक उदहारण सेट कर सकते है।
     इस मोके पर डॉ जगदीश गोयल,  डाॅ. एस के  गुप्ता के साथ-साथ आईएमए  के लगभग 70 सदस्य मोजूद रहे।

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