देश के संस्कारों का आधार है संस्कृत - राजकुमार मक्कड़

राज्य स्तरीय दो दिवसीय प्रशामक देखभाल कार्यशाला का  स्वास्थ्य विभाग, पंचकूला द्वारा हुआ शुभारंभ

महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग डाॅ मनीष बंसल ने कार्यशाला में मुख्यातिथि के रूप में करी शिरकत

“यूनाइटेड बाय यूनिक”  थीम पर आधारित है दो दिवसीय कार्यशाला

4 फरवरी को हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री कार्यशाला व प्रशिक्षण शिविर में मुख्यातिथि के रूप में करेगी  शिरकत

For Detailed

पंचकूला, 3 फरवरी राज्यस्तरीय दो दिवसीय पैलेटिव कार्यशाला और प्रशिक्षण शिविर का आज लोक निर्माण विभाग सैक्टर 1 के ओडिटोरियम में महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग डाॅ मनीष बसंल ने दीप प्रज्जवलित करके शुभारंभ किया। श्री मनीष बंसल ने कार्यशाला में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की।

डीजीएचएस ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य चिकित्सा अधिकारियों और फील्ड स्टाफ को घर-आधारित और परिधीय (पेरिफेरल) स्तर पर प्रशामक देखभाल की ट्रेनिंग देना है, जिससे वे कैंसर, गुर्दे की बीमारी, हृदय रोग, स्ट्रोक, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, पुराने घाव और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों की उचित देखभाल कर सकें।
उन्होने बताया कि यह कार्यशाला व प्रशिक्षण शिविर इस वर्ष की थीम “यूनाइटेड बाय यूनिक” के अनुरूप है। यह थीम कैंसर देखभाल और प्रशामक प्रबंधन में सामूहिक प्रयासों के महत्व को दर्शाती है। 4 फरवरी को हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव कार्यशाला में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करेगी।  
श्री बंसल ने बताया कि प्रशामक देखभाल एक विशेष चिकित्सा पद्धति है जो गंभीर और जीवन-सीमा वाली बीमारियों से पीड़ित मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर केंद्रित होती है। यह न केवल शारीरिक लक्षणों (जैसे दर्द और थकान) को दूर करने में मदद करती है बल्कि मरीजों और उनके परिवारों को भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक सहायता भी प्रदान करती है।
उन्होने बताया कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विकास के बावजूद, कई मरीज गंभीर बीमारियों के कारण लंबे समय तक दर्द और तकलीफ झेलते हैं। इसी कारण दुनिया भर में विभिन्न देश प्रशामक देखभाल को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल कर रहे हैं, ताकि मरीजों को गरिमा पूर्ण और दर्द-मुक्त जीवन मिल सके।
कार्यशाला में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
कार्यशाला में डीजीएचएस (पी) डॉ. कुलदीप सिंह सम्माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अलावा, डायरेक्टर डॉ. कुलदीप गौरी और सिविल सर्जन पंचकूला डॉ. मुक्‍ता कुमार भी गणमान्य अतिथियों के रूप में शामिल हुए।
डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज ने राष्ट्रीय प्रशामक देखभाल कार्यक्रम (एनपीपीसी) के महत्व पर प्रकाश डाला, जो मरीजों और उनके देखभालकर्ताओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कार्यरत है।
 इस कार्यक्रम के तहत
– मरीजों को मॉर्फिन और पेन पैच जैसी दर्द निवारक दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं।
– मरीजों और उनके परिवारों को भावनात्मक और मानसिक सहायता प्रदान की जाती है।
– स्वास्थ्यकर्मियों को होम विजिट की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे अस्पताल जाने की आवश्यकता कम हो।
– मरीजों को अस्पताल के बजाय अपने परिवार के बीच अधिक समय बिताने का अवसर मिलता है।

 दो दिवसीय पैलेटिव कार्यशाला और प्रशिक्षण शिविर में डॉ. कुलदीप सिंह, डीजीएचएस (पी) ने रोगी के उपचार के साथ करुणा के एकीकरण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एनपीएनसीडी कार्यक्रम के तहत विभिन्न कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए राज्य द्वारा की जा रही पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवा लोगों को आगे आने और अपने दैनिक सेवा में उपशामक देखभाल को एकीकृत करने के लिए स्वयंसेवक बनने के लिए प्रेरित किया।

सिविल सर्जन डॉ. मुक्‍ता कुमार, जो कि बाल रोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रिशियन) और पंचकूला अस्पताल में बाल रोग विभाग की प्रमुख हैं, ने बाल रोगियों में प्रशामक देखभाल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सहानुभूति (एम्पैथी) और ईमानदार संवाद माता-पिता और परिवारों को इस कठिन समय में संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हरियाणा के विभिन्न जिलों से 120 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों की भागीदारी
इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में हरियाणा के विभिन्न जिलों से 120 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी शामिल हुए। इनमें चिकित्सा अधिकारी, फील्ड स्टाफ और स्वास्थ्य प्रदाता शामिल हैं, जो घर और समुदाय स्तर पर प्रशामक देखभाल सेवाएं प्रदान करते हैं।
कार्यशाला में एआईआईएमएस दिल्ली, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, जीएमसीएच चंडीगढ़ और सिविल अस्पताल पंचकूला के विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्र लिए। विशेषज्ञों ने प्रशामक देखभाल, ऑन्कोलॉजी, दर्द प्रबंधन और समग्र (होलिस्टिक) रोगी सहायता के विषयों पर चर्चा की।
प्रमुख विषय
– टर्मिनली इल मरीजों में दर्द और लक्षण प्रबंधन
– मरीजों और परिवारों के लिए मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक सहयोग
– प्रशामक देखभाल में नैतिक मुद्दे
– होम-बेस्ड प्रशामक देखभाल और परिधीय प्रबंधन के सर्वोत्तम अभ्यास
प्रशामक देखभाल में प्रशिक्षित विशेषज्ञों की भूमिका
इस वर्ष, सिविल अस्पताल पंचकूला की ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुलभा मित्तल आर्या, सर्जन डॉ. निखिल बचाचेस और स्टाफ नर्स महक ने एम्स, नई दिल्ली और जीएमसीएच, चंडीगढ़ में प्रशामक देखभाल में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनका मार्गदर्शन डॉ. सुषमा भटनागर (उत्तर भारत में प्रशामक देखभाल की अग्रणी विशेषज्ञ) और डॉ. वनीता आहूजा (जीएमसीएच, चंडीगढ़) ने किया।
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, ये विशेषज्ञ हरियाणा के विभिन्न जिलों में फील्ड स्टाफ को ट्रेनिंग दे रहे हैं ताकि राज्य में होम-बेस्ड प्रशामक देखभाल सेवाओं को मजबूत किया जा सके।
पंचकूला प्रशामक देखभाल में अग्रणी जिला
पिछले कुछ वर्षों में पंचकूला कैंसर रोगियों के लिए प्रशामक देखभाल में अग्रणी जिला रहा है। यहां एक समर्पित प्रशामक देखभाल वार्ड स्थापित किया गया है, जिससे सैकड़ों मरीजों को लाभ मिला है।
इसके अतिरिक्त, पंचकूला जिला अस्पताल में मुफ्त में कीमोथेरेपी दी जाती है और जरूरतमंद मरीजों के लिए मॉर्फिन एवं दर्द निवारक पैच भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे मरीजों की तकलीफें कम होती हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है।
कार्यशाला का उद्देश्य
यह राज्य स्तरीय कार्यशाला चिकित्सा कर्मियों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इस पहल से हरियाणा में प्रशामक देखभाल सेवाओं को और अधिक मजबूती मिलेगी और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

https://propertyliquid.com