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राज्य में लिंगानुपात में सुधार के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाएं व सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करें

एसएमओ तथा एमओ अपने-अपने सीएचसी/पीएचसी में लिंगानुपात में कमी के लिए जिम्मेदार होंगे

एसटीएफ की बैठक में लिए निर्णय जमीनी स्तर पर हो लागू  

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पंचकूला, 18 अप्रैल- स्वास्थ्य विभाग हरियाणा द्वारा पीडब्ल्यूडी, विश्राम गृह, सेक्टर-1, पंचकूला में एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला सह समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (डीजीएचएस), हरियाणा ने क्षमता निर्माण कार्यशाला सह समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं तथा राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) के संयोजक डॉ. वीरेंद्र यादव  बैठक में उपस्थित थे। पूर्व गर्भाधान तथा प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसी एंड पीएनडीटी) अधिनियम, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम, सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) तथा सरोगेसी अधिनियम के जिला नोडल अधिकारी, हरियाणा के सभी जिलों से औषधि नियंत्रण अधिकारी शामिल हुए।

डीजीएचएस डॉ. कुलदीप सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य में लिंगानुपात में सुधार के लिए सभी जिलों को सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना होगा और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। लिंगानुपात में सुधार के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले कदम और संबंधित वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) और चिकित्सा अधिकारी (एमओ) को उनके संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी)/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) क्षेत्र के लिंगानुपात में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। सभी जिलों को सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) रजिस्टर के अनुसार पिछले 05 वर्षों का गांववार लिंगानुपात डेटा एकत्र करना होगा। हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एसटीएफ की बैठक में लिए गए सभी निर्णय जमीनी स्तर तक लागू होने चाहिए।

स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक और एसटीएफ के संयोजक डॉ. वीरेंद्र यादव ने बैठक की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी नोडल अधिकारियों को पीएनडीटी और एमटीपी अधिनियमों से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए ताकि गड़बड़ी करने वाले केंद्रों के खिलाफ शिकंजा कसा जा सके। सभी औषधि नियंत्रण अधिकारियों (डीसीओ) को अधिकृत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एमटीपी केंद्रों का दौरा करना चाहिए ताकि एमटीपी किटों की किसी भी अवैध बिक्री/स्टॉक की जांच की जा सके। जिलों को राज्य मुख्यालय (एसएचक्यू) के साथ साझा करने से पहले केंद्रों से प्राप्त रिपोर्टों को सत्यापित करना चाहिए। जिन केंद्रों को जिला टीम द्वारा क्लीन चिट दी गई है, वहां राज्य टीम द्वारा उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

राज्य औषधि नियंत्रक ने एमटीपी अधिनियम के कार्यान्वयन और लिंगानुपात में सुधार में औषधि नियंत्रण अधिकारियों की भूमिका के बारे में प्रस्तुति दी और सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ सहयोग और समन्वय पर जोर दिया।

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