*MC Chandigarh takes action against encroachments in Sector 15 Patel Market*

मुख्यमंत्री भावांतर भरपाई और बागवानी बीमा योजना का लाभ उठाए किसान : उपायुक्त अजय सिंह तोमर

– उपायुक्त ने बताया, किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए सरकार की कारगर योजनाएं


सिरसा, 03 मार्च।

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उपायुक्त अजय सिंह तोमर ने कहा कि किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य से सरकार लगातार काम कर रही है और फसलों को होने वाले प्राकृतिक नुकसान को लेकर भी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री भावांतर भरपाई और बागवानी बीमा योजना चलाई जा रही है।


उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं का लाभ उठाकर किसान फसलों को होने वाले प्राकृतिक नुकसान की भरपाई कर सकते हैं और साथ ही उत्पाद के बाद होने वाले जोखिम  को भी कम किया जा सकता है। किसानों की समस्याओं का ध्यान रखते हुए सरकार द्वारा मुख्यमंत्री भावांतर भरपाई योजना और बागवानी बीमा योजना को लागू किया गया है। योजना के माध्यम से किसान फल एवं सब्जियों के उतार चढ़ाव वाले भाव के खतरे से मुक्त हो सकते हैं और सरकार की योजना का लाभ उठाकर उचित दाम प्राप्त कर सकते हैं।


उन्होंने बताया कि किसानों को फसल विविधीकरण के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत मुआवजा व मूल्य के रूप में प्रोत्साहन धनराशि प्रदान करती है। योजना के तहत आलू, फूल गोभी, गाजर, मटर, टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च, बैंगन भिंडी मिर्च, करेला, बंद गोभी, मूली, किन्नू, अमरूद, चीकू, आड़ू, आलू बुखारा, आम, नाशपाती, लीची, आंवला, बेर, लहसुन व हल्दी आदि फसलों को सूचीबद्ध किया गया है। इन सभी फसलों के संरक्षित मूल्य सरकार द्वारा पहले से निर्धारित किए गए है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा निर्धारित संरक्षित मूल्यों से कम बिक्री होने पर जो नुकसान होगा उसकी भरपाई प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को की जाएगी।

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जिला बागवानी अधिकारी डा. रघुबीर सिंह झोरड़ ने बताया उत्पादन से पूर्व होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत उत्पादक किसान इन फसलों का बीमा भी करवा सकते हंै। योजना के तहत सब्जियों व मसालों पर 30 हजार रुपये प्रति एकड़ का बीमा किया जाता है, जिसके लिए किसान को 750 रुपये प्रति एकड़ भुगतान करना होता है। वहीं फलों की खेती पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ का प्रीमियम देखकर किसान 40 हजार रुपये प्रति एकड़ का बीमा करवा सकता है। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए उत्पादक का मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है।