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ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस से इस्तीफा,कमलनाथ सरकार पर संकट

भोपाल:

मध्यप्रदेश की राजनीति में बड़ी उलटफेर हुआ है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद भाजपा का दामन थाम लिया है।

कांग्रेस के अब तक राष्ट्रीय स्तर पर अहम पदों पर रहे और खास तौर पर मध्य प्रदेश के लिए बड़े नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी में आने पर सबसे ज्यादा खुशी आज उनके परिवार के लोगों को हुई ऐसा नजर आ रहा है।

पिछले सात दिनों से प्रदेश की राजनीति में रात-दिन से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच जैसे ही सिंधिया का लिखा हुआ सोनिया के नाम इस्तीफे का पत्र बाहर आया लगा कि खुशी का माहौल सिर्फ भाजपा खेमे में ही नहीं है बल्कि उनके परिवार जनों में भी ज्योतिरादित्य के इस निर्णय से प्रसन्नता है। 

उनके इस निर्णय पर सबसे पहले प्रतिक्रिया उनकी छोटी बुआ के माध्यम से सोशल मीडिया के जरिए सामने आई। पूर्व मंत्री एवं सांसद रहीं यशोधरा राजे ने इस मौके पर कहा कि राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला साथ चलेंगे, नया देश गढ़ेंगे, अब मिट गया हर फासला।

ज्योतिरादित्य महाराजा सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने के साहसिक कदम का मैं आत्मीय स्वागत करती हूँ।

वहीं, उन्होंने मीडिया के बीच अपनी मां और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में रहीं अम्मा महाराज यानी कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया और अपने बड़े भाई स्वर्गीय माधवराव सिंधिया का जिक्र करते हुए कहा कि अम्मा और दादा दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू थे । जब दादा विदेश से पढ़ाई कर भारत आए तो सबसे पहले उन्होंने जनसंघ को ही ज्वाइन किया था। राजमाता साहब की आखिरी ख्वाहिश थी कि भाई महाराज भी वापसी जनसंघ में हो और इसीलिए जब महाराज माधवराव सिंधिया गुना संसदीय सीट से लड़े उगते हुए सूरज से तब अम्मा एवं बीजेपी ने उनके सामने समर्पित ढंग से अपना कोई कैंडिडेट खड़ा नहीं किया था, इस उम्मीद से शायद वह वापस हमारे पास आ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।

उन्होंने कहा कि लेकिन आज जिस तरह से सिंधिया जी ने भाजपा में वापसी की है निश्चित तौर पर इस एक कदम से अम्मा महाराज की आत्मा को आज खुशी हुई होगी । आज उनकी घर वापसी हुई है, यह हमारे लिए खुशी की बात है। कांग्रेस छोड़कर अचानक भाजपा में आने को लेकर बुआ यशोधरा राजे का साफ कहना था कि आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं होता , वहां कुछ ना कुछ आत्मसम्मान से जुड़ा बुरा मामला हुआ होगा और कहीं ना कहीं ज्योतिरादित्य जी के आत्मसम्मान को कांग्रेस में रहते हुए ठेस पहुंचाई गई होगी, तभी उन्होंने इतना बड़ा निर्णय लिया। 

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