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जिला में किसानों व युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है मत्स्य पालन व्यवसाय

जिला में किसानों व युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है मत्स्य पालन व्यवसाय

सिरसा, 11 जुलाई।

जिला में किसानों व युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है मत्स्य पालन व्यवसाय


            जिला में मत्स्य पालन व्यवसाय किसानों व बेरोजगार युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है।  जिन क्षेत्रों में खारे पानी की समस्या है, वहां पर झींगा पालन बहुत ही कारगर है। जिला के सैंकड़ों किसानों ने मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाते हुए मत्स्य पालन अपनाया है। जिला के गांव गुडियाखेड़ा में किसान कृष्ण कुमार व भारत भूषण, कालांवाली के किसान जसवीर सिंह, रिसालियाखेड़ा के किसान रणजीत सिंह, खैरेकां के किसान राकेश कुमार झींगा पालन के माध्यम से न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं बल्कि दूसरों को भी मत्स्य पालन अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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            किसान कृष्ण कुमार व भारत भूषण का कहना है कि वे खेतों में खारे पानी की समस्या से काफी परेशान थे। इस कारण उन्होंने खेती के साथ-साथ अन्य व्यवसाय अपनाने का निर्णय लिया। मत्स्य पालन व्यवसाय के बढ़ावे को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा क्रियांवित योजनाओं के लाभ की बदौलत झींगा पालन का कार्य शुरु किया। मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य पालन पर अनुदान के साथ-साथ प्रशिक्षण भी दिलवाया जाता है जो मछली पालन के दौरान बहुत उपयोगी साबित होता है। उन्होंने योजनाओं के माध्यम से 30 एकड़ में झींगा पालन का कार्य किया हुआ है जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ हुई है। झींगा पालन के लिए विभाग द्वारा अच्छा अनुदान भी दिया जाता है और बाजार में झींगा की मांग भी ज्यादा है।

            इसी प्रकार किसान जसवीर सिंह, रणजीत सिंह व राकेश कुमार ने बताया कि आधुनिक समय में खेती के साथ-साथ बागवानी, पॉल्ट्री फार्म, मछली पालन आदि व्यवसाय अपना कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। सरकार द्वारा क्रियांवित योजनाओं के माध्यम से लाभार्थी को काफी अनुदान मिलता है जो व्यवसाय शुरु करने में सहायक है। विशेषकर बेरोजगार युवा इस तरह के व्यवसाय अपना कर अपनी परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं। स्वरोजगार अपना कर युवा दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करवा सकते हैं। इनका कहना है कि झींगा पालन से उनकी आमदनी में इजाफा हुआ जिससे उनके परिवार की तस्वीर ही बदल गई।

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खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन व्यवसाय आमदनी बढ़ाने में कारगर : उपायुक्त बिढ़ान


            उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ान ने बताया कि मत्स्य पालन को अपनाकर न केवल लोग अपने आपको आर्थिक रूप से सुदृढ बना रहे हैं, बल्कि पंचायतों को भी इससे राजस्व प्राप्त हो रहा है। किसानोंं को मत्स्य पालन के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्ïेश्य से नीली क्रांति योजना के तहत अनेक लाभकारी अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग द्वारा को मत्स्य पालन के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं क्रियांवित की गई है। जिससे किसानों व बेरोजगार युवाओं को न केवल रोजगार के अवसर मिलते हैं बल्कि आर्थिक रुप से भी सुदृढ होते हैं। विभाग द्वारा तालाबों की पट्टïे की धनराशि पर 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर अधिकतम या पट्टïा राशि का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा जाल खरीदने पर अधिकतम 15 हजार रुपये प्रति व्यक्ति पर 50 प्रतिशत, मछली बेचने की थोक व अन्य दुकानों के किराये भी विभाग द्वारा 50 प्रतिशत राशि विभाग द्वारा वहन की जाती है।


            उन्होंने बताया कि अधिसूचित पानियों की नीलामी में 25 प्रतिशत पट्टïा राशि अधिकतम 4 लाख रुपये, खाद्य खुराक के लिए 60 प्रतिशत की दर से 90 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर राशि विभाग द्वारा वहन की जाती है। विभाग द्वारा मत्स्य पालन के लिए प्रशिक्षण की सुविधा भी प्रदान की जा रही है, हिसार स्थित प्रशिक्षण संस्थान में 10 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता दिया जाता है तथा उनके आने-जाने का खर्च भी विभाग द्वारा वहन किया जाता है।

पहले आओ-पहले पाओं के आधार पर किया जाता है पात्र आवेदकों का चयन : अनिल गाबा


            जिला मत्स्य अधिकारी अनिल गाबा ने बताया कि विभाग द्वारा किसानों व युवाओं को मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित व प्रेरित करने के लिए समय-समय पर जागरुक किया जाता है और योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया जाता है। मत्स्य पालन के लिए आवेदन करने वाले पात्रों के चयन के लिए उप निदेशक मत्स्य की अध्यक्षता में जिला मत्स्य अधिकारी, जिला कल्याण अधिकारी व मत्स्य अधिकारी की कमेटी बनाई हुर्ई है, जो प्राप्त आवेदनों पर विचार विमर्श करके आमजन को योजनाओं का लाभ पहुंचाती है। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को अनुदान योजना का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मत्स्य विभाग के माध्यम से दिया जाता है। योजना से न केवल पात्र व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंच रहा है अपितु ग्राम पंचायतें को अपना राजस्व बढाने में मदद मिल रही है। ग्राम पंचायतों को किराये पर दिए गए तालाब से आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि जिला के गांव ओटू में स्थापित राजकीय मत्स्य बीज फार्म से उत्तम क्वालिटी का 17 लाख फिगर्लिंग व 20 लाख फ्राई अर्थात 54 लाख मत्स्य फ्राई उत्पादित कर किसानों को सप्लाई किया जा चुका है। विभाग को मत्स्य फ्राई की सप्लाई से 4 लाख 70 हजार रुपये की आय हुई है।

जलीय कृषि प्रणाली (आरएएस) है मछली पालन का अनोखा तरीका


            जलीय कृषि प्रणाली में पानी का पुन: उपयोग (आरएएस) मछली पालन के लिए एक नया और अनोखा तरीका है, खुले तालाबों और बहते हुए पानी में मछली पालने की पारंपरिक पद्धति के बजाय, यह प्रणाली नियंत्रित वातावरण के साथ इनडोर टैंकों में उच्च घनत्व पर मछली का पालन करती है इस जलीय कृषि प्रणाली में मछली पालन टैंकों के माध्यम से पुनर्चक्रण के लिए पानी को फिल्टर और साफ किया जाता है, इस जलीय कृषि प्रणाली में मूल रूप से उत्पादन में पानी का पुन: उपयोग करके मछली या अन्य जलीय जीवों की खेती के लिए एक तकनीक है प्रौद्योगिकी यांत्रिक और जैविक फिल्टर के उपयोग पर आधारित है।

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