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खारा पानी व लवणीय भूमि में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं : जिला मत्स्य अधिकारी जगदीश चंद्र

सिरसा, 06 अगस्त।

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जिला मत्स्य अधिकारी जगदीश चंद्र ने कहा कि मछली पालन के द्वारा रोजगार सृजन तथा आय में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। ग्रामीण विकास एवं अर्थव्यवस्था में मछली पालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। विशेषकर खारे पानी व लवणीय भूमि वाले क्षेत्रों में झींगा पालन व्यवसाय बहुत ही कारगर है। किसान झींगा पालन व्यवसाय अपना कर 110 से 120 दिन में झींगा का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। नीली क्रांति को बढ़ावा देने व रोजगार सृजन के उद्देश्य से सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के लिए इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत अनुदान व अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला श्रेणी के लिए इकाई लागत का 60 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है।  


वे शुक्रवार को जिला के गांव चोरमार में मत्स्य पालन को लेकर आयोजित चेतना शिविर में उपस्थित किसानों व महिलाओं को संबोधित कर रहे थे। शिविर में किसानों को मत्स्य पालन व्यवसाय अपनाने के लिए प्रेरित किया। इससे पूर्व जिला मत्स्य अधिकारी ने गांव मिठड़ी में किसानों को मत्स्य पालन व्यवसाय की जानकारी दी। इस अवसर पर सीआईएफई लाहली रोहतक से डा. श्रीधर ने सफेद झींगा पालन में आने वाली बीमारियों से बचाव में तकनीकी जानकारी दी। कार्यक्रम में लीड बैंक मैनेजर सुनील कुकरेजा ने किसानों को ऋण संबंधी योजनाओं की जानकारी दी।

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जिला मत्स्य अधिकारी जगदीश चंद्र ने कहा कि वर्तमान समय में मत्स्य पालन विभाग की केंद्रीय प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना जो कि मत्स्य पालकों के लिए बहुत ही फायदेमंद सिद्ध हो रही है। मत्स्य पालन के इच्छुक किसान जमीन पर तालाब बनाने, खारे पानी में मछली पालन, झींगा पालन करने तथा मछली बेचने हेतू वाहन (मोटर साइलिक, साइकिल व थ्री-व्हीलर) खरीदने के लिए अनुदान हेतू मत्स्य विभाग में आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने व मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मत्स्य पालकों को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला सिरसा भौगोलिक दृष्टिकोण से प्रदेश के आखिरी छोर एवं राजस्थान व पंजाब की सीमाओं से लगता हुआ जिला है। जिले में कृषि के लिए भाखड़ा नहर से विभिन्न शाखाओं से व कुछ क्षेत्र की जमीन नीचे ट्यूबवेल के पानी के स्त्रोत से कृषि भूमि सिंचित की जाती है। जिला में जहां-जहां ट्यूबवेल का खारा पानी है व भूमि लवणीय होने के कारण कृषि योग्य नहीं है, ऐसे में खारे पानी वाली लवणीय भूमि में सफेद झींगा पालन व्यवसाय अपनाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।