किसान पराली को न जलाएं, कृषि सयंत्रों से इसका प्रबंधन कर लाभ कमाएं : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि किसान धान की पराली न जलाएं बल्कि विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर दी जा रही मशीनें लेकर लाभ उठाएं। किसानों अपनी समस्याएं फसल वैज्ञानिकों के समक्ष रखें, वे आपकी हर समस्या का समाधान करेंगे। उन्होंने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार अवशेष जलाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है।
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण सोमवार को स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार मे सीआरएम स्कीम के तहत जिला स्तरीय जागरुकता सेमिनार में किसानों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कृषि विभाग के अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने भी किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक किया। सेमिनार में किसानों को पराली न जलाने की शपथ भी दिलवाई गई।
उपायुक्त बिढ़ाण ने किसानों से कहा कि जो किसान व पंचायत पराली को आग नहीं लगाएंगे उन्हें प्रशासन द्वारा जिला स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान कम से कम 10 किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरुक करें ताकि वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसान सीएचसी, स्ट्रा बेलर व व्यक्तिगत कृषि यंत्रों का प्रयोग पराली प्रबंधन के लिए करें जिससे खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखा जा सके व वातारण भी स्वच्छ रह सके। उन्होंने कहा कि पराली में आग लगाने से वायु प्रदूषण से सांस, फेफडों से संबंधित बीमारियां तो होती हैं और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे सिरदर्द और सांस लेने में तकलीफ होती है तथा अस्थमा व कैंसरी जैसी बीमारियां भी हो रही है।
उपायुक्त बिढ़ाण ने किसानों से कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि विभाग द्वारा कृषि यंत्रों पर भारी सब्सिडी दी जाती है, इसलिए किसान इन यंत्रों का उपयोग करके पराली का प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि किसान पराली को न जलाएं बल्कि इसका सही प्रबंधन करके इसे लाभ का जरिया बनाएं। फसल अवशेष को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा इसका उचित निपटान करके इसे खाद में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, किसान इन यंत्रों का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेष जलाने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, वहीं पर्यावरण दूषित होता है। किसान फसलों को न जलाकर पर्यावरण सरंक्षण में सहयोगी बनें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आय में बढ़ोतरी की दिशा में आगे बढ़ें।
जागरुकता सेमिनार में कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसानों को नई-नई तकनीकी जानकारी दी गई ताकि किसान कम लागत में अधिक फसल पैदावार कर सके। इसके अलावा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों के प्रयोग की सलाह भी दी गई। इस अवसर पर उप निदेशक कृषि डा. बाबूलाल, केवीके डा. दवेंद्र जाखड़, डा. नरेश कुमार, एएई धर्मवीर यादव, क्यूसीआई डा. सुभाष चंद्र, एसडीओ सिरसा व डबवाली मौजूद थे।