*राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भगवान धनवंतरी की पूजा*
*वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार*
पंचकूला 30 अक्तूबर – राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, में 9वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें आयुर्वेद के प्राचीन विज्ञान और स्वास्थ्य में उसके योगदान को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान ध्वन्वंतरि पूजा और हवन से हुआ, जिसे विभाग के सहायक प्रोफेसर श्री चंद्र मोहन ने संपन्न कराया। इस पवित्र अनुष्ठान में सभी की समृद्धि और चिकित्सकों के लिए स्वस्थ ऊर्जा की कामना की गई।
संस्थान के संकाय और स्टाफ ने नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का वर्चुअल साक्षात्कार लिया, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 13,000 करोड़ रूपए के स्वास्थ्य पहलों का उद्घाटन किया।
एनआईए पंचकूला में मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसमें हरियाणा के पुलिस महानिदेशक श्री शत्रुजीत कपूर मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रांत अध्यक्ष, आरोग्यभारती पवन गुप्ता हरियाणा और मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राकृतिक उत्पाद विभाग, नाइपर, मोहाली प्रो. संजय जाचक उपस्थित रहेे। संस्थान से डीन प्रो. गुलाब चंद पम्नानी, डीन-इन-चार्ज प्रो. सतीश गंधर्व और डॉ. गौरव कुमार गर्ग डीएमएस ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर, दीप प्रज्वलन और ध्वन्वंतरि वंदना से हुआ। इसके बाद, सहायक प्रोफेसर डॉ. पूजा हसन ने इस अवसर पर आयोजित विभिन्न गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। प्रो. सतीश गंधर्व ने अपने मुख्य वक्तव्य में आयुर्वेद के समग्र स्वास्थ्य सिद्धांतों पर विचार साझा किए, जबकि प्रो. गुलाब चंद पम्नानी ने व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता को प्रेरित किया।
मुख्य अतिथि श्री शत्रुजीत कपूर ने सकारात्मक कार्यों में संलग्न रहने और दूसरों को भी प्रेरित करने का संदेश दिया। इसके बाद संस्थान की गतिविधियों पर एक वीडियो प्रस्तुत किया गया। डॉ. गौरव कुमार गर्ग ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए क्विज प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की, जिन्हें श्री पवन गुप्ता द्वारा पुरस्कृत किया गया।
इसके अतिरिक्त, प्रो. संजय जाचक ने “वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार” पर एक विशेष संगोष्ठी प्रस्तुत की, जिसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के वैज्ञानिक प्रमाण और आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में उनकी भूमिका पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम का समापन प्रो. प्रहलाद रघु द्वारा धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस समारोह ने आयुर्वेद के प्रति गर्व और प्रतिबद्धता की भावना को और भी मजबूत किया।