Centre for Human Rights and Duties, PU commemorated National Legal Services Day

एमएमएमई को प्रोत्साहित करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। इससे 2 लाख एमएसएमई को लाभ पहुंचेगा।

दिल्ली-

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरे होने के बाद पहली बार पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई।

50 करोड़ तक निवेश वाली इकाई एमएसएमई के तहत आएगी।

250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली इकाई भी एमएसएमई के अंतर्गत आएगी।

एमएसएमई के निर्यात का टर्नओवर इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। इससे नए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

सरकार ने 4000 करोड़ रुपये के डिस्ट्रेस फंड को मंजूरी दी।

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बंद हुई एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाने का फैसला लिया गया है।

48 फीसदी निर्यात एमएसएमई की ओर से होता है।

रेहड़ी पटरी वालों के लिए केंद्र सरकार ने पीएम स्व नीति (प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि) का गठन किया है।

फुटपाथ विक्रेताओं समेत रेहड़ी पटरी वालों को 10 हजार रुपये तक कर्ज दिया जाएगा।

सरकार ने किसानों के लिए भी कई अहम फैसले लिए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से जुड़े फैसलों के बारे में जानकारी दी।

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14 फसलों पर किसानों को लागत से 50 से 83 फीसदी ज्यादा कीमत मिलेगी।

धान ज्वार के लिए लागत से 50 फीसदी से ज्यादा दाम मिलेगा।
किसानों के अलावा खेती से जुड़ी अन्य गतविधियों को भी वित्तीय मदद दी है।

80 लाख टन से ज्यादा अनाज लोगों तक पहुंचाया गया।

सरकार ने हर मामले पर संवदेनशीलता से काम किया और इसी वजह से समय पर किसानों ने फसल की कटाई का काम किया।

इसी वजह से किसानों ने देश को बंपर फसल पैदा कर के दी।

खेती से जुड़े काम के लिए 3 लाख तक के अल्पकालिक कर्ज के भुगतान की तिथि 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाई गई है।

किसानों को ब्याज में छूट देने का भी प्रावधान किया जा रहा है।

समय से कर्ज चुकाने पर किसानों को 4 फीसदी दर पर ऋृण मिलेगा।
पिछली बार किसानों को 28 हजार करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी गई।

जल्द ही बचे हुए करीब ढाई करोड़ किसानों को केसीसी योजना के तहत लाया जाएगा।

औसतन 10 से 20 फीसदी लोग बाहर से आकर दूसरे राज्यों में काम करते हैं : गडकरी

इनमें से भी सभी वापस चले गए, यह बात गलत है। ट्रेन शुरू होने के बाद अब ये वापस आना भी शुरू हो गए हैं।

कई बड़े उद्योगों ने मजदूरों के रहने और खाने की भी व्यवस्था की है।
ऐसा नहीं है कि पूरे देश की इंडस्ट्री प्रवासी मजदूरों के भरोसे ही चलती है।

धान की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य अब 1868 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

इसके अलावा ज्वार 2620 रुपये प्रति क्विंटल, बाजरा 2150 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

रागी, मूंग, मूंगफली, तिल, कपास और सोयाबीन के समर्थन मूल्य में भी 50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

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