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सभी को आवास और सामाजिक समरसता सरकार के सामने बड़ी चुनौती

पंचनद शोध संस्‍थान की गोष्‍ठी में विद्वानों के किया मंथन

पंचकूला, 27 मार्च।

पंचनद शोध संस्‍थान के पंचकूला अध्‍ययन केंद्र की ओर से सोमवार को सेक्‍टर 10 स्‍थित गुर्जर भवन में विचार गोष्‍ठी का आयोजन किया गया। गोष्‍ठी में नई सरकार के सामने चुनौतियां विषय पर चर्चा हुई। विषय की प्रस्‍तुति कर रहे विशेषज्ञों ने कहा 2022 तक सभी के लिए आवास की व्‍यवस्‍था करना, आतंरिक सुरक्षा, ऊर्जा के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भरता, धारा 370 को हटाना और जनसंख्‍या के बिगड़ते संतुलन ठीक करना और सभी नागरिकों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवा उपलब्‍ध करवाना बड़ी चुनौतियां हैं। गोष्‍ठी में पंचनद शोध संस्‍थान के कार्यकारी अध्‍यक्ष डॉ. कृष्‍ण सिंह आर्य, निदेशक प्रो. बृजकिशोर कुठियाला सहित बड़ी संख्‍या में शहर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्‍थित रहे।

विषय की प्रस्‍तुति कर रहे क्रीड के प्रोफेसर मनोज तेवतिया ने कहा कि देश के विकास के लिए प्रति व्‍यक्‍ति आय का फार्मूला अब पर्याप्‍त नहीं है। इससे आगे बढ़कर लोगों के रहन-सहन और उनके सुख के स्‍तर का भी आंकलन करना होगा। उन्‍होंने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य बीमा की तरफ पहली बार किसी सरकार का ध्‍यान गया है, लेकिन गरीबी उन्‍नमूलन की दिशा में अभी और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता है। सामाजिक समरसरता के लिए गांवों और शहरों की दूरी को पाटना होगा और इसके साथ ही शहरों की संरचना इस प्रकार करनी होगी जहां गरीब और अमीर एक साथ रह सके। शहरी योजनकारों को गरीबों के पुनर्वास की व्‍यवस्‍था करते वक्‍त उनके स्‍थापित काम-धंधों पर भी विचार करना चाहिए।

हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के उपनिदेशक प्रदीप मलिक ने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ना बड़ी चुनौती है और ऐसा करके ही रावी आदि दरियाओं का पानी पाकिस्‍तान जाने से रोका जा सकता है। नदियों को प्रदूषण से भी बचाना होगा। उन्‍होंने आष्‍युमान भारत योजना को बड़े स्‍तर पर लागू करने की आवश्‍यकता पर बल देते हुए कहा कि अभी ग्रामीण भारत तक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पहुंच पर्याप्‍त नहीं हो सकी है। चिकित्‍सा पेशे से जुड़े अधिकतर विशेषज्ञ महानगरों में रहना चाहते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने में रुचि नहीं ले रहे।

गोष्‍ठी के दौरान खुली चर्चा में प्रबुद्ध नागरिकों ने कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का देने वाली धारा 370 को हटाना आवश्‍यक है। इसके साथ ही बिगड़ रहे जनसंख्‍या के संतुलन को ठीक करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।