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जिला में 7वीं आर्थिक जनगणना के लिए स्थानीय लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में अटल सेवा केन्द्रों के उद्यमियों व प्रगणकों को प्रशिक्षण दिया गया।

सिरसा, 13 अगस्त। 


जिला में 7वीं आर्थिक जनगणना के लिए स्थानीय लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में अटल सेवा केन्द्रों के उद्यमियों व प्रगणकों को प्रशिक्षण दिया गया। 7वीं आर्थिक जनगणना अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में शुरु की जाएगी।

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यह जानकारी देते हुए जिला प्रबंधक सविता अरोड़ा ने बताया कि 7वीं आर्थिक जनगणना के लिए जिला में लगभग 2500 सुपरवाईजर व प्रगणक लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस बार की आर्थिक जनगणना का कार्य जिलाभर में स्थापित सामान्य सेवा केन्द्रों के माध्यम से किया जाएगा। अटल सेवा केन्द्रों के उद्यमी प्रथम चरण में सुपरवाईजर का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि आर्थिक जनगणना के लिए लगाए गए प्रगणक अटल सेवा केन्द्रों के उद्यमियों की देखरेख में सर्वे करेंगे। 
उन्होंने बताया कि इसके लिए पहले भी जिला व ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह प्रशिक्षण दूसरी बार दिया जा रहा है। गत 9 व 10 अगस्त को जिला के 450 वीएलई व प्रगणक को यह प्रशिक्षण दिया गया है। इस मौके पर जिला प्रबंधक गुरजीत कौर व एनएसएसओ विभाग से धर्मवीर मौजूद थे।

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10 जून से शुरू होगा 7वीं आर्थिक जनगणना का कार्य

सिरसा, 5 जून।

जिले में अटल सेवा केंद्र से शुरू होगा 7वीं आर्थिक जनगणना

जिला में 7वीं आर्थिक जनगणना का कार्य आरंभ किया जा रहा है। भारत सरकार सातवीं आर्थिक जनगणना अटल सेवा केंद्र (सीएससी) के माध्यम से शुरू कर रही है। 


इस उद्देश्य के लिए आज स्थानीय पंचायत भवन में भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यन्वयन मंत्रालय तथा सीएससी ई-गवनेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड द्वारा संयुक्त रुप से अटल सेवा केन्द्र संचालकों के जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला सांख्यिकी अधिकारी सुरेंद्र कुमार ने की। इस अवसर पर जिला सूचना अधिकारी सुषमा भी मौजूद थी। 

 इस मौके पर स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर प्रभजोत व आशीष शर्मा ने जिला के सीएससी संचालकों को आर्थिक जनगणना कार्य का विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया। 


                       जिला सांख्यिकी अधिकारी सुरेंद्र कुमार नेे बताया कि भारत में सबसे पहली आर्थिक जनगणना 1977 से शुरू हुई थी। जोकि लगभग हर 5 वर्ष के बाद होती आ रही है। आखिरी जनगणना 2013 में हुई थी। छह जनगणना होने के बाद इस वर्ष 2019 में सातवीं जनगणना है।


                       उन्होंने बताया कि इसमें इकनॉमिक या आर्थिक गणना भी होती है, लेकिन इंसानों की नहीं बल्कि देश में चल रहे हर तरह के कामकाज की, जो किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधि से जुड़ा हो। कोई भी ऐसा कार्य जो आप अपने लिए नहीं करते बल्कि पैसे कमाने के लिए करते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार को देश में रहने वालों की आर्थिक स्थिति, रहन-सहन का पता करना और यह पता करना की देश में छोटे स्तर, मध्यम स्तर और बड़े स्तर के कितने व्यापार चल रहे हैं। लोगों का रुझान किस तरह के व्यापार में है, ताकि जब भी कोई योजना बनानी हो तो सरकार इस जनगणना की मदद से लोगों की जरूरत के हिसाब से एक बेहतर और लाभदायक योजना बना सके। 

 इस मौके पर स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर प्रभजोत व आशीष शर्मा ने जिला के सीएससी संचालकों को आर्थिक जनगणना कार्य का विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया। 


                       जिला सांख्यिकी अधिकारी सुरेंद्र कुमार नेे बताया कि भारत में सबसे पहली आर्थिक जनगणना 1977 से शुरू हुई थी। जोकि लगभग हर 5 वर्ष के बाद होती आ रही है। आखिरी जनगणना 2013 में हुई थी। छह जनगणना होने के बाद इस वर्ष 2019 में सातवीं जनगणना है।

आर्थिक जनगणना को लेकर दिया गया प्रशिक्षण


                       उन्होंने बताया कि इसमें इकनॉमिक या आर्थिक गणना भी होती है, लेकिन इंसानों की नहीं बल्कि देश में चल रहे हर तरह के कामकाज की, जो किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधि से जुड़ा हो। कोई भी ऐसा कार्य जो आप अपने लिए नहीं करते बल्कि पैसे कमाने के लिए करते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार को देश में रहने वालों की आर्थिक स्थिति, रहन-सहन का पता करना और यह पता करना की देश में छोटे स्तर, मध्यम स्तर और बड़े स्तर के कितने व्यापार चल रहे हैं। लोगों का रुझान किस तरह के व्यापार में है, ताकि जब भी कोई योजना बनानी हो तो सरकार इस जनगणना की मदद से लोगों की जरूरत के हिसाब से एक बेहतर और लाभदायक योजना बना सके। 

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