सेना में आज शामिल हो जाएगी स्वदेशी ‘धनुष’ तोप
कानपुर : रेगिस्तान और पहाड़ में दुश्मनों को ध्वस्त करने में सक्षम ‘धनुष’ तोप सोमवार से सेना में शामिल हो जाएगी।
गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) जबलपुर में होने वाले औपचारिक कार्यक्रम में छह धनुष तोप सेना के अफसरों को सौंपी जाएंगी।
इसको आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) और फील्ड गन फैक्टरी ने मिलकर विकसित किया है।
धनुष स्वीडिश तोप बोफोर्स का स्वदेशी संस्करण है। इसके 95 फीसदी से अधिक कलपुर्जे स्वदेशी हैं।
सेना की ओर से हर मौसम के अनुसार किए गए परीक्षण में यह तोप खरी उतरी है।
इसका आयुध निर्माणी कानपुर और फील्ड गन फैक्टरी में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो गया है।
इस संबंध में भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने 19 फरवरी को हरी झंडी दी थी।
2022-23 तक 114 धनुष तोप सेना को सौंप दी जाएंगी।
आयुध निर्माणी बोर्ड के उपनिदेशक व जनसंपर्क अधिकारी गगन चतुर्वेदी ने बताया कि सोमवार को होने वाले कार्यक्रम में सेना को पहली खेप के तौर पर छह धनुष तोप दी जाएंगी।
साल 2000 में आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) ने बोफोर्स की बैरल अपग्रेड करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को दिया था।
फैक्टरी ने देश में पहली बार सात मीटर लंबी बैरल बनाई, जिसे 2004 में सेना ने मंजूरी दी। बैरल पास होते ही तोप बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
इसके बाद 2011 में बोफोर्स तोप की टेक्नोलॉजी और भारत में इसे बनाने की मंजूरी देने के लिए स्वीडन की कंपनी ने 63 महीने का वक्त मांगा।
इस बीच ओएफसी ने भी तोप बनाने का प्रस्ताव सेना को दिया। सेना ने 18 महीने का वक्त दिया था। ओएफसी, फील्ड गन और डीआरडीओ ने रिकॉर्ड समय में बेहतर नई तोप बनाकर सेना को सौंप दी।
70 डिग्री तक मूव किया जा सकता है
– पहाड़ों में छिपे दुश्मनों को तबाह करने की विशेष क्षमता
-पांच तोपों में भारत का धनुष
-बैरल का वजन 2692 किलो
– बैरल की लंबाई आठ मीटर
– रेंज 42-45 किलोमीटर
– दो फायर प्रति मिनट में
– लगातार दो घंटे तक फायर करने में सक्षम
– फिट होने वाले गोले का वजन 46.5 किलो