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Park Grecian Hospital, Mohali Announces Launch of IMARS with Prof. (Dr.) Pawanindra Lal at the Helm

समय पर इलाज से अंग कटने से बचा जा सकता है: डा. एच.के.बाली

News 7 World Exclusive:

पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी हार्ट अटैक से चार गुणा अधिक जानलेवा: डा. एच.के.बाली

पंचकूला, 4 नवंबर : पैरीफैरल आर्टरी की बीमारी तथा शुगर के कारण पैर खराब होने की बीमारी के बारे जागरूकता पैदा करने के लिए पारस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल  पंचकूला के डाक्टरों की टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की। अस्पताल के कार्डियक साइंस के चेयरमैन डा. एच.के.बाली जिनका दिल की बीमारियों के इलाज में 30 वर्ष का अनुभव है तथा 15000 से अधिक कार्डियक इंटरवैशन कर चुके हैं, ने कहा कि पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी रक्त की नाडिय़ोंं से संबंधित बीमारी है। यह दुनिया भर में 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत लोगों को है।

डा. बाली ने बताया कि इस बीमारी में पैरों-हाथों को रक्त की सप्लाई करने वाली नाडिय़ां सिकुड़ जाती हैं तथा रक्त की सप्लाई घट जाती है या बिल्कुल बंद हो जाती है। यह बीमारी आम तौर पर टांगों पर असर डालती है तथा कई बार बाजूओं पर भी असर होता है। कई लोग प्राथमिक लक्षण के समय इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते। हाथ-पैर में दर्द या सुनेपन को वह कई बार उम्र का तकाज़ा कहकर नजरअंदाज कर देते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने से गैंगरीन हो सकती है तथा जिस कारण शरीर का अंग कटवाना पड़ता है।

शुगर व ब्लड सर्कूलेशन रूकावट के कारण भारत में हर वर्ष 80000 हाथ-पैर काटे जाते हैं: डा. एच.के.बाली

डा. एच.के.बाली ने यह भी बताया कि पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी पहले टांगों के बाहर असर डालती हैं। इससे चलने के समय तकलीफ होती है तथा कई बार लेटने के समय भी दर्द रहता है तथा फिर अलसर (फोड़ा) बन जाता है, आखिर में गैंगरीन हो जाती है। पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी अपने आप में कोई बीमारी नहीं, बल्कि यह दिल की बीमारियों कैरीब्रोवेस्कूलर के लिए संकेतक है, जिस कारण मौत भी हो सकती है। इस बीमारी की आधे मरीजों में दिल की बीमारियों वाले लक्षण ही होते हैं। इसका कारण धूम्रपान, बल्ड प्रैशर, हाईपर कलोस्टे्रल तथा परिवारिक हिस्ट्री हो सकता है। इस बीमारी में खून की नाडिय़ों के अंदर चिकनाई आदि जम जाती है , जिस कारण हाथ-पैरों को रक्त की पूरी सप्लाई नहीं हो पाती तथा नाडिय़ां सिकुड़ जाती हैं। इससे हाथ-पैर को आक्सीजन भी पूरी नहीं मिलती। जागरूकता तथा अनुभवी डाक्टरों की कमी के कारण 80000 भारतीय अपने अंग गवा बैठते हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के कारण 90 प्रतिशत केसों में अंग कटवाने से बचा जा सकता है, इसलिए शिक्षा तथा समय पर इलाज की जरूरत है।

देश में शुगर के 70 मिलीयन मरीज हैं, जो 2030 तक 98 मिलियन हो जाएंगे: डा. कपिल छत्तरी

पारस अस्पताल के दिल के रोगों के सीनियर कंस्लटैंट डा. कपिल छत्तरी ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि पीवीडी के इलाज के लिए बहुत सारे विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि यदि चलने-फिरने के समय बहुत ज्यादा दर्द नहीं है, तो इसका इलाज रक्त पतला करने वाली दवाईयों, शुगर कम करके तथा रक्त सप्लाई में इजाफा करके किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आराम की अवस्था में भी दर्द होने तथा अलसर हो जाने की सूरत में तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है।

शुगर के मरीजों के पैरों के पंजे काले होना सिर्फ गैंगरीन का लक्ष्ण नहीं, यह दिल की बीमारी के कारण भी हो सकते हैं: डा. कपिल छत्तरी

डा. कपिल ने बताया कि एंजीयोग्राफी/एंजीयोप्लास्टी से इलाज करके हाथ-पैर काटे जाने से बच सकते हैं। सर्जरी करके भी अंग काटे जाने से बचा जा सकता है। इसके बाद जान बचाने के लिए अंतिम विकल्प अंग काटना ही रह जाता है।

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