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*Chandigarh MC celebrates its foundation day*

किसानों को किया पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित

डबवाली, 5 नवंबर।


                  कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा मंगलवार को पराली प्रबंधन को लेकर उपमंडल कृषि अधिकारी कार्यालय में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।


                  सहायक कृषि अभियंता जसविंद्र सिंह चौहान ने बताया कि कैंप में किसानों को पराली जलाने से पर्यावरण व मानव जीवन पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही किसानों को नवीनतम कृषि यंत्रों से पराली प्रबंधन के तरीकों के बारे में भी अवगत करवाया गया। उन्होंने बताया कि खंड डबवाली में स्थापित कस्टम हायरिंग सैंटरों से किसान रियायती दरों पर किराए पर कृषि यंत्र लेकर पराली प्रबंधन कर सकते हैं। इसके अलावा विभाग द्वारा सौ स्ट्रा बेलर यूनिट (स्ट्रा बेलर, हे-रेक तथा स्लैशर/शर्ब मास्टर) अनुदान पर दिए जा रहे हैं। जागरूकता शिविर में कस्टम हायरिंग सैंटरों के प्रतिनिधियों ने किसानों को पराली में आग न लगाने व गेहूं की बिजाई के लिए उन द्वारा हैप्पी सीडर बिल्कुल फ्री उपलब्ध करवाया जाएगा। इस मौके पर किसानों को पराली न जलाने की शपथ भी दिलवाई गई।

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10 सालों में किसानों पर 300 प्रतिशत ऋण बढ़ा , डिफाल्टर किसानों की संख्या में भी 350 फीसदी का इजाफा

चंडीगढ़: 

हरियाणा में फसल बीमा योजना व अन्य कृषि कल्याण योजनाएं लागू होने के बावजूद राज्य के किसानों के ऊपर कृषि ऋण भी बढ़ रहा है और डिफाल्टर किसानों की संख्या भी बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्ष 2017- 18 में लागू हुई थी। तब से मार्च 2019 तक के दो वर्ष के कार्यकाल में किसानों पर कृषि ऋण 7913 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ 53954 करोड़ रुपये हो चुका है।

यानि डिफाल्टर किसानों की संख्या और राशि भी लगातार बढ़ी है।  दो वर्ष में डिफाल्टर राशि 2420 करोड़ की वृद्धि के साथ 5878 करोड़ हो चुकी है और किसानों पर मार्च 2019 तक , कुल कृषि ऋण 53954 करोड़ रुपये है।

राज्य में सत्ताधारी भाजपा सूत्रों  के अनुसार आगामी विधान सभा चुनावों में चुनाव घोषणा पत्र में पार्टी किसानों के कल्याण के लिए किसी न किसी योजना की घोषणा करेगी।

हालांकि कृषि ऋण को लेकर हरियाणा में चल रही योजनाओं से किसानों की स्थिति में गिरावट कम हुई है लेकिन ऋण और डीफॉल्ट राशि बढ़ी है।राज्य के बैंकों द्वारा उपलब्ध करवाए आंकड़ों में इस बात की पुष्टि होती है कि किसानों पर ऋण का बोझ लगातार बढ़ रहा है।

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दस वर्ष पहले की बात की जाये तो वर्ष 2009  के दिसंबर माह में किसानों का बैंक ऋण 17986 करोड़ था, जो 10 वर्षों के सफर में 53954 करोड़ रुपये तक आ पहुंचा है। करीब 300 प्रतिशत अधिक। केवल क़र्ज़ ही नहीं बल्कि किसानों की ऋण अदा करने की क्षमता भी कम हुई है।

पांच वर्ष पहले 2014 में 1. 39 लाख किसान ऐसे थे , जो ऋण की किश्तें चुका पाने में अक्षम रहे और बैंकों ने उन्हें 1615 करोड़ रुपये ऋण का डिफाल्टर घोषित कर दिया।

ये आंकड़ा कम नहीं हुआ।  मार्च 2019 तक किश्तें न चुका पाने वाले किसानों की संख्या 1,72,673 हो गई और डीफॉल्ट राशि 350 प्रतिशत से अधिक , 5878 करोड़ तक पहुंच गई।

डिफाल्टर होने की रफ़्तार भी 11 प्रतिशत की तेज़ी से बढ़ी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का इस बारे में कहना था कि सरकार इस ओर तेज़ी से बढ़ रही है कि कैसे वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जाये।

कहा कि अतीत की सरकारों की नीतियों की वजह से किसानों की ऐसी हालत हुई है। जबकि भाजपा सूत्रों का दावा है कि देश में किसान कल्याण की चल रही योजनाओं के अलावा आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी अपने घोषणा पत्र में किसानों के कल्याण के लिए अन्य योजनाएं लाने की भी तैयारी कर रही है। 

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हैफेड द्वारा बरवाला तहसील क्षेत्र के किसानों की सरसों की फसल रायपुररानी अनाजमंडी में खरीदी जा रही है

पंचकूला, 12 अप्रैल-

हैफेड द्वारा बरवाला तहसील क्षेत्र के किसानों की सरसों की फसल रायपुररानी अनाजमंडी में खरीदी जा रही है।

यह जानकारी देते हुए हैफेड के एक प्रवक्ता ने बताया कि एक किसान 25 क्विंटल सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकता है। उन्होंने बताया कि बरवाला तहसली क्षेत्र के किसान 15 से 19 अप्रैल तक रायपुररानी अनाजमंडी में सरसों की फसल बेच सकते है। उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल को बरवाला तहसील के गांव मौली, गोलपुरा, टाबर, बागवाली, बागवाला, भगवानपुर व भरैली में, 16 अप्रैल को फतेहपुर, विरान, भगराना, नयागांव, टोडा, नटवाल, जासपुर, ककराली में, 17 अप्रैल को बहबलपुर, बतावड, रिहावड, खटौली, सुखदर्शनपुर, बटवाल, ठंडारड में, 18 अप्रैल को बटवाला, सुल्तानपुर, जलौली, नग्गल, कामी, सुंदरपुर, अलीपुर  और प्लासप गांव के किसान अपनी फसल बेच सकते है। उन्होंने बताया कि 19 अप्रैल को बरवाला तहसील के ऐसे किसान जो 15 अप्रैल से 18 अप्रैल तक किसी कारणवश अपनी सरसों की फसल नहीं बेच पायेंगे, वे बरवाला मंडी में अपनी फसल बेच सकते है। 

उन्होंने बताया कि किसान को फसल बेचने के लिये गिरदावरी रिपोर्ट, किसान बैंक खाते की पासबुक की फोटो प्रति, बैंक का आईएफएस कोड साथ लाना होगा। इसके अलावा व्यक्तिगत पहचान के लिये आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड अथवा किसान क्रेडिट कार्ड जैसे कोई एक दस्तावेज लाना होगा। संबंधि गांव के पटवारी इन तिथियों में किसानों के सहयोग के लिये रायपुररानी अनाजमंडी में उपस्थित रहेंगे। 

पुलवामा हमले के बाद किसानों ने टमाटर को पाकिस्तान नहीं भेजने का फैसला किया

पूरा देश इस समय सरकार के साथ खड़ा है।देश सबसे बड़ा है, आम लोगों से लेकर कारोबारियों, व्यापारियों और किसानों में भारी गुस्सा है।अगर हमारे पांच रुपए के टमाटर की कीमत 80 रुपए मिले तो भी हम इसे पाकिस्तान नहीं भेजेंगे।

देश की सीमाओं अपनी जान गंवाने वाले वीर जवानों के सम्मान में ये ऐलान है खेतों में पसीने से फसल उपजाने वाले किसानों का।

हर कोई अपने-अपने तरह से इस हमले का बदला लेना चाहता है। इसी कड़ी में कारोबारियों ने जहां पाकिस्तान से आए सीमेंट के कंटेनरों को लौटा दिया है, वहीं किसानों ने टमाटर को पाकिस्तान नहीं भेजने का फैसला किया है।

पुलवामा हमले के बाद छत्तीसगढ़ के किसानों ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए सब्जियों और फलों की आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर दी है।

साथ ही ऐलान किया है कि जिस टमाटर की कीमत यहां 5 रुपए मिल रही है, उसकी कीमत 80 से 100 रुपए होने के बाद भी वे पाकिस्तान के लिए उत्पाद नहीं भेजेंगे।

छत्तीसगढ़ से हर दिन 15 से 20 ट्रक टमाटर, हरी मिर्च समेत अन्य सब्जियां दिल्ली और पंजाब के रास्ते पाकिस्तान जाती थी, लेकिन अब प्रदेश के सब्जी विक्रेताओं ने अपने उत्पाद पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया है।

इससे हर दिन किसानों और सब्जी विक्रेताओं को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। टमाटर को सड़कों पर फेंकने की स्थिति निर्मित हो रही है, इसके बावजूद सब्जी विक्रेता अपना माल पाक के लिए भेजने तैयार नहीं हैं।

उसके बाद इस्लामाबाद से आने वाली सभी तमाम चीजों पर 200 फीसद आयात शुल्क लगा दिया है। इससे पाकिस्तान के निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा और आने वाले दिनों में इसका और भी असर देखने को मिलेगा।पाकिस्तान की इस कायराना हरकत से भारतीय कारोबारियों और व्यापारियों में भी भारी गुस्सा है। 

प्रदेश की सबसे बड़ी सब्जी मंडी डूमरतराई के सब्जी विक्रेताओं का कहना है, पूरा देश इस समय सरकार के साथ खड़ा है और सरकार आर्थिक नाकेबंदी के माध्यम से पाकिस्तान का कमर तोड़ने की कोशिशों में जुटी है।

ऐसे में वहां माल भेजना ठीक नहीं है। इसीलिए यह निर्णय़ लिया है कि कम कीमत पर अपने माल यहीं खपाएंगे, लेकिन किसी भी सूरत में पाकिस्तान के लिए माल नहीं भेजेंगे।

लेकिन किसानों और सब्जी विक्रेताओं का हौसला ही है, जो देश की सुरक्षा और अस्मिता के लिए नुकसान भी सहने को तैयार हैं।

कारोबारियों की मानें तो हर दिन प्रदेशभर से 400 टन टमाटर पाकिस्तान के लिए लोड होता था। सीमा पर तनाव के बाद से यह पूरी तरह बंद है।

पैसों में इसका आंकलन किया जाए, तो कीमत 14 से 20 लाख होता है। इसी तरह दूसरी सब्जियों की आपूर्ति भी पूरी तरह बंद है।

जबकि सामान्य दिनों में छत्तीसगढ़ से टमाटर, आलू जैसे उत्पाद पाकिस्तान भेजे जाते रहे हैं।पाकिस्तान की इस कायराना हरकत से भारतीय कारोबारियों और व्यापारियों में भी भारी गुस्सा है। 

पाकिस्तान में कई जगह 200 रुपये किलो तक टमाटर बिकने की खबरें मिल रही हैं। टमाटर की कीमत बढ़ने से लोग बेहाल हो गए हैं। हफ्तेभर के अंदर टमाटर में करीब 100 रुपये तक का उछाल आया है।

लेकिन किसानों और सब्जी विक्रेताओं का हौसला ही है, जो देश की सुरक्षा और अस्मिता के लिए नुकसान भी सहने को तैयार हैं।पूरा देश इस समय सरकार के साथ और पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा है।