RBI: मोदी सरकार का तोहफा, रेपो रेट 9 साल में सबसे कम,सस्ता हो सकता है लोन

बड़ी खबर
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की
RBI: मोदी सरकार का तोहफा, रेपो रेट 9 साल में सबसे कम,सस्ता हो सकता है लोन
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि लगातार तीसरी बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करना समय के अनुकूल है तथा निर्णायक है। उन्होंने कहा कि यह कदम आर्थिक वृद्धि को लेकर उभर रही चिंताओं को दूर करने के लिये उठाया गया है। दास ने कहा कि नीतिगत रुख को तटस्थ से बदलकर नरम किया जाना इस बात का संकेत है कि रेपो दर में वृद्धि पर फिलहाल विचार नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ हुआ कि मौद्रिक नीति समिति की आने वाली बैठकों में या तो रेपो दर को यथावत रखा जाएगा या इसमें और कटौती संभव है। दास ने कहा कि वित्तीय प्रणाली में करीब एक साल से तरलता की कमी की स्थिति थी जो अब इफरात में है।
उन्होंने हर सकारात्मक उद्देश्य के लिये पर्याप्त तरलता सुनिश्चित बनाये रखने की भी बात की। रिजर्व बैंक ने वृद्धि के समक्ष चुनौतियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान 7.20 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया। यह ध्यान देने योग्य बात है कि पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत के अनुमान से कम रही है तथा चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर 5.80 प्रतिशत पर आ गयी।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों को तोहफा
इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों को भी आरबीआई की बैठक से खुशखबरी मिली है. दरअसल, रिजर्व बैंक ने RTGS और NEFT लेनदेन पर लगाए गए शुल्क को हटा दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब RTGS और NEFT के जरिए ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों को किसी भी तरह का एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा.
दास ने नीतिगत समीक्षा के निष्कर्षों की घोषणा के बाद कहा कि रेपो दर में कटौती पर समिति के सभी सदस्यों का एकमत होना यह दिखाता है कि मौद्रिक नीति समिति आर्थिक वृद्धि की चिंताओं को दूर करने के लिये निर्णायक तौर पर और समय पर काम करती है। नीतिगत रुख तटस्थ से नरम किये जाने के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा, इसका मतलब है कि अभी दर में वृद्धि पर विचार नहीं किया जाने वाला है। उन्होंने कहा कि नरम रुख का मतलब हुआ कि दर में वृद्धि का विचार अभी नहीं हैं।” हालांकि उन्होंने तुरंत ही यह भी जोड़ा, इसका यह मतलब नहीं कि निश्चित तौर पर आगे दर में और कटौती की जाने वाली है। मानसून के खराब रहने की स्थिति में यदि आर्थिक वृद्धि को सहारा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की चुनौती सामने आ जाए तो ऐसे में रिजर्व बैंक की प्राथमिकता क्या होगी, यह पूछे जाने पर दास ने सपाट जवाब दिया कि मौसम विभाग ने मानसून के सामान्य रहने का पूर्वानुमान जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षित खाद्य भंडार देश की खाद्य जरूरतों की तुलना में 3.40 गुणा है। उन्होंने यह बताकर संकेत देना चाहा कि बारिश के खराब रहने के बाद भी मुद्रास्फीति नरम रह सकती है। वास्तविक ब्याज दर के बारे में पूछे जाने पर दास ने स्पष्ट आंकड़ा देने से इनकार किया। उन्होंने लोगों से यह अनुमान लगाने को कहा कि किस तरह से रिजर्व बैंक खाई को पाट रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति की दर और बैंकों की ब्याज दर के अंतर को वास्तविक ब्याज दर कहा जाता है।
Watch This Video Till End….
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!