Due to obesity, loss and prevention methods

बच्चों में मोटापा  एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह इसलिए गंभीर है कि इससे बच्चों के उन बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है, जिन्हें पहले वयस्कों की बीमारी माना जाता था जैसे डायबिटीज (Diabetes), हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और हाई कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol) । मोटापे के कारण बच्चों के अवसादग्रस्त (Depression)  होने की आशंका भी बढ़ जाती है।  मोटापा ना केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि इसका प्रभाव उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास पर भी पड़ता है। 

बच्चों में बढ़ता मोटापा       

बच्चों में मोटापा एक महामारी की तरह फैल रहा है। आजकल बच्चों की शारीरिक सक्रियता लगभग खत्म या बहुत कम हो गई है। खेलने के लिए खुले स्थान ही नहीं बचे हैं, फ्लैट कल्चर के पनपने, टीवी, वीडियो गेम, मोबाइल, कंप्यूटर के प्रचलन और पढ़ाई के बढ़ते बोझ ने बच्चों  को चारदीवारी में कैद कर दिया है। जीवनशैली बदलने से खान-पान का तौर-तरीका भी बदल गया है, बच्चे क्वालिटी फूड की बजाय फास्ट फूड के रूप में अत्यधिक कैलोरी खा रहे हैं लेकिन उसे ठीक तरह से पचा नहीं पाते और इसका सीधा संबंध वजन बढ़ने से होता है। ज्यादा वसा युक्त खाने से बचपन से ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने लगता है। नमक का सेवन बढ़ने से छोटी उम्र में ही उच्च रक्तचाप की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है।   

मोटापे के दुष्प्रभाव    

मोटापा एक ऐसी समस्या है, जिसे कई गंभीर बीमारियों की जड़ माना जाता है। बच्चों में मोटापा बढ़ने से ना सिर्फ उनका शारीरिक विकास बल्कि मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। इसके अलावा उन्हें कई और गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

मोटापे से हार्मोन में असंतुलन हो सकता है। इससे बच्चों  में यौवनावस्था समय से पूर्व प्रारंभ हो सकती है।-उनके आंतरिक अंगों का विकास प्रभावित होता है। 

बचाव के तरीके       

  • बच्चों को फास्ट फूड और फैटी फूड्स की बजाय घर का बना खाना खिलाएं।
  • अंकुरित अनाज खिलाएं, शरीर इनको आसानी से ग्रहण कर लेता है। 
  • बच्चों के भोजन में फलों और सब्जियों को शामिल करें। उनके भोजन में एक तिहाई फल-सब्जियां और दो तिहाई अनाज होना चाहिए।
  • उन्हें स्वास्थ्य  के प्रति जागरूक बनाएं। ताड़ासन, पदमासन और भुजंग आसन जैसे सामान्य योगासन करने की आदत डालें। 
  • सॉफ्ट ड्रिंक की बजाय ताजे फलों का जूस या साबुत फल दें।-बच्चों को ज्यादा टीवी न देखनें दें। खुली जगह में खेलने दें।
  • निश्चित समय पर और उचित मात्रा में खिलाएं।
  • बच्चों को ऐसा भोजन खिलाएं, जिसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक और शुगर की मात्रा कम होनी चाहिए। 
  • बच्चों को हमेशा छोटी प्लेट में खाना दें, इससे उसकी मात्रा अधिक लगेगी और वे कम खाएंगे।
  • उन्हें टीवी के सामने बैठकर न खाने दें, धीरे-धीरे चबाकर खाने की आदत डालें। 
  • बच्चे देखकर सीखते हैं इसलिए सबसे जरूरी है, अपनी खान-पान की आदतें सुधारें।
  • बच्चों को देर रात तक टीवी न देखने दें उनका सोने और उठने का एक समय निर्धारित कर दें। कम सोने से हार्मोन और मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन हो जाता है, इससे भी भार बढ़ता है।
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