कच्चे आम का अचार बनाने की विधि
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आपने अक्सर घर के बड़ों को अचार से पानी को दूर रखने वाली हिदायत को जरूर सुना होगा।
क्योंकि अक्सर अचार में पानी पड़ने से खराब हो जाता है।
आमतौर पर अचार को पानी से दूर रखा जाता है। क्योंकि अक्सर अचार में पानी पड़ने से खराब हो जाता है। ऐसे में अगर हम आपको पानी वाले कच्चे आम के अचार के बारे में बताएं, तो शायद आपको यकीन नहीं होगा।
कच्चे आम का अचार रेसिपी सामग्री
कच्चे आम – 350 ग्राम
पीली सरसों – 50 ग्राम (दरदरी कुटी हुई)
नमक – स्वादानुसार
सरसों का तेल – ¼ कप
सौंफ पाउडर – 2 टेबल स्पून
लाल मिर्च पाउडर – 1 टेबल स्पून
सफेद सिरका – 2 टेबल स्पून
हल्दी पाउडर – 2 चम्मच
मेथी दाना – 1 चम्मच
राई के दाने – 1 चम्मच
सौंफ – 1 चम्मच
हींग – ¼ चम्मच
कच्चे आम का अचार रेसिपी सामग्री
- कच्चे आम का पानी वाला अचार रेसिपी बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे आम को अच्छी तरह से साफ पानी से धोकर, साफ कपड़े से पोंछ लें।
- इसके बाद आम को चाकू की मदद से काट लें और गुठली को अलग कर दें।
- अब एक बड़े बर्तन में दरदरी कुटी पीली सरसों, दरदरी कूटी हुई सौंफ, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, नमक और पानी डालकर सभी चीजों को अच्छे से मिक्स कर लें।
- इसके बाद मसाले में आम के टुकड़ों को डालकर मिक्स कर लें।
- अब एक पैन में तेल डालकर गर्म करें, फिर उसमें मेथी, राई के दाने, हींग डालकर भूनें और सिरके के साथ आम के अचार के मिश्रण में डालकर मिक्स कर लें।
- अब कच्चे आम के पानी वाले अचार को एक कांच की बर्नी या कंटेनर में भरकर 3-4 दिनों के लिए धूप में रखें। रोजाना अचार को हिलाते रहें। जिससे मसाले अचार में अच्छे से मिक्स हो सकें।
- अब तैयार यानि कच्चे आम के पानी वाले अचार के नरम होने पर अपने मनपसंद खाने के साथ खाएं।
Google ने डूडल बनाकर लुसी विल्स के 131 वें जन्मदिन को मनाया
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Google ने डूडल
Google अपने 131 वें जन्मदिन पर Google डूडल के साथ अंग्रेजी हेमेटोलॉजिस्ट लुसी विल्स के जीवन और कार्य का जश्न मना रहा है।
उसे प्रसवपूर्व एनीमिया की रोकथाम के लिए अग्रणी अनुसंधान के लिए याद किया जाता है, 1888 में इंग्लैंड में पैदा हुआ था।
खोज की दिग्गज कंपनी ने एक मेज पर लूसी विल्स के साथ एक डूडल और रोटी के कुछ टुकड़े और उसकी मेज पर एक कप चाय समर्पित की।
आज का डूडल अंग्रेजी के हेमटोलॉजिस्ट लुसी विल्स को मनाता है, जो अग्रणी मेडिकल शोधकर्ता हैं, जिनके जन्मपूर्व एनीमिया के विश्लेषण ने हर जगह महिलाओं के लिए निवारक जन्मपूर्व देखभाल का चेहरा बदल दिया,” Google ने कहा।
लूसी विल्स का जन्म 10 मई 1888 को यूनाइटेड किंगडम में बर्मिंघम के पास सुटन कोल्डफील्ड में हुआ था। विल्स पिता ओवेन्स कॉलेज मैनचेस्टर के विज्ञान स्नातक थे।
वैज्ञानिक मामलों में परिवार की गहरी रुचि थी। लुसी विल्स के परदादा, विलियम विल्स, ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस से जुड़े थे और उन्होंने मौसम विज्ञान और अन्य वैज्ञानिक टिप्पणियों पर पत्र लिखे थे।
1911 में, उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के न्यूहैम कॉलेज में वनस्पति विज्ञान और भूविज्ञान में पहला सम्मान अर्जित किया, महिलाओं को शिक्षित करने के मामले में एक और संस्था, इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वुमन, महिला डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने वाला ब्रिटेन का पहला स्कूल था।
हालांकि, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में एक नर्स के रूप में काम करने वाली एक स्टेंट ने उन्हें चिकित्सा में कैरियर का फैसला करने के लिए प्रेरित किया, जो केवल हाल ही में इंग्लैंड में महिलाओं के लिए एक विकल्प था।
वह लंदन लौटीं और लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वूमेन, इंग्लैंड की पहली मेडिकल स्कूल फॉर वूमेन (बोडेन 2001) में प्रवेश किया और 1920 (Roe 1978) में लंदन विश्वविद्यालय के माध्यम से अपनी मेडिकल डिग्री प्राप्त की।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह इमरजेंसी मेडिकल सर्विस में पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट थीं। जुलाई 1944 में कुछ दिनों के लिए पैथोलॉजी विभाग में काम बाधित हो गया (और कई लोग मारे गए) जब अस्पताल को वी 1 फ्लाइंग बम का सीधा झटका लगा।
युद्ध के अंत तक, वह रॉयल फ्री में पैथोलॉजी की प्रभारी थीं और उन्होंने वहां पहले हेमटोलॉजी विभाग की स्थापना की थी।
अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, लुसी विल्स ने बड़े पैमाने पर यात्रा की, जिसमें जमैका, फिजी और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, पोषण और एनीमिया पर अपनी टिप्पणियों को जारी रखा।
लुसी विल्स 1928 और 1933 के बीच भारत में थे, जो ज्यादातर बॉम्बे में हाफकीन इंस्टीट्यूट में थे।
1929 की गर्मियों में, अप्रैल से अक्टूबर तक, उन्होंने अपना काम कुन्नूर के भारतीय पाश्चर संस्थान (जहाँ सर रॉबर्ट मैकक्रिसन पोषण अनुसंधान निदेशक था) में स्थानांतरित कर दिया, और 1931 की शुरुआत में वे मद्रास में जाति और गोशाला अस्पताल में काम कर रही थीं ।
1930, 1931 और 1932 के प्रत्येक ग्रीष्मकाल में वह कुछ महीनों के लिए इंग्लैंड लौट गई और रॉयल फ्री में पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं में अपना काम जारी रखा।
Fani Cyclone : ओडिशा के तट से टकराएगा, सबसे भीषण तूफान, जानिए आगे ?
/0 Comments/in Bihar, Chandigarh, Delhi, Entertainment, Haryana, Himachal Pradesh, History, Madhya Pradesh, Mohali, Mumbai, National, Panchkula, Politics, Punjab, Rajasthan, Sirsa, States, Tricity, Uttar Pradesh, Uttarakhand, World/by News 7 Worldओडिशा :

Fani Cyclone : तटीय ओडिशा में चक्रवात फैनी की वजह से बारिश और तेज हवाएं चलने के बीच करीब 12 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
साथ ही लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है। यह तूफान पुरी के पास सुबह साढ़े नौ बजे दस्तक देगा। अत्यंत प्रचंड च्रकवात ओडिशा के तट की ओर बढ़ रहा है और यह अनुमानित समय दोपहर बाद तीन बजे से बहुत पहले ही सुबह में तटीय क्षेत्र से टकराएगा।
इस बीच, मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय तटरक्ष बल और नौसेना ने भी राहत इंतजाम में अपने पोत और कर्मियों को तैनात किया है।
तट रक्षक बल ने ट्वीट कर कहा कि चक्रवाती तूफान फैनी को देखते हुए 34 राहत दलों और चार तटरक्षक पोतों को राहत कार्य के लिए तैनात किया गया है।
बता दें कि फैनी तूफान के कारण लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। तटीय इलाके के लोगों को दूसरी जगह पर भेज दिया गया है। ओडिशा के भुवनेश्वर हवाई अड्डे (बीबीआई) से गो-एयर की सभी उड़ानें तीन मई 2019 तक रद कर दी है।
राज्य के मुख्य सचिव ए पी पधी ने कहा कि चक्रवात के धार्मिक नगरी पुरी के बेहद करीब शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे पहुंचने की आशंका है और इसके यहां टकराने की पूरी प्रक्रिया चार-पांच घंटे की होगी।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोगों से अपील की है कि वे इस दौरान घरों के अंदर ही रहें और कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं।
ओडिशा सरकार द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का कार्य पहले से ही किया जा रहा है। सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जा रहे लोगों के रहने के लिए लगभग 900 तूफान आश्रय स्थल पहले ही तैयार कर लिए गए हैं।
भारतीय मौसम विभाग ने आगाह करते हुए कहा कि लगभग 1.5 मीटर ऊंची तूफानी लहर उत्पन्न होने की प्रबल आशंका है, जिससे तटीय क्षेत्र से तूफान के टकराने के समय ओडिशा के गंजाम, खुर्दा, पुरी और जगतसिंहपुर जिलों के निचले तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है।
कैबिनेट सचिव ने राज्यों एवं केन्द्र की विभिन्न एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि असुरक्षित क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्थानों एवं तूफान संबंधी आश्रय स्थलों पर पहुंचाया जाए और आवश्यक खाद्य पदार्थों, पेयजल एवं दवाओं का इंतजाम किया जाए।
भारतीय तट रक्षक बल और भारतीय नौसेना ने राहत एवं बचाव कार्य के लिए पोतों तथा हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है जबकि भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना को तीन राज्यों में तैयार रहने को कहा गया है।
कैबिनेट सचिव ने आम जनता के लिए एक केन्द्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने केन्द्रीय मंत्रालयों से नियंत्रण कक्ष स्थापित करने को कहा है, ताकि राहत एवं बचाव कार्यों में समुचित समन्वय स्थापित किया जा सके।
आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है
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दुनियाभर में 1 मई का दिन अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
World Labor Day 2019
जो हर बाधा को करता है दूर, उसका ङटकर मुकाबला करता है, उसका नाम है मज़दूर !
मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं!
मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल तमाम मजदूर अधिकारों का आज छीनने का दौर चल रहा है।
आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है ,
मजदूर दिवस।
आज ही के दिन 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने पूंजीवादी शोषण के खिलाफ और काम के घंटे निर्धारित किये जाने, यूनियन बनाने के अधिकार समेत तमाम मजदूर अधिकारों के लिए ऐतिहासिक हड़ताल की थी।
इस हड़ताल पर बर्बर दमन ढाया गया। कई दिनों तक चले संघर्ष में कई मजदूर हताहत हुए और 8 मजदूर नेताओं को तो एक साल बाद नवम्बर 1887 में फांसी पर चढ़ा दिया गया।
8 घंटे का कार्यदिवस जो पूरी दुनिया मे लागू हुआ, उस अधिकार के लिए मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास का प्रतीक दिन है-मई दिवस। भारत में भी मजदूर अधिकारों के संघर्षों की लंबी परम्परा है।
उसके बाद निरन्तर कपड़ा मिलों, जूट मिलों समेत तमाम कारखानों में मजदूर अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे और हड़ताल को संघर्ष के सब से प्रभावी हथियार के तौर पर उपयोग में लाते रहे।
1908 में देश के मजदूरों ने पहली राजनीतिक हड़ताल की। लोकमान्य तिलक को जून 1908 में अंग्रेजों ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के खिलाफ हजारों मजदूर सड़कों पर उतर आए। जुलाई के महीने में जब मुकदमें की कार्यवाही शुरू हुई तो मजदूरों का संघर्ष और तीखा हो गया।
रूस के क्रांतिकारी नेता कामरेड लेनिन ने इस हड़ताल का स्वागत किया और कहा कि तिलक की गिरफ्तारी के खिलाफ उभरा मजदूरों का यह संघर्ष और उससे पैदा हुए वर्ग चेतना अंग्रेजी साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर देगी।
मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल तमाम मजदूर अधिकारों का आज छीनने का दौर चल रहा है। 8 घण्टे काम का अधिकार हो या यूनियन बनाने का अधिकार, सब धीरे-धीरे खत्म किये जा रहे हैं।

वाइट कॉलर नौकरीपेशा लोगों की एक बड़ी जमात है, जो स्वयं को मजदूर कहलाना पसंद नही करती, लेकिन पूंजी के शोषण की भरपूर मार झेलती है।
मजदूर अधिकारों और श्रम कानूनों पर हमले के इस दौर में अथाह कुर्बानियों से हासिल इन अधिकारों को बचाने के लिए मजदूरों के एकताबद्ध संघर्ष ही एकमात्र रास्ता हैं।
दुनिया में मजदूर अधिकारों का संघर्ष और भारत मे मजदूर अधिकारों के संघर्ष का इतिहास बताता है कि दुनिया भर में मजदूरों ने एक ही तरह से लड़ कर अपने अधिकार हासिल किए हैं।
इसलिये आज जो मई दिवस को बाहरी बता रहे हैं, वे मजदूरों की कुर्बानियों के समूचे इतिहास को ही मिटा देना चाहते हैं। वे मजदूरो के पक्षधर लोग नही हैं। वे मजदूरों के जायज हकों पर डाका डालने वाले, सत्ता में बैठे बाउंसर हैं।
इसलिए मजदूरों के कुर्बानियों के इतिहास में दरार पैदा करने की कोशिशों के खिलाफ मजदूरों की एकता के जरिये मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।
दुनियाभर के मेहनतकशों की एकजुटता का आह्वान करने वाले कार्ल मार्क्स के नारे को बुलन्द करें- दुनिया के मजदूरो, एक हो।
जो हर बाधा को करता है दूर, उसका ङटकर मुकाबला करता है, उसका नाम है मज़दूर !
“मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं”!
पवनपुत्र श्री हनुमान जयंती 19 अप्रैल 2019
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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस बार 19 अप्रैल को हुनमान जयंती है।
आपको बता दें कि भक्त अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार साल में अलग-अलग दिन हनुमान जयंती मनाते हैं।हालांकि उत्तर भारत में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली हनुमान जयंती अधिक लोकप्रिय है।
पवनपुत्र हनुमान को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है। इस बार हनुमान जन्मोत्सव 19 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है।
भक्तों के लिए हनुमान जयंती का खास महत्व है। संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
मान्यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है।
घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है और सुंदर कांड का पाठ करने का भी प्रावधान है। शाम की आरती के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करते हुए सभी के लिए मंगल कामना की जाती है।श्री हनुमान जयंती में कई जगहों पर मेला भी लगता है।
मंदिर में बजरंगबली के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की लाइन लगी रही।
इस बात का रखें कि हनुमान के सामने घी का या फिर चमेली के तेल का ही दीपक जलाएं।
स्नान करने के बाद ही प्रसाद तैयार करें। पूजा में हनुमान जी को लाल रंग का ही फूल चढ़ाएं।
जयंती पर हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
हनुमान : ॐ श्री हनुमते नमः।
नवरात्र का अष्टमी व्रत रहने के साथ रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाएंगे
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शनिवार को श्रद्धालु वांसतिक नवरात्र का अष्टमी व्रत रहने के साथ रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाएंगे।
भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के इस त्योहार को लेकर लोगों में खासा उल्लास रहता है।
रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है।
13 अप्रैल दिन शनिवार को महानवमी का व्रत होगा क्योंकि 13 अप्रैल को सुबह 08:16 बजे के बाद ही नवमी तिथि लग जाएगी जो 14 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक ही विद्यमान रहेगी।
राम नवमी के ही दिन त्रेता युग में महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। उत्तर भारत में रामनवमी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस दिन उपवास और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी बहुत फलदायक है।
नवरात्र के व्रत के बाद नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है।
इस दिन कन्या का पूजन कर भोजन कराने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सभी दुखों का नाश होता है। घर में सुख समृद्धि आती है।
कन्या भोजन से पहले कन्याओं को आमंत्रित कर उनका स्वागत करें, उनके पैर धोएं, उनका श्रृंगार करें और उसके बाद उन्हें भोजन करवाएं।
भोजन में मिष्ठान और फल शामिल करना न भूलें। इसके बाद उन्हें यथायोग्य उपहार देकर उनके घर तक पहुंचाएं।
राम नवमी हिन्दू धर्म में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है
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रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है।
धर्मशास्त्रों के अनुसार राम नवमी के ही दिन त्रेता युग में महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म रावण के अंत के लिए हुआ था।
हिन्दू धर्म में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में रामनवमी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन उपवास और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी बहुत फलदायक है। कहते हैं ऐसा करने से घर में धन-समृद्धि आती है।
नवरात्रि के व्रत के बाद नवमी के दिन उत्तर भारत के कई राज्यों में कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवरात्रि में के नवें दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है।
13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह दिन में 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि होगी
अष्टमी के दिन उत्तर भारत के कई राज्यों में कन्या पूजन किया जाता है।
14 अप्रैल की सुबह 6 बजे से नवमी तिथि लग जाएगी
नवरात्रि के व्रत के बाद नवमी के दिन उत्तर भारत के कई राज्यों में कन्या पूजन किया जाता है।
सेना में आज शामिल हो जाएगी स्वदेशी ‘धनुष’ तोप
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कानपुर : रेगिस्तान और पहाड़ में दुश्मनों को ध्वस्त करने में सक्षम ‘धनुष’ तोप सोमवार से सेना में शामिल हो जाएगी।
गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) जबलपुर में होने वाले औपचारिक कार्यक्रम में छह धनुष तोप सेना के अफसरों को सौंपी जाएंगी।
इसको आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) और फील्ड गन फैक्टरी ने मिलकर विकसित किया है।
धनुष स्वीडिश तोप बोफोर्स का स्वदेशी संस्करण है। इसके 95 फीसदी से अधिक कलपुर्जे स्वदेशी हैं।
सेना की ओर से हर मौसम के अनुसार किए गए परीक्षण में यह तोप खरी उतरी है।
इसका आयुध निर्माणी कानपुर और फील्ड गन फैक्टरी में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो गया है।
इस संबंध में भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने 19 फरवरी को हरी झंडी दी थी।
2022-23 तक 114 धनुष तोप सेना को सौंप दी जाएंगी।
आयुध निर्माणी बोर्ड के उपनिदेशक व जनसंपर्क अधिकारी गगन चतुर्वेदी ने बताया कि सोमवार को होने वाले कार्यक्रम में सेना को पहली खेप के तौर पर छह धनुष तोप दी जाएंगी।
साल 2000 में आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) ने बोफोर्स की बैरल अपग्रेड करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को दिया था।
फैक्टरी ने देश में पहली बार सात मीटर लंबी बैरल बनाई, जिसे 2004 में सेना ने मंजूरी दी। बैरल पास होते ही तोप बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
इसके बाद 2011 में बोफोर्स तोप की टेक्नोलॉजी और भारत में इसे बनाने की मंजूरी देने के लिए स्वीडन की कंपनी ने 63 महीने का वक्त मांगा।
इस बीच ओएफसी ने भी तोप बनाने का प्रस्ताव सेना को दिया। सेना ने 18 महीने का वक्त दिया था। ओएफसी, फील्ड गन और डीआरडीओ ने रिकॉर्ड समय में बेहतर नई तोप बनाकर सेना को सौंप दी।
70 डिग्री तक मूव किया जा सकता है
– पहाड़ों में छिपे दुश्मनों को तबाह करने की विशेष क्षमता
-पांच तोपों में भारत का धनुष
-बैरल का वजन 2692 किलो
– बैरल की लंबाई आठ मीटर
– रेंज 42-45 किलोमीटर
– दो फायर प्रति मिनट में
– लगातार दो घंटे तक फायर करने में सक्षम
– फिट होने वाले गोले का वजन 46.5 किलो
Happy Navaratri 2019 – 6 अप्रैल 2019 को पूरे देश में नवरात्र 2019 के पावन दिन शुरू हो जाएंगे
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नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग अलग 9 रूपों की आराधना की जाती है।
6 अप्रैल 2019 को पूरे देश में नवरात्र 2019 के पावन दिन शुरू हो जाएंगे, साथ ही हिंदूओं का नया साल यानि हिंदू नव वर्ष 2019 शुरू हो जाएगा।
नवरात्रों के पावन दिनों लोग मां दुर्गा की पूजा पाठ करते है और उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। हिंदू ग्रंथों के मुताबिक, अगर कोई भी मां दुर्गा के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं, तो उनकी इच्छा पूरी हो जाती है।
चैत्र नवरात्र 2019 का पावन पर्व यानि 9 दिनों तक तन और मन से केवल आदि शक्ति की ही आराधना की जाएगी।
नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग अलग 9 रूपों की आराधना की जाती है।
हर जत्न किया जाता है मां को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का।
नवरात्र पर्व की हिंदू धर्म में खास मान्यता है। ये नौ दिन पूरी तरह से देवी दुर्गा को ही समर्पित होते हैं।
Wind: 5km/h NNE
Humidity: 72%
Pressure: 995.26mbar
UV index: 4
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30°C / 26°C
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