कृषि आंकडों के लिए डिजिटल सैल का किया जाएगा गठन – श्याम सिंह राणा
प्रदेश में अधिकतर बेरोजगारी को खेती के माध्यम से किया जा सकता है खत्म – श्याम सिंह राणा
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कृषि सांख्यिकी-2025 की एकराष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे
पंचकूला, 7 फरवरी – हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि कृषि आंकडे कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का मूल्यांकन करने में मदद करते है। इसके लिए एक डिजिटल सैल का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में पूरा ध्यान दिया जाए तो प्रदेश में अधिकतर बेरोजगारी को खेती के माध्यम से खत्म किया जा सकता है। जोकि सभी के सहयोग से ही संभव हो पाएगा।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस सेक्टर-1 पंचकूला में आयोजित कृषि सांख्यिकी-2025 की राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य एक कृषि प्रधान प्रदेश है, राज्य की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर करती है। कृषि केवल हमारी खादय सुरक्षा का ध्यान नहीं रखता बल्कि यह देश के लाखों किसानों के जीवन का आधार भी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में अलग प्रकार की फसलों की खेती होती है। सभी फसलों का अपना महत्व है। इसके अलावा कई क्षेत्रों की भूमि को कृषि उपज के अनुकूल ही विकसित किया जाना चाहिए और विशेषकर लवणीय भूमि पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शुरूआत में भले की पैदावार कम होती थी, लेकिन तब प्राकृतिक खेती ज्यादा होती थी, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वो किसानों को पैदावार बढ़वाने की बजाए जैविक खेती करने पर जोर दें।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उदेश्य कृषि आंकडा में सुधार व नई तकनीक को किसानों के अनुरूप बढ़ावा देना है। आज हम यहां केवल कृषि की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने के लिए नहीं, बल्कि ऐसे समाधान खोजने के लिए एकत्रित हुए है, जो इसके निरन्तर विकास और स्थिरता की और मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि आंकडे, कृषि क्षेत्र की प्रगति को मापने और मूल्यांकन करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। कृषि आंकडे फसलों का उत्पादन, प्रधानमंत्री फसल बीमा, कृषि आय और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों सहित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करता है। उन्होंने कहा कि कृषि आंकडे कृषि नीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन करने में मदद करते है। यह आंकडे कृषि उत्पादन की भविष्यवाणी करने में भी मदद करती है, जिससे किसानों और सरकार को फैसले लेने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में किसानों के लिए अनेक योजनाओं क्रियांवित की जा रही हैं। इनमें मुख्यतः मेरी फसल मेरा ब्यौरा, धान की सीधी बिजाई, प्राकृतिक खेती, फसल अवशेष प्रबन्धन, भावांतर भरपाई, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य आदि शामिल है। इन योजनाओं से किसानों को काफी लाभ प्राप्त हो रहा है।
उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला हमारे कृषि क्षेत्र के लिए एक मजबूत और स्थिर भविष्य बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जरूरी है कि हम सभी चुनौतियों को पहचानें, लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम सुधार के अवसरों को देखें। हमारा सामूहिक प्रयास कृषि परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि कृषि का भविष्य कुछ ऐसा नहीं है जिसे हम संयोग पर छोड़ दें। इसके लिए दृष्टिकोण, सहयोग और दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता है। इसलिए एक ऐसा वातावरण बने, जहां हमारे किसान समृद्ध हों, हमारी खादय प्रणाली मजबूत हो और हमारा देश कृषि क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिए मजबूत बना रहे।
कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजा शेखर वुंदरू ने बताया कि प्रदेश में करीब 90 लाख एकड़ भूमि पर खेती की जा रही है। प्रदेश में हरित क्रांति का पूरा योगदान रहा था। तब से अब तक कृषि के क्षेत्र में प्रदेश अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।
इस मौके पर कृषि विभाग के निदेशक श्री राज नारायण कौशिक, विशेष सचिव मनीष नागपाल, संयुक्त निदेशक आरके सोलंकी और राजीव कुमार मिश्रा, केंद्रीय कृषि मंत्रालय से पल्लवी सहित अन्य कई अधिकारियों ने कार्यशाला में विचार एवं अनुभव साझा किए। संयुक्त सचिव राजीव मिश्रा ने प्रेजेंटेशन प्रस्तुत की। कार्यशाला में उत्पादक असेसमेंट, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मेट्रोलॉजी सर्विस इन एग्रीकल्चर सहित कई विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में हिमाचल, उत्तराखंड, यूपी, सहित कई राजयों के अधिकारियों ने भाग लिया।