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‘अबकी बार मोदी सरकार’ से लेकर ‘गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ’ तक ये नारे बने इतिहास

‘अबकी बार मोदी सरकार’ से लेकर ‘गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ’ तक ये नारे बने इतिहास

भारतीय चुनाव के नारों का इतिहास उठा कर देखें तो ऐसे कई नारे सामने उभर कर आ जाएंगे जिनके सहारे जीत की कहानी लिखी गई है।

ये नारे अपने आप में बहुत हद मजाकिया और हल्के-फुल्के होते हैं, लेकिन इनका इंपैक्ट ऐसा है जो सीधे मतदाताओं को हिट करता है।

इन नारों ने कई पार्टियों की किस्मत भी बदली। सियासतदार बड़े-बड़े वादे करते हैं, और हर पार्टी अपने चुनाव प्रचार के लिए शानदार नारों से लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगी रहती हैं।

नारों का इतिहास उठा कर देखें तो इसका अंकुरण 60 के दशक में ही हो गया था।

14वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली पार्टी भाजपा का एक मूल नारा रहा ‘अबकी बार मोदी सरकार’। यह नारा भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर केंद्रित था।

उस दौर के सोशल मीडिया को खंगाले तो इस नारे की तुकबंदी करती कई लाइनों का सैलाब सा नजर आता है, जैसे- ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार, अबकी बार मोदी सरकार, दिल का भंवर करे पुकार अबकी बार मोदी सरकार, वगैरह।

वीवी गिरी को राष्ट्रपति बनाए जाने के बाद कांग्रेस दो फाड़ हो गई। 12 नवंबर 1969 को इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निकाल दिया गया।

अब एक गुट इंदिरा के समर्थकों था कांग्रेस (आर) और दूसरा सिंडिकेट जो कांग्रेस (ओ) के नाम का था। 1970 में इंदिरा ने चुनाव की घोषणा कर दी, सिंडिकेट और उनके समर्थित दलों ने ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा दिया। इंदिरा ने पलटवार करते हुए ‘गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ’ नारा दिया था।

इमर्जेंसी के दौर के बाद हुए आम चुनाव में पूरा विपक्ष जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में एक साथ हो गया। देश की सत्ता पर काबिज इंदिरा गांधी को हटाने का उन्माद पूरे चरम पर था।

इस दिशा में जनता पार्टी एक जुट हुई और आम चुनाव में इंदिरा गांधी को करारी शिकस्त देने के लिए देश की जनता से ‘इंदिरा हटाओ देश बचाओ’ का नारा दिया गया।

1977 में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई देश के नेतृत्व में बनी।

1978 के उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के श्रीकांत वर्मा की तरफ से जनता पार्टी के नेताओं का मजाक उड़ाने के लिए गढ़ा गया नारा- ‘एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंलूर भाई चिकमंगलूर’ बेहद चर्चा में रहा।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस 1984 में हुए आम चुनाव का केंद्र पूरी तरह से इंदिरा गांधी बन गईं. पार्टी अपना हर काम इंदिरा गांधी के नाम से ही करती थी।

इस चुनाव में कांग्रेस को अभूतपूर्व जीत मिली, मगर इसके पीछे भी उस दौरान दिया गया एक खास नारा – ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा’ काफी अहम था जिनसे लोगों को सीधे इंदिरा गांधी की शहादत से जोड़े रखा।

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महामिलावटी लोग चौकीदार को गाली देने में जुटे हैं,उनको मेरे काम से ज्यादा मेरे नाम से समस्या है,पहले चाय वाले इतिहास से उनको दिक्कत थी और अब चौकीदार से हो गई

लोकसभा चुनाव 2019 :

महाराष्ट्र:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के गोंदिया जिला में सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है।

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नामदार कहते हैं कि मोदी जैसे तो हमारे यहां चौकीदारी करते हैं। कांग्रेस के एक रागदरबारी मुझे शौचालय का चौकीदार बोल रहे हैं।

शरद पवार की पार्टी के नेता चौकीदार को जाहिल बता रहे हैं।

अपने राजनीतिक अस्तित्व को खोने की बौखलाहट में ये महामिलावटी लोग चौकीदार को गाली देने में जुटे हैं। उनको मेरे काम से ज्यादा मेरे नाम से समस्या है।

पहले चाय वाले इतिहास से उनको दिक्कत थी और अब चौकीदार से हो गई है। कांग्रेस द्वारा देश को एक बार फिर अस्थिर करने की साजिश रची जा रही है।

इनकी एक आदत है या तो पूरा कब्ज़ा करो या कन्फ्यूजन पैदा करो। कांग्रेस का ढकोसला पत्र पाकिस्तान की साजिशों का योजना पत्र है।

कांग्रेस का ढकोसला पत्र देश के वीर जवानों के मनोबल को तोड़ने का षड्यंत्र है। कांग्रेस का ढकोसला पत्र ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारा लगाने वालों का साजिश पत्र है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये ऐसा चुनाव है जो देश की जनता लड़ रही है। ये ऐसा चुनाव है जो देश के दुश्मनों के लिए नरमी बताने वालों को जनता ने सबक सिखाने की ठान ली है।

ऐसा लग रहा है जैसे एक रैली दूसरी रैली का रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है।

आपने जो लहर पैदा की है, वो विकासविरोधी, परिवारवादी और वंशवादियों को उखाड़ फेंकने का जो निर्णय आपने लिया है, उसकी परिचायक है।

आज मैं आपके बीच हिसाब देने आया हूं। आप सभी लोगों के साथ और सहयोग से बिना रुके, बिना थके मैं निरंतर काम कर पाया। 

देश को बदलने के लिए भरसक कोशिश की। अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने तक का कार्य आपके समर्थन के कारण संभव हुआ है।

हमारी सरकार की नीति और नीयत आप सबके सामने खुली किताब की तरह है। सबका साथ सबका विकास हमारा प्रण है और सबको सम्मान हमारी प्रतिबद्धता है।

जिन बाबा साहेब अंबेडकर को कांग्रेस ने अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, देशभर में उनसे जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ में बदलने का काम भी हमारी सरकार ने ही किया है।

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अब वॉट्सऐप ने ग्रुप मेंबर से जुड़ा एक नया प्राइवेसी सेटिंग फीचर भारत में लॉन्च कर दिया

अब वॉट्सऐप ने ग्रुप मेंबर से जुड़ा एक नया प्राइवेसी सेटिंग फीचर भारत में लॉन्च कर दिया

फेक न्यूज रोकने के लिए टिपलाइन नंबर के बाद अब वॉट्सऐप ने ग्रुप मेंबर से जुड़ा एक नया प्राइवेसी सेटिंग फीचर भारत में लॉन्च कर दिया है। यह फीचर यूजर को यह तय करने का विकल्प देगा कि कोई ग्रुप एडमिन आपको अपने ग्रुप में एड कर सकता है या नहीं।

नया फीचर बुधवार से एंड्रॉयड यूजर्स के लिए रिलीज कर दिया गया है। नए वर्जन को अपडेट करने के साथ सभी यूजर्स को यह सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी।

भारत में चुनाव से पहले इस नए फीचर के आने से उन यूजर्स को सुविधा होगी, जिन्हें बिना उनकी अनुमति के कोई जोड़ लेता है।

कई बार यूजर्स अनचाहे मैसेज से परेशान होकर ग्रुप को छोड़ने का फैसला करते हैं। लेकिन, ग्रुप एडमिन दोबारा उन्हें जोड़ लेते हैं। इन्हीं दोनों बड़ी परेशानियों से निपटने के लिए ग्रुप इन्विटेशन फीचर लॉन्‍च किया गया है। 

आगामी लोकसभा चुनाव में वॉट्सऐप और इसकी पैरेंट कंपनी फेसबुक के जरिए 87 हजार ग्रुपों के माध्यम से लाखों लोगों को टारगेट किया जा रहा है।

यूजर्स के पास वॉट्सऐप ग्रुप का इनवाइट प्राइवेट चैट के जरिए भेजा जाएगा और यूजर के पास इसे स्वीकार करने के लिए तीन दिन होंगे। तीन दिन के बाद इनवाइट एक्सपायर हो जाएगा। इनवाइट में ग्रुप का नाम, इसका डीटेल्स और ग्रुप के दूसरे मेंबर्स के बारे में जानकारी होगी।

एक वॉट्सऐप ग्रुप में अधिकतम 256 यूजर्स जोड़े जा सकते हैं। इस तरह 87 हजार ग्रुप के जरिए 2.2 करोड़ यूजर्स तक सीधे पहुंचा जा सकता है। 

वॉट्सऐप द्वारा फरवरी 2017 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर महीने 20 करोड़ यूजर्स इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने पिछले दो सालों से यूजर्स को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है।

इस फीचर को इनेबल करने के लिए यूजर को WhatsApp में सबसे पहले सेटिंग्स (Settings) मेन्यू में जाना होगा। इसके बाद Account पर जाना होगा।

Account के बाद Privacy पर जाना होगा। वहां पर आपको Groups का ऑप्शन मिलेगा।

Groups में Nobody, My Contacts और Everyone का ऑप्शन होगा। आप इन तीन विकल्पों में से किसी एक को सिलेक्ट कर सकते हैं।

अगर कोई यूजर Nobody ऑप्शन को सिलेक्ट करता है तो किसी भी वॉट्सऐप ग्रुप में ऐड किए जाने से पहले यूजर का अप्रूवल जरूरी होगा।

वहीं, अगर किसी यूजर ने My Contacts ऑप्शन को सिलेक्ट किया है तो यूजर के कॉन्टैक्ट में शामिल यूजर ग्रुप में उसे ऐड कर सकेंगे।

नई प्रिवेसी सेटिंग्स अभी कुछ यूजर्स तक पहुंची है, जल्द ही यह सभी यूजर्स तक पहुंच जाएगी। इस फीचर तक पहुंच बनाने के लिए यूजर्स को अपना वॉट्सऐप ऐप अपडेट करना होगा।

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पीएम मोदी : बालाकोट में बदला लेकर हमारे जवान वापस आए तो रोना किसी को था और रो कोई और रहा था

जब बालाकोट में बदला लेकर हमारे जवान वापस आए तो रोना किसी को था और रो कोई और रहा था।

पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी पर कई जवाबी हमले किए।

उन्होंने ममता बनर्जी की बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने पर कहा कि, जब बालाकोट में बदला लेकर हमारे जवान वापस आए तो रोना किसी को था और रो कोई और रहा था।

दर्द इस्लामाबाद और रावलपिंडी में होना चाहिए था। लेकिन दर्द यहां कोलकाता में बैठी दीदी को हो रहा था। इन्होंने कहा कि मोदी ने ये क्यों किया? मोदी सबूत दे…

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि, जो लोग TMC के पेरोल पर यहां गुंडागर्दी कर रहे हैं, उन्हें मैं चेतावनी देना चाहता हूं कि वो ये सब छोड़ दें, वरना भाजपा की सरकार आते ही उन्हें ठीक कर दिया जाएगा।

इसके बाद मोदी बोले कि, काफी अड़चनों के बाद भी आपका ये चौकीदार पश्चिम बंगाल के विकास के लिए लगातार कार्य कर रहा है।

आपका ये चायवाला, यहां के चाय बागानों में काम करने वालों के लिए भी पूरी तरह समर्पित है।

पीएम मोदी ने किसान सम्मान योजना की बात करते हुए कहा कि, दीदी तो दीदी हैं, उन्होंने पीएम किसान सम्मान योजना पर भी पश्चिम बंगाल में ब्रेक लगा दिया है।

इस बीच टीएमसी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 500 से अधिक कार्यकतार्ओं ने मंगलवार को भाजपा का दामन थामा।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी पं बंगाल में लोकसभा के प्रचार अभियान की शुरुआत कर रहे हैं, जिसके तहत वे आज दो रैलियों को संबोधित करेंगे।

बता दें कि बंगाल में 42 संसदीय क्षेत्र हैं। प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में इन सीटों पर लोकसभा के सभी सात चरणों में मतदान होना है।

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दिल्ली : उत्तरी जिले के कश्मीरी गेट पुलिस स्टेशन को सर्वश्रेष्ठ पुलिस थाना घोषित किया

नई दिल्ली:

 राजधानी के पुलिस स्टेशनों की वार्षिक रैंकिंग में वर्ष 2018 के लिए उत्तरी जिले के कश्मीरी गेट पुलिस स्टेशन को मंगलवार को सर्वश्रेष्ठ पुलिस थाना घोषित किया गया है। गृह मंत्रालय की तरफ से थाना को सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया। पुलिस कमिश्रनर अमूल्य पटनायक ने कश्मीरी गेट थाने के इंस्पेक्टर देवेंद्र कुमार को प्रमाण पत्र प्रदान किया हैै।

सर्वश्रेष्ठ थाना की रैंकिंग देने के लिए जिन प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया, उनमें थाने के भवन का रखरखाव व सफाई, जघन्य मामलों को सुलझाने का प्रतिशत, सीसीटीएनएस पर अपलोड किए जाने वाले डाटा, कुल दर्ज मामलों को सुलझाने का दर, शिकायतों का वर्कआउट प्रतिशत, प्रहरी योजना से प्राप्त जानकारी की जांच रिपोर्ट की गुणवत्ता, पुलिस के आचरण को लेकर फीडबैक, रिकॉर्ड्स और केस प्रॉपर्टी के रखरखाव और पुलिस स्टेशन में आगंतुकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को शामिल किया गया। 

गृहमंत्रालय की टीम ने हनुमान मंदिर क्षेत्र के पास मादक द्रव्यों के सेवन में लिप्त बच्चों के पुनर्वास और नशामुक्ति के संबंध में आयोजित विशेष अभियान की सराहना की। कश्मीरी गेट थाने को दिल्ली का सर्वश्रेष्ठ थाना का प्रमाण पत्र दिए जाने के मौके पर स्पेशल कमिश्रर लॉ एंड ऑर्डर नार्थ संदीप गोयल, ज्वाइंट कमिश्नर राजेश खुराना, डीसीपी नूपुर प्रसाद सहित काफी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहे। 

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लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के बारे में सवाल को टालते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पूरे देश में गठबंधनों को लेकर उनकी पार्टी का रुख लचीला है

दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के बारे में सवाल को टालते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पूरे देश में गठबंधनों को लेकर उनकी पार्टी का रुख लचीला है। गांधी ने दिल्ली में आप के साथ गठबंधन के सवाल पर सीधे उत्तर नहीं देते हुए कहा कि इस पर कोई असमंजस नहीं है।स्थिति बहुत स्पष्ट है। देश भर में हमने गठबंधन किए हैं। हमारे दरवाजे गठबंधन के लिए खुले हुए हैं।

इस मुद्दे पर हमारा रुख लचीला है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को सुबह पार्टी की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष शीला दीक्षित और राज्य के पार्टी प्रभारी पीसी चाको के साथ एक बैठक की। गौरतलब है कि आप के साथ गठबंधन को लेकर अब तक दिल्ली कांग्रेस के नेताओं में भिन्न भिन्न राय सामने आई है।

पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक के दौरान डीपीसीसी अध्यक्ष शीला दीक्षित और तीनों कार्यकारी अध्यक्षों राजेश लिलोठिया, देवेंद्र यादव और हारून यूसुफ तथा पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल ने गठबंधन का विरोध किया तो अजय माकन, सुभाष चोपड़ा, अरविंदर सिंह लवली तथा कुछ अन्य नेताओं ने तालमेल के पक्ष में राय जाहिर की। दिल्ली में सभी सात सीटों के लिए 12 मई को वोट डाले जाएंगे। 23 मई को मतगणना होगी।

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नासा : भारत के एसैट परीक्षण से अंतरिक्ष में 400 टुकड़ों का मलबा हुआ, आईएसएस को खतरा

नासा ने भारत द्वारा अपने ही एक उपग्रह को मार गिराए जाने को मंगलवार को भयंकर बताया।

नासा ने कहा कि नष्ट किए उपग्रह से अंतरिक्ष की कक्षा में 400 टुकड़ों का मलबा हुआ जिससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर खतरा पैदा हो गया है।

नासा प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने बताया कि अभी तक करीब 60 टुकड़ों का पता लगाया गया है और इनमें से 24 टुकड़े आईएसएस के दूरतम बिन्दु से ऊपर हैं। 

उन्होंने यहां नासा टाउनहॉल में कहा कि यह भयानक है, मलबा और दूरतम बिन्दु तक टुकड़े भेजने की घटना भयानक बात है।

भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इस तरह की गतिविधि अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा गत सप्ताह किए एसैट परीक्षण से कक्षा में करीब 400 टुकड़ों का मलबा फैल गया।

ब्राइडेंस्टाइन ने कहा कि सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं है कि उनका पता लगाया जा सकें और नासा अभी 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े टुकड़ों का ही पता लगा रहा है।

उन्होंने कहा कि अभी तक करीब 60 टुकड़ों का ही पता चला है जिनमें से 24 अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीविजन पर अपने संबोधन में घोषणा की थी कि भारत ने अंतरिक्ष में मिसाइल से एक उपग्रह मार गिराया है।

इस क्षमता को हासिल करने के साथ ही वह अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है। मोदी के इस संबोधन के बाद ब्राइडेंस्टाइन का यह बयान सामने आया है। 

उन्होंने यह बात नासा के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कही।

ब्राइडेंस्टाइन ट्रंप प्रशासन के पहले शीर्ष अधिकारी हैं जो भारत के एसैट परीक्षण के खिलाफ सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं।

उन्हें डर है कि भारत के एसैट परीक्षण से दूसरे देशों द्वारा ऐसी ही गतिविधियों के प्रसार का खतरा पैदा हो सकता है।  

उन्होंने कहा कि जब एक देश ऐसा करता है तो दूसरे देशों को भी लगता है कि उन्हें भी ऐसा करना चाहिए। यह अस्वीकार्य है।

नासा को इस बारे में स्पष्ट रुख रखने की जरुरत है कि इसका हम पर क्या असर पड़ता है।

नासा प्रशासक ने कहा कि एसैट परीक्षण से पिछले दस दिनों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को छोटे कण वाले मलबे से खतरा 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री अब भी सुरक्षित हैं। 

उन्होंने कहा कि हालांकि अच्छी बात यह है कि यह पृथ्वी की कक्षा से काफी नीचे था जिससे वक्त के साथ ये सभी टुकड़ें नष्ट हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा 2007 में किए उपग्रह रोधी परीक्षण का काफी मलबा अब भी अंतरिक्ष में मौजूद है और हम अब भी इससे जूझ रहे हैं।

ब्राइडेंस्टाइन के अनुसार, अमेरिका कक्षा में मलबे के 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े करीब 23,000 टुकड़ों का पता लगा रहा है। 

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कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, अब प्राइवेट सेक्‍टर के कर्मचारियों के लिए इतनी मिलेगी रिटायरमेंट के बाद पेंशन

सुप्रीम कोर्ट ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ज्‍यादा पेंशन का रास्‍ता साफ कर दिया है।

केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दर्ज की गई भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) की विशेष अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी ज्‍यादा पेंशन मिलेगी।

केरल हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में भविष्‍य निधि संगठन को कहा था कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी के आधार पर पेंशन मिलनी चाहिए।

अभी तक ईपीएफओ एक निधार्रित सीमा में ही कर्मचारियों को पेंशन देता है। कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में अपीली की थी।

बता दें कि अभी तक ईपीएफओ अधिकतम 15,000 हजार रुपये तक की सैलरी को आधार बनाते हुए ही पेंशन देता था।

खबर के अनुसार, पेंशन की गणना (कर्मचारी के द्वारा की गई नौकरी में बिताए गए कुल वर्ष+2)/70xअंतिम सैलरी के आधार पर होगी। इस तरह यदि किसी कर्मचारी की सैलरी 50 हजार रुपये महीना है, तो उसे हर नए नियम के बाद करीब 25 हजार रुपये पेंशन के रूप में मिलेंगे। हालांकि, पुराने नियम के तहत यह पेंशन मात्र 5000 के लगभग होती थी।

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Lok Sabha elections 2019: Gareeb Parivar, Bahattar Hazaar will be the slogan of Congress in the ensuing Lok Sabha elections emphasising on its ambitious NYAY scheme promise, as party gears up to release its election manifesto

New Delhi:

Lok Sabha elections 2019: Gareeb Parivar, Bahattar Hazaar will be the slogan of Congress in the ensuing Lok Sabha elections emphasising on its ambitious NYAY scheme promise, as party gears up to release its election manifesto.

Congress president Rahul Gandhi will release the manifesto on Tuesday morning.

The party is likely to promise a complete loan waiver of up to Rs 2 lakh in the manifesto which has been prepared in consultation with people from different segments of life and was presented to the Congress Working Committee.

According to sources, the big-ticket promise in the poll manifesto will be NYAY, the minimum guarantee scheme for BPL families, which has already been unveiled by the Congress president.

The scheme also found repeated mentions in the campaigns of Priyanka Gandhi, party general secretary in charge of eastern Uttar Pradesh.

To emphasise on the scheme, Congress coined the new slogan of ‘Gareeb Parivar, Bahattar Hazzar’ which will be widely used by the party’s rank and file during the poll campaigns.

The other significant promise among many in the election manifesto will be the 100-day employment guarantee scheme to urban unemployed youth, it is learnt. However, the role model to be adopted for it is still under the carpet.

Congress will once again bank on the loan waiver promise. The party is likely to promise loan waiver of up to 2 lakh for the farmers, a promise which is considered to be a game changer for the party

The right to job may also be one of the prominent features of the manifesto as the Congress president has already tweeted about 22 lakhs government jobs being vacant.

Congress has also implied that it is not ready to play on BJP’s narrative in regard to Pakistan and is likely to come up with an agenda on national security based on the recommendations of Lieutenant General (Retd.) DS Hood.

According to sources, it took about a year to prepare the manifesto with 20 subcommittees working on it.

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बंबई हाई कोर्ट : तलाक के बाद अगर महिला चाहे तो पति के नाम के बिना प्रमाणपत्र ले सकती है

बम्बई हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि अगर कोई महिला अपने अतीत को भूल जाना चाहती है तो शिक्षण संस्थान को इस बारे में महिलाओं का सहयोग करना होगा।

जलगांव की एक 31 वर्षीय महिला डॉक्टर अपने पति से तलाक के बाद डिप्लोमा सर्टिफिकेट से नाम बदलने के लिए पिछले साल एक याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति दामा शेषाद्रि नायडू की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह परेल की एक मेडिकल संस्थान को महिला के वैवाहिक नाम के बिना नया प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें महिला के पति का उपनाम था।

पीठ ने आगे कहा कि संस्थान को उसके वैवाहिक नाम के बिना प्रमाण पत्र जारी करने में कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि याचिकाकर्ता ने पहले ही आधिकारिक राजपत्र में अपना नाम बदलने जैसी अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।

महिला ने अपने वकील अभिजीत अशोक देसाई के माध्यम से याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि दिसंबर 2011 में जियांग्सू विश्वविद्यालय, चीन से एमबीबीएस पूरा करने के बाद, उन्होंने दिल्ली मेडिकल काउंसिल और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से प्रमाणपत्र प्राप्त किया था।

दोनों प्रमाणपत्रों में उनका विवाह पूर्व नाम था, जैसा कि शादी से पहले जारी किया गया था। जून 2013 में महिला की शादी मुम्बई के जलगांव में हुई थी।

पांच साल तक वैवाहिक बंधन में रहने के बाद जुलाई 2018 में आपसी सहमति से उनका तलाक हो गया था।

याचिका में आगे कहा गया है कि शादी करने के बाद महिला ने अपने पति का नाम और उपनाम जोड़ने के लिए महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल मुंबई में आवेदन किया था।

मार्च 2017 में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल ने प्रमाणपत्र जारी किया था, जिसमें महिला के पति का नाम और उनके उपनाम के साथ नाम दर्शाया गया था।

याचिका में कहा गया है कि शादी के बाद उन्होंने मुम्बई के परेल में एक संस्थान से डरमैटोलॉजी और वेनेरोलॉजी में डिप्लोमा पूरा किया।

जुलाई 2018 में संस्थान ने उन्हें डिप्लोमा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जो उनके पति और उपनाम के साथ उनके नाम को दर्शाता है।

महिला ने अपनी याचिका में कहा कि मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र में विवाह पूर्व और विवाह के बाद के दोनों नाम थे फिर भी संस्थान द्वारा जारी किए गए डिप्लोमा में केवल विवाह के बाद का नाम है। जिसे वह हटवाना चाहती थी।