Paras Health Panchkula Advocates Timely Intervention for Rare Cancers This Sarcoma Awareness Month

Delhi-NCR के कई इलाकों में तेज बारिश से मौसम सुहवना

दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में तेज बारिश से मौसम सुहवना हो गया। साथ ही लोगों को गर्मी से राहत भी मिली। दिल्ली-एनसीआर में मौसम का मिजाज बदल गया है।

सुबह-सुबह हुई बारिश से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। तेज बारिश से कई इलाकों में पानी भर गया है। 

वहीं, इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में सोमवार रात हुई बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दिला दी।

मौसम की इस मेहरबानी के कारण 40 पार चल रहा तापमान 35.6 डिग्री आ पहुंचा। यह बीते तीन साल में 14 मई का सबसे कम तापमान रहा है। 

मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक दिल्ली में अगले दो-तीन घंटों में बादलों की गड़गड़ाहट के साथ हवाएं चल सकती हैं। दिल्ली से सटे हुए इलाकों में मौसम राहत दे सकता है।

दिल्ली से सटे हुए हरियाणा के हिसार, जींद, रोहतक, कैथल, गोहना, पानीपत, करनाल, सोनीपत और गुरुग्राम में भी मौसम बिगड़ने की संभावना है।

अगले दो दिन से तीन दिन तक मौसम का मिजाज इसी तरह रह सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, आज रात से एक पश्चिमी विक्षोभ दस्तक दे रहा है।

इसका असर दिल्ली-एनसीआर समेत पश्चिमी हिमालयन क्षेत्र पर होने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, 16 मई को हल्की बारिश व गरज के साथ छींटे पड़ सकती हैं। अगले 2 दिन में उत्तर पश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान में विशेष परिवर्तन नहीं होगा।

उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानों में धूल उड़ाती हवाएं चलने की संभावना है।

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लोकसभा चुनाव में मतदान कर्मियों को बूथों तक पहुंचाने के लिए इस बार बसों की व्यवस्था करने में विभाग को पसीने छूट रहे

देवरिया: 

लोकसभा चुनाव में मतदान कर्मियों को बूथों तक पहुंचाने के लिए इस बार बसों की व्यवस्था करने में विभाग को पसीने छूट रहे हैं। एआरटीओ विभाग में चुनाव ड्यूटी से गाड़ी हटाने के लिए लोग दौड़ लगा रहे हैं।

विभाग ऐसे वाहन स्वामियों को चिन्हित कर रहा है जो चुनाव ड्यूटी में वाहन नहीं भेजने के लिए जोर लगा रहे हैं। विभाग ऐसे वाहन स्वामी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराएगा।

अब तक लोकसभा चुनाव में मतदेय स्थल तक मतदान कर्मियों को ले जाने के लिए ट्रक, डीसीएम और प्राइवेट बसों का उपयोग किया जाता था। ट्रक और डीसीएम पर महिलाओं को चढ़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

ट्रकों और डीसीएम पर मतदान कर्मी बैठ नहीं पाते हैं। इसे देखते हुए डीएम अमित किशोर ने इस बार एआरटीओ राजीव चतुर्वेदी से ट्रक और डीसीएम के स्थान पर बसों का इंतजाम करने को कहा। इसके बाद एआरटीओ विभाग बसों के इंतजाम करने में लग गया। 

लोक सभा चुनाव में पोलिंग पार्टियों को भेजने के लिए 533 बसों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही दो दर्जन बसों को रिजर्व में रखा जाएगा।

जिले में प्राइवेट कुल 400 बसें ही हैं।विभाग ने जिले के तीन हजार वाहन स्वामियों को गाड़ियों का अधिग्रहण 16 मई तक निर्वाचन कार्य के लिए करने के बारे में पत्र भेजा है।

बसों के अधिग्रहण करने का पत्र मिलने के बाद से बस मालिक वाहनों को चुनाव ड्यूटी से कटवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

कुछ बस मालिक पहले से बसों की बुकिंग का बहाना कर रहे हैं तो कुछ गाड़ी के खराब होने की बात कहकर चुनाव में गाड़ी भेजने से कतरा रहे हैं।

कुछ विद्यालय अपनी सभी बसों को नहीं भेजने के लिए भाग दौड़ कर रहे हैं। इसके लिए बस मालिक शादी का कार्ड लगाकर एडीएम को प्रार्थना पत्र दे रहे हैं। 

इस संबंध में जब एआरटीओ देवरिया राजीव चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लोक सभा चुनाव में पोलिंग पार्टियों को भेजने के लिए परिवहन विभाग बसों का इंतजाम करने में लगा है।

जिले में आवश्यकता के अनुसार बसें कम हैं। कुछ बस मालिक बसों के खराब होने और शादी के लिए बुकिंग होने का प्रार्थना पत्र दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जो भी समय पर बसों और वाहनों को उपलब्ध नहीं कराएगा, उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। 

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पनामा में 6.1 की तीव्रता से आया तेज भूकंप

पनामा में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। इस वजह से इमारतों और मकानों को नुकसान पहुंचा है और कम से कम पांच लोग जख्मी हुए हैं।

अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने बताया कि भूकंप का केंद्र देश के पश्चिमी हिस्से में कोस्टा रिका सीमा के पास 37 किलोमीटर की गहराई में था।

राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा प्रणाली ने कहा कि भूकंप की वजह से चार मकानों को नुकसान पहुंचा और पांच लोग जख्मी हुए हैं।

राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वरेला ने पहले ट्वीट किया था कि प्यर्टो आर्मुलेस में सिर्फ एक व्यक्ति घायल हुआ है। उन्होंने बताया कि मकानों और कारोबारी इमारतों को नुकसान पहुंचा है।

राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा प्रणाली ने कहा कि दो क्षतिग्रस्त घर गिर गए हैं। बहरहाल, प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की है।

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श्री सीता नवमी 2019 को जानकी नवमी भी कहते हैं, जानिेए कैसे ?

श्री सीता नवमी 2019:

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जनकनंदनी एवं प्रभु श्रीराम की प्राणप्रिया, सर्वमंगलदायिनी, पतिव्रताओं में शिरोमणि श्री सीताजी का प्राकट्य हुआ। यह दिन जानकी नवमी या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस पावन पर्व पर जो भी भगवान राम  सहित माँ जानकी का व्रत-पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल एवं समस्त तीर्थ भ्रमण का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है एवं समस्त प्रकार के दु:खों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है।

भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी देवी सीता जी का जन्मदिवस फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो मनाया जाता ही है परंतु वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भी जानकी-जयंती के रूप में मनाया जाता है क्योंकि रामायण के अनुसार वे वैशाख में अवतरित हुईं थीं, किन्तु ‘निर्णयसिन्धु’ के ‘कल्पतरु’ ग्रंथानुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीता जी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी के नाम से भी संबोद्धित किया गया  है अत: दोनों ही तिथियाँ उनकी जयंती हेतु मान्य हैं तथा दोनों ही तिथियां हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी गई हैं। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। अत: इस दिन व्रत करने का विशेष महत्त्व है। 

शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी ‘सीता’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। 

सीता जन्म कथा सीता के विषय में रामायण और अन्य ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसके अनुसार मिथिला के राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं हो रही थी। इससे चिंतित होकर जनक ने जब ऋषियों से विचार किया, तब ऋषियों ने सलाह दी कि महाराज स्वयं खेत में हल चलाएँ तो इन्द्र की कृपा हो सकती है। मान्यता है कि बिहार स्थित सीममढ़ी का पुनौरा नामक गाँव ही वह स्थान है, जहाँ राजा जनक ने हल चलाया था। हल चलाते समय हल एक धातु से टकराकर अटक गया। जनक ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया। इस स्थान से एक कलश निकला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक निःसंतान थे। इन्होंने कन्या को ईश्वर की कृपा मानकर पुत्री बना लिया। हल का फल जिसे ‘सीत’ कहते हैं, उससे टकराने के कारण कालश से कन्या बाहर आयी थी, इसलिए कन्या का नाम ‘सीता’रखा गया था। ‘वाल्मीकि रामायण’ के अनुसार श्रीराम के जन्म के सात वर्ष, एक माह बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को जनक द्वारा खेत में हल की नोक (सीत) के स्पर्श से एक कन्या मिली, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया। जनक दुलारी होने से ‘जानकी’, मिथिलावासी होने से ‘मिथिलेश’ कुमारी नाम भी उन्हें मिले। वर्तमान में मिथिला नेपाल का हिस्सा हैं अतः नेपाल में इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते हैं । वास्तव में सीता, भूमिजा कहलाई क्यूंकि राजा जनक ने उन्हें भूमि से प्राप्त किया था । 

वेदों, उपनिषदों तथा अन्य कई वैदिक वाङ्मय में उनकी अलौकिकता व महिमा का उल्लेख एवं  उनके स्वरूप का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है जहाँ ऋग्वेद में एक स्तुति के अनुसार कहा गया है कि असुरों का नाश करने वाली सीता जी आप हमारा कल्याण करें एवं इसी प्रकार सीता उपनिषद जो कि अथर्ववेदीय शाखा से संबंधित उपनिषद है जिसमें सीता जी की महिमा एवं उनके स्वरूप को व्यक्त किया गया है। इसमें सीता को शाश्वत शक्ति का आधार बताया गया है तथा उन्हें ही प्रकृति में परिलक्षित होते हुए देखा गया है। सीता जी को प्रकृति का स्वरूप कहा गया है तथा योगमाया रूप में स्थापित किया गया है।

अष्टमी तिथि को ही नित्यकर्मों से निर्मित होकर शुद्ध भूमि पर सुंदर मंडप बनाएं, जो तोरण आदि से मंडप के मध्य में सुंदर चौकोर वेदिका पर भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की स्थापना करनी चाहिए। पूजन के लिए स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, एवं मिट्टी इनमें से यथासंभव किसी एक वस्तु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है। मूर्ति के अभाव में चित्रपट से भी काम लिया जा सकता है। जो भक्त मानसिक पूजा करते हैं उनकी तो पूजन सामग्री एवं आराध्य सभी भाव में ही होते हैं। भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की प्रतिमा के साथ साथ पूजन के लिए राजा जनक, माता सुनैना, पुरोहित शतानंद जी, हल और माता पृथ्वी की भी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। नवमी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर श्री जानकी राम का संकल्प पूर्वक पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम पंचोपचार से श्री गणेश जी और भगवती पार्वती का पूजन करना चाहिए। फिर मंडप के पास ही अष्टदल कमल पर विधिपूर्वक कलश की स्थापना करनी चाहिए। यदि मंडप में प्राण-प्रतिष्ठा हो तो मंडप में स्थापित प्रतिमा या चित्र में प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। प्रतिमा के कपड़ों का स्पर्श करना चाहिए। भगवती सीता का श्लोक के अनुसार ध्यान करना चाहिए।आज के दिन माता सीता की पूजन करने से सर्वश्रेष्ठ लाभ प्राप्त होता है।

श्री वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह पश्चात भगवती सीता जी का प्राकट्य हुआ। गोस्वामी तुलसीदास जी बालकांड के प्रारम्भ में आदिशक्ति सीता जी की वंदना करते हुए कहते हैं :

‘‘उद्भवस्थिति संहारकारिणी क्लेशहारिणीम्।

सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥’’

माता जानकी ही जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली तथा समस्त संकटों तथा क्लेशों को हरने वाली हैं। वह मां भगवती सीता सभी प्रकार का कल्याण करने वाली रामवल्लभा हैं। उन भगवती सीता जी के चरणों में प्रणाम है, मां सीता जी ने ही हनुमान जी को उनकी असीम सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियों तथा नव-निधियों का स्वामी बनाया।

‘‘अष्टसिद्धि नव-निधि के दाता।

अस वर दीन जानकी माता॥’’

सीता-राम वस्तुत: एक ही हैं।

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Mother’s Day 2019 : आज का दिन दुनिया की हर मां के नाम

पंचकूला:

Sunday, 12 May

इस बार मदर्स डे 12 मई को है!

आज का दिन दुनिया की हर मां के नाम

Mother’s Day 2019: मां अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करती!

अपनी पूरी जिंदगी बच्चों के नाम कर देती है!

हरियाणा के सभी मतदाताओं से 12 मई को अपने मतदान का प्रयोग अवश्य करे!

ना दिन देखती है ना रात, अपना हर पल मां बच्चों को सौंप देती है!

लेकिन मां के लिए आप क्या करते हैं? मां के प्यार और कुर्बानी को कहीं भूल ना जाएं, इसके लिए खास मदर्स डे (Mother’s Day) मनाया जाता है!

यह दिन मां को प्यार जताने और खुश रखने का होता है!

साल के 365 दिन तो मां को प्यार करते ही हैं, लेकिन मदर्स डे (Mother Day) कि बात ही अलग है!

इस बार मदर्स डे 12 मई को है!

यानी 12 मई के दिन को आप अपनी मां के लिए जितना यादगार बना सकते हैं, बनाएं!

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दिल्ली-हरियाणा समेत सात राज्यों में आज मतदान

दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण में दिल्ली व हरियाणा समेत सात राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर आज सुबह 7 बजे मतदान होगा।

इस चरण में केंद्रीय मंत्रियों के साथ तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों और कई पूर्व मंत्रियों समेत दर्जनों सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

खासतौर से इस चरण का चुनाव भाजपा के लिए अहम होगा, जिसको अपनी मौजूदा 44 सीटों को बचाने की चुनौती होगी।

सत्रहवीं लोकसभा के लिए 543 में से पहले पांच चरण में 424 सीटों पर चुनाव पूरा होने के बाद अब छठें चरण में सात राज्यों की 59 सीटों पर आज 12 मई को सबकी नजरें टिकी हैं।

इस चरण में 83 महिलाओं समेत 979 प्रत्याशी चुनावी जंग में है, जिनमें 174 राष्ट्रीय दलों, 65 क्षेत्रीय दलों, 430 गैर पंजीकृत मान्यता प्राप्त दलों तथा 310 निर्दलीय रूप से लोकतंत्र के इस महासंग्राम में हिस्सेदार हैं। सात राज्यों के इन सियासी योद्धाओं के भविष्य का फैसला 4.74 करोड़ 46227 महिलाओं समेत 10.16 करोड़ 47624 मतदाताओं को करना है, जिनके लिए 113167 मतदान केंद्र बनाए गये हैं।

इस चरण में जिन 59 सीटों पर मतदान होना है उनमें फिलहाल 44 सीटों पर भाजपा, आठ पर तृणमूल तथा दो पर कांग्रेस का कब्जा है। 

छठे चरण में सात राज्यों की 59 सीटों के चुनाव में बड़े-बड़े सियासी दिग्गजों की साख दांव पर होगी, जिनमें छह केंद्रीय मंत्री दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर डा. हर्षवर्धन, हरियाणा की गुडगांव सीट पर राव इन्द्रजीत व फरीदाबाद में कृष्णपाल गुर्जर, यूपी में सुल्तानपुर सीट पर मेनका गांधी, मध्य प्रदेश में मुरैना सीट पर नरेन्द्र सिंह तोमर तथा बिहार की पूर्वी चंपारण सीट पर राधा मोहन सिंह के अलावा यूपी की इलाहाबाद सीट पर योगी सरकार में कैबिना मंत्री रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं।

इसके अलावा हरियाणा की सोनीपत सीट पर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर शीला दीक्षित और यूपी की आजमगढ़ सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों की सियासत भी कसौटी पर कसी जानी है।

इसके अलावा दिल्ली में क्रिकेटर गौतम गंभीर व मुक्केबाज बिजेन्द्र के अलावा केंद्र व दिल्ली सरकार में मंत्री रहे अजय माकन व अरविंदर लवली भी प्रतिष्ठा की जंग में हैं।

हरियाणा में हिसार सीट पर केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह की प्रतिष्ठा भी अपने पुत्र बृजेन्द्र सिंह की सियासी पारी पर होगी।

जबकि काग्रेस प्रत्याशियों में पूर्व मंत्री कुमारी सैलजा, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर, कैप्टन अजय यादव, श्रुति चौधरी, दीपेन्द्र हुड्डा व अवतार सिंह भडाना की अग्नि परीक्षा होगी।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सीट पर भाजपा की साध्वी प्रज्ञा सिंह व कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह के अलावा गुना से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह चुनाव अहम होगा।

लोकसभा के छठे चरण में 12 मई रविवार को जिन 59 सीटों पर मतदान होना है, उनमें बिहार की 8 सीटें पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, वाल्मीकिनगर, महाराजगंज, पश्चिमी चंपारण, हरियाणा की 10 सीटें अंबाला, करनाल, सोनीपत, रोहतक, सिरसा, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेन्द्रगढ़, हिसार, झारखंड की 4 सीटें धनबाद, सिंहभूम, जमशेदपुर, गिरीडीह, मध्य-प्रदेश की 8 सीटें गुना, सागर, विदिशा, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, राजगढ़, भोपाल शामिल हैं।

इनके अलावा उत्तर प्रदेश की 14 सीटों फूलपुर, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, अंबेडकर नगर, बस्ती, संत कबीर नगर, डुमरियागंज, आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, भदोही, मछलीशहर, पश्चिम-बंगाल की 8 सीटों झारग्राम, मेदिनीपुर, तामलुक, कांति, घाटल, विष्णुपुर, पूरुलिया, बांकुरा तथा दिल्ली की 7 सीटों चांदनी चौक, पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्व दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर-पश्चिम दिल्ली, पश्चिम दिल्ली, दक्षिण दिल्ली पर भी मतदान होगा।

बिहार में सबसे ज्यादा दागी लोकसभा चुनाव के छठे चरण में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में 189 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भी शामिल हैं, जिनमें बिहार के 127 सियासी योद्धाओं सबसे ज्यादा 43 दागियों की सूची में शामिल है।

इसके बाद उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 177 में से 36, पश्चिम बंगाल की आठ सीटों पर 177 में से 28, हरियाणा की दस सीटो पर 223 में से 24, दिल्ली की सात सीटों पर 164 में और झारखंड की चार सीटों पर 67 में प्रत्याशियों में से 20-20 तथा मध्य प्रदेश की 8 सीटों पर 138 प्रत्याशियों में से 18 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं।

चुनावी जंग में 146 उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके खिलाफ हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, हत्या के प्रयास, बलात्कार जैसे संगीन मामले लंबित हैं।

छठे चरण के चुनाव में सबसे ज्यादा 34 दागी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जबकि राजनीतिक दलों में सबसे ज्यादा 26 भाजपा, 20 कांग्रेस, 19 बसपा, पांच शिवसेना, 4-4 तृणमूल कांग्रेस व एसयूसीआई तथा 3-3 आप व सीपीआई के प्रत्याशी इस फेहरिस्त में शामिल हैं।

जहां तक दलों द्वारा करोड़पति प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने का सवाल है उसमें सबसे ज्यादा 46 प्रत्याशी भाजपा, 37 कांग्रेस, 31 बसपा, 7-7 इनेलो व तृणमूल कांग्रेस, छह आप, पांच-पांच जननायक जनता पार्टी व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, तीन शिवसेना और 71 निर्दलीय प्रत्याशी करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं।

इस चरण में प्रत्याशियों की औसतन संपत्ति 3.41 करोड़ आंकी गई है। 34 सीट रेडअलर्ट घोषित लोकसभा के छठे चरण के चुनाव में 34 सीटें रेडअलर्ट के दायरे में है, जहां तीन या उससे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी चुनावी जंग लड़ रहे हैं, इनमें सबसे बिहार की भी सभी आठ और झारखंड की सभी चारों सीटें संवेदनशील यानि रेडअलर्ट के दायरे में हैं।

जबकि यूपी की सात, पश्चिम बंगाल की छह, मध्य प्रदेश व हरियाणा की तीन-तीन सीटों पर तीन या उससे ज्यादा प्रत्याशी दागी चुनावी जंग में हैं।

सर्वाधिक ग्रेजुएट प्रत्याशी छठे चरण के चुनाव में 509 प्रत्याशी स्नातक या उससे ज्यादा शिक्षित हैं, जबकि 395 पांचवी से इंटरमिडिएट तक की शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। वहीं दस अनपढ़ प्रत्याशी भी सियासत की जंग में किस्मत आजमा रहे हैं।

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न्यूज़ 7 वर्ल्ड की अपील हरियाणा के सभी मतदाताओं से 12 मई को अपने मतदान का प्रयोग अवश्य करे

पंचकूला, 11 मई-

न्यूज़ 7 वर्ल्ड की अपील

हरियाणा के सभी मतदाताओं से अपील हैं कि 12 मई को अपने मतदान का प्रयोग करने के लिए अवश्य जाए जो भी उम्मीदवार आपको सही लगे उसको वोट अवश्य दे !

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कच्चे आम का अचार बनाने की विधि

Kacche Aam ka Achar Recipe : 

आपने अक्सर घर के बड़ों को अचार से पानी को दूर रखने वाली हिदायत को जरूर सुना होगा।

क्योंकि अक्सर अचार में पानी पड़ने से खराब हो जाता है।

आमतौर पर अचार को पानी से दूर रखा जाता है। क्योंकि अक्सर अचार में पानी पड़ने से खराब हो जाता है। ऐसे में अगर हम आपको पानी वाले कच्चे आम के अचार के बारे में बताएं, तो शायद आपको यकीन नहीं होगा।

कच्चे आम का अचार रेसिपी सामग्री

कच्चे आम – 350 ग्राम

पीली सरसों – 50 ग्राम (दरदरी कुटी हुई)

नमक – स्वादानुसार

सरसों का तेल – ¼ कप

सौंफ पाउडर – 2 टेबल स्पून

लाल मिर्च पाउडर – 1 टेबल स्पून

सफेद सिरका – 2 टेबल स्पून

हल्दी पाउडर – 2 चम्मच

मेथी दाना – 1 चम्मच

राई के दाने – 1 चम्मच

सौंफ – 1 चम्मच

हींग – ¼ चम्मच

कच्चे आम का अचार रेसिपी सामग्री

  • कच्चे आम का पानी वाला अचार रेसिपी बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे आम को अच्छी तरह से साफ पानी से धोकर, साफ कपड़े से पोंछ लें।
  • इसके बाद आम को चाकू की मदद से काट लें और गुठली को अलग कर दें।
  • अब एक बड़े बर्तन में दरदरी कुटी पीली सरसों, दरदरी कूटी हुई सौंफ, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, नमक और पानी डालकर सभी चीजों को अच्छे से मिक्स कर लें।
  • इसके बाद मसाले में आम के टुकड़ों को डालकर मिक्स कर लें।
  • अब एक पैन में तेल डालकर गर्म करें, फिर उसमें मेथी, राई के दाने, हींग डालकर भूनें और सिरके के साथ आम के अचार के मिश्रण में डालकर मिक्स कर लें।
  • अब कच्चे आम के पानी वाले अचार को एक कांच की बर्नी या कंटेनर में भरकर 3-4 दिनों के लिए धूप में रखें। रोजाना अचार को हिलाते रहें। जिससे मसाले अचार में अच्छे से मिक्स हो सकें।
  • अब तैयार यानि कच्चे आम के पानी वाले अचार के नरम होने पर अपने मनपसंद खाने के साथ खाएं।
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सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता के आदेश के बाद अयोध्या राम जन्मभूमि मामला की आज पहली सुनवाई

उच्चतम न्यायालय अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद प्रकरण पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर जारी नोटिस के अनुसार प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी।

इस विवाद के सर्वमान्य समाधान की संभावना तलाशने के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति के गठन के छह मार्च के आदेश के बाद पहली बार इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी।

इस समिति के अन्य सदस्यों में आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू शामिल थे।

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Google ने डूडल बनाकर लुसी विल्स के 131 वें जन्मदिन को मनाया

Google ने डूडल

Google अपने 131 वें जन्मदिन पर Google डूडल के साथ अंग्रेजी हेमेटोलॉजिस्ट लुसी विल्स के जीवन और कार्य का जश्न मना रहा है।

उसे प्रसवपूर्व एनीमिया की रोकथाम के लिए अग्रणी अनुसंधान के लिए याद किया जाता है, 1888 में इंग्लैंड में पैदा हुआ था।

खोज की दिग्गज कंपनी ने एक मेज पर लूसी विल्स के साथ एक डूडल और रोटी के कुछ टुकड़े और उसकी मेज पर एक कप चाय समर्पित की।

आज का डूडल अंग्रेजी के हेमटोलॉजिस्ट लुसी विल्स को मनाता है, जो अग्रणी मेडिकल शोधकर्ता हैं, जिनके जन्मपूर्व एनीमिया के विश्लेषण ने हर जगह महिलाओं के लिए निवारक जन्मपूर्व देखभाल का चेहरा बदल दिया,” Google ने कहा।

लूसी विल्स का जन्म 10 मई 1888 को यूनाइटेड किंगडम में बर्मिंघम के पास सुटन कोल्डफील्ड में हुआ था। विल्स पिता ओवेन्स कॉलेज मैनचेस्टर के विज्ञान स्नातक थे।

वैज्ञानिक मामलों में परिवार की गहरी रुचि थी। लुसी विल्स के परदादा, विलियम विल्स, ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस से जुड़े थे और उन्होंने मौसम विज्ञान और अन्य वैज्ञानिक टिप्पणियों पर पत्र लिखे थे।

1911 में, उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के न्यूहैम कॉलेज में वनस्पति विज्ञान और भूविज्ञान में पहला सम्मान अर्जित किया, महिलाओं को शिक्षित करने के मामले में एक और संस्था, इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वुमन, महिला डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने वाला ब्रिटेन का पहला स्कूल था।

हालांकि, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में एक नर्स के रूप में काम करने वाली एक स्टेंट ने उन्हें चिकित्सा में कैरियर का फैसला करने के लिए प्रेरित किया, जो केवल हाल ही में इंग्लैंड में महिलाओं के लिए एक विकल्प था।

वह लंदन लौटीं और लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वूमेन, इंग्लैंड की पहली मेडिकल स्कूल फॉर वूमेन (बोडेन 2001) में प्रवेश किया और 1920 (Roe 1978) में लंदन विश्वविद्यालय के माध्यम से अपनी मेडिकल डिग्री प्राप्त की।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह इमरजेंसी मेडिकल सर्विस में पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट थीं। जुलाई 1944 में कुछ दिनों के लिए पैथोलॉजी विभाग में काम बाधित हो गया (और कई लोग मारे गए) जब अस्पताल को वी 1 फ्लाइंग बम का सीधा झटका लगा।

युद्ध के अंत तक, वह रॉयल फ्री में पैथोलॉजी की प्रभारी थीं और उन्होंने वहां पहले हेमटोलॉजी विभाग की स्थापना की थी।

अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, लुसी विल्स ने बड़े पैमाने पर यात्रा की, जिसमें जमैका, फिजी और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, पोषण और एनीमिया पर अपनी टिप्पणियों को जारी रखा।

लुसी विल्स 1928 और 1933 के बीच भारत में थे, जो ज्यादातर बॉम्बे में हाफकीन इंस्टीट्यूट में थे।

1929 की गर्मियों में, अप्रैल से अक्टूबर तक, उन्होंने अपना काम कुन्नूर के भारतीय पाश्चर संस्थान (जहाँ सर रॉबर्ट मैकक्रिसन पोषण अनुसंधान निदेशक था) में स्थानांतरित कर दिया, और 1931 की शुरुआत में वे मद्रास में जाति और गोशाला अस्पताल में काम कर रही थीं ।

1930, 1931 और 1932 के प्रत्येक ग्रीष्मकाल में वह कुछ महीनों के लिए इंग्लैंड लौट गई और रॉयल फ्री में पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं में अपना काम जारी रखा।