राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान , पंचकूला में   रक्तदान शिविर का आयोजन

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दी गई एक दिन पहले फांसी – 23 March – शहीद दिवस

भारत की आजादी के लिए आज ही के दिन हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले महान स्वंतत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है

23 मार्च 1931 को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है

असेंबली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह  वंहा से भागे नहीं लेकिन ब्रिटिश सरकार की चालबाजी का शिकार हो गये और गलत आरोप लगाकर उन्हें फांसी की सजा सुना दी गयी ।

भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दिन पहले 23 मार्च को दी उन्हें फांसी दे दी गई थी क्योंकि तीनों वीर सपूतों को फांसी देने का एलान पहले ही किया जा चुका था।

23 मार्च की आधी रात को अंग्रेज हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फंसी पर लटका दिया था। देश की आजादी के लिए खुद को देश पर कुर्बान करने वाले इन महान क्रांतिकारियों को याद करने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।

यह खबर आग की तरह पूरे देश भर में फैल गई थी। लोग ब्रिटिश सरकार पर भड़के हुए थे और वे तीनों वीर सपूतों को देखना चाहते थे।

तीनों को फांसी को लेकर जिस तरह से लोग प्रदर्शन और विरोध कर रहे थे उससे अंग्रेज सरकार डर गई थी। माहौल को बिगड़ता देखकर ही फांसी का दिन और समय बदला दिया गया और एक दिन पहले ही फांसी दे दी।

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Shiv chalisa

॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

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हनुमान चालीसा पाठ से होने वाले लाभ

सम्पूर्ण हनुमान चालीसा के पाठ में हनुमान जी की शक्तियों का वर्णन किया गया है |

इस पाठ के माध्यम से ही हम हनुमान जी की आराधना करने के साथ-साथ उन्हें उनकी शक्तियों का भी स्मरण कराते है जिससे वे शीघ्र प्रसन्न होकर हमें फलीभूत करते है |

कष्टों से छुटकारा दिलाते हैं

हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए |

इसलिए जितना शीघ्र हो सके आप इसे याद कर ले |

सुबह का एक समय निश्चित कर प्रतिदिन उसी समय पर हनुमान चालीसा का पाठ करे |

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहन लें.

– अपना मुंह पूर्व दिशा में या दक्षिण दिशा में रखकर लाल आसन पर बैठें.

– हनुमान जी की फोटो को पूर्व या दक्षिण दिशा में लाल वस्त्र बिछाकर रखें.

– गाय के घी या तिल के तेल का दिया जलाएं और एक लोटे में जल भरकर रखें और हनुमान जी के सामने 3 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें.

– गुड़ या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं.

– ऐसा लगातार 11 मंगलवार करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है.

हनुमान जी के ऐसे मंदिर जहाँ हनुमान जी को चौला चढ़ाया जाता हो, उस मंदिर में जाकर हनुमान जी के चरणों से थोड़ा सा सिन्दूर एक डिब्बी में घर ले आये अब डिब्बी में और सिन्दूर व थोडा चमेली का तेल मिलाकर रखे ले

रोजाना पूजा पर बैठते समय सबसे पहले हनुमान जी का ध्यान करते हुए इस सिन्दूर से स्वयं को तिलक करे |

लाल या पीले वस्त्र धारण कर लाल ऊनी आसन बिछाकर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठ जाये साथ में एक लौटे में जल और प्रसाद रूप में कुछ मीठा रखे |

अब चमेली के तेल का दीपक प्रज्वल्लित करे |

पानी के लौटे को हनुमान जी की प्रतिमा के सम्मुख रखकर आदरपूर्वक उन्हें ग्रहण करने को कहे |

अब थोड़े मीठे को भोग स्वरुप उनकी प्रतिमा के आगे रखे

किसी भी घोर संकट से निकलने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना फलदायी माना गया है | इसके अतिरिक्त मनोकामना पूर्ति हेतु व भविष्य को सुरक्षित बनाने हेतु भी हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है |

हनुमान चालीसा

दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। 

रामदूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। 

महाबीर बिक्रम बजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी।। 

कंचन बरन बिराज सुबेसा।कानन कुंडल कुंचित केसा।। 

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।कांधे मूंज जनेऊ साजै। 

संकर सुवन केसरीनंदन।तेज प्रताप महा जग बन्दन।। 

विद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।। 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया।। 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।बिकट रूप धरि लंक जरावा।। 

भीम रूप धरि असुर संहारे।रामचंद्र के काज संवारे।।

 लाय सजीवन लखन जियाये।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। 

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। 

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा।। 

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। 

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा।। 

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।लंकेस्वर भए सब जग जाना।। 

जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। 

राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डर ना।। 

आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै।। 

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै।। 

नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

 संकट तें हनुमान छुड़ावै।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

 सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फल पावै।। 

चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा।।

 साधु-संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता।। 

राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।। 

तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम-जनम के दुख बिसरावै।। 

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।। 

और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।। 

संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। 

जै जै जै हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। 

जो सत बार पाठ कर कोई।छूटहि बंदि महा सुख होई।। 

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा।। 

तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।  

दोहा :पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।


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देवी मां के नवरात्रे 2019….

देवी मां

देवी मां के नवरात्रे

6 अप्रेल 2019 से नवरात्रि प्रारंभ

14 अप्रैल 2019 नवरात्रि समापन

साल 2019 में होने वाले त्यौहारों के बारे में हर कोई जान लेना चाहता है।

हर साल की तरह साल 2019 में भी बहुत से तीज-त्यौहार होंगे ही।

नवरात्रि साल में चार बार आते हैं, जिनमें से दो (चैत्र नवरात्रि 2019 और शारदीय नवरात्रि 2019) को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

नौ दिन उपवास के बाद नवमी या दसवीं पूजन किया जाता है जिसमें कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। 

नवरात्रि में नौ दिनों देवी मां के अलग-अलग नौ रुपों की पूजा की जाती है। 

संपूर्ण भारतवर्ष में नवरात्रि प्रमुख पर्व है।

1.  माँ शैलपुत्री

2.  माँ ब्रह्मचारिणी

3.  माँ चंद्रघण्टा

4.  माँ कूष्मांडा

5.  माँ स्कंद माता

6.  माँ कात्यायनी

7.  माँ कालरात्रि

8.  माँ महागौरी

9.  माँ सिद्धिदात्री

इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।

वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ को मिलाकर चार नवरात्र आते हैं। इनमें से चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रि अधिक लोकप्रिय हैं।

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शनिवार का कारक शनि है, विशेष रूप से इस दिन ऐसे कामों से बचना चाहिए

ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश माना गया है।

ये ग्रह हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है।

शनि की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर होंगे।

जिन लोगों के कर्म गलत होते हैं, उनके लिए शनि अशुभ हो जाता है।

शनि के अशुभ होने से किसी भी काम में आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है, साथ ही घर-परिवार में परेशानियां बढ़ सकती हैं।

शनिवार का कारक शनि है और विशेष रूप से इस दिन ऐसे कामों से बचना चाहिए, जिनसे कुंडली में शनि अशुभ हो सकता है।

हनुमान के मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

अगर आप पर शनि की अशुभ दशा चल रही है तो मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

शनिदेव गरीबों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस कारण जो लोग गरीबों का अपमान करते हैं, गरीबों को परेशान करते हैं, शनि उनके जीवन में परेशानियां बढ़ा देता है।

शनिवार को घर में लोहा या लोहे से बनी चीज लेकर नहीं आना चाहिए। इस दिन लोहे की चीजों का दान करना चाहिए।

शनिदेव के लिए काले तिल का दान करें।

शनिवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए।

पूजा के बाद सात परिक्रमा करें।

शनिवार को जूते-चप्पल का दान किसी गरीब को करेंगे तो शनि के दोष दूर हो सकते हैं।

Google ने महिलाओं के लिए खास Doodle बनाकर किया समर्पित – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019

गूगल ने खास तौर पर महिलाओं सशक्‍तीकरण और उनको सम्‍मान देनें के लिए ही इस डूडल को बनाया है।

Happy International Women’s Day 2019

आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिलाओं दिवस 2019 मनाया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के खास अवसर पर दूनिया की दिग्गज सर्च इंजन कंपनी गूगल ने महिलाओं के लिए खास डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें समर्पित किया हैं।

गूगल ने खास तौर पर महिलाओं सशक्‍तीकरण और उनको सम्‍मान देनें के लिए ही इस डूडल को बनाया है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के डूडल को खास उद्देश्य सिर्फ महीला सशक्‍तीकरण को बढ़ाना है।

गूगल ने अपने खास डूडल में 14 स्लाइड्स को जोड़ा है, जिसमें 14 अलग भाषाओं में महिला सशक्‍तीकरण के कोट्स लिखे हैं।

गूगल के इस डूडल में भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम का कोट भी शामिल है। मैरी कॉम ने लिखा है कि यह मत कहिए कि आप कमजोर हैं क्योंकि आप एक महिला हैं। 

गूगल ने अपने डूडल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करने का ऑप्शन भी दिया है। 

महिलाओं के सम्मान, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए महिला दिवस 2019 के खास अवसर पर हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।

गूगल ने डूडल बनाकर रूस के महान गणितज्ञ ओल्गा लैडिजेनस्काया को किया याद

7 मार्च 2019 को गूगल ने रूस के महान गणितज्ञ ओल्गा लैडिज़ेनस्काया के 97वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है।

एक बार फिर दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन ने महाशख्सियत की याद में डूडल बनाकर याद किया है।

 गणितज्ञ ओल्गा लैडिज़ेनस्काया एक महान गणितज्ञ थे।

जिन्होंने डिफरेंशियल इक्वेशन्स और फ्लूड डायनैमिक्स के क्षेत्र में महान उपलब्धि हासिल की।

लेडीशेंजकिया का जन्म सोवियत यूनियन में हुआ जो अब रूस के कोलोग्रीव शहर है।

बता दें कि इस महान गणितज्ञ का जन्म 7 मार्च 1922 को सोबियत के कोलोग्रिव में हुआ।

उनके पिता गणित के शिक्षक थे।

लेडी शेंजकिया का जीवन संघर्षों से भरा रहा।

बचपन में ही उनकी शादी हो गई। उनका निधन  2004 में हुआ।

इन्होंने मौसम पूर्वानुमान, समुद्र विज्ञान, वायुगतिकी और हृदय विज्ञान के क्षेत्र के काफी महान योगदान दिया।

मधुमेह रोगी क्‍या हम फल का सेवन कर सकते हैं?

यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो, जाहिर सी बात है कि आपके दिमाग में यह एक सवाल जरुर आया होगा कि क्‍या हम फल का सेवन कर सकते हैं? एक्‍सपर्ट बोलते हैं कि मधुमेह रोगी भी फल का सेवन कर सकते हैं लेकिन सही मात्रा में। ऐसे फल जैसे, केला, लीची, चीकू और कस्‍टर्ड एप्‍पल आदि से बचना चाहिये।

जिसका सेवन आप आराम से कर सकते हैं। दरअसल, मधुमेह के रोगियों को रेशेदार फल, जैसे तरबूज, खरबूजा, पपीता, सेब और स्ट्राबेरी आदि खाने चाहिए। इन फलों से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित होता है इसलिये इन्‍हें खाने से कोई नुकसान नहीं होता।

मधुमेह रोगियों को फलो का रस नहीं पीना चाहिये क्‍योंकि एक तो इसमें चीनी डाली जाती है और दूसारा कि इसमें गूदा हटा दिया जाता है, जिससे शरीर को फाइबर नहीं मिल पाता।

जानकर दंग रह जाएंगे आप,जमीं पर होगा आसमां जैसा सफर

जमीन पर आसमां जैसे सफर का अहसास दिलाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का सफर आश्चर्य भरा है।

देश में ही निर्मित पहली सेमी हाई स्पीड वाली इस ट्रेन के सफर के दौरान महसूस हुआ…कि सोचा जाए तो काफी कुछ किया जा सकता है।

ट्रेन बाहर से देखने पर किसी बुलट ट्रेन की तरह दिखाई देती है।

हर कोई ट्रेन की खूबसूरती को निहारने और अंदर की खूबियां जानने को बेताब था।

इसके प्रवेश द्वार स्वचालित हैं, जो कि आमतौर पर वायुयान में भी नहीं होते।

इसका सबसे बड़ा फायदा चलती ट्रेन में चढने और नहीं उतरने का विकल्प समाप्त होने का है।

फायदा बड़ा है, ट्रेन के नीचे आने की दुर्घटनाएं कम होंगी।

अंदर जाने पर वायुयान जैसी अनुभूति होती है।

वंदे भारत ने रेलवे के इतिहास में सुनहरा पन्ना जोड़ा है।

आज है, जया एकादशी व्रत 2019

Jaya Ekadashi Vrath 2019

जया एकादशी : हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं, आैर जब भी अधिकमास या मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पौराणिक मान्यताआें के अनुसार एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि माघ शुक्ल एकादशी को किसकी पूजा करनी चाहिए, तथा इस एकादशी का क्या महात्मय है। इस भगवान ने उत्तर दिया कि इस एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी होती है। इसका व्रत करने से व्यक्ति सभी नीच योनि अर्थात भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। श्री कृष्ण ने इस से जुड़ी एक कथा भी युधिष्ठिर को सुनाई, जो इस प्रकार है।

भगवान के बताया कि एक बार नंदन वन में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवता, सिद्ध संत और दिव्य पुरूष आये थे। इसी दौरान एक कार्यक्रम में गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं। इसी सभा में गायन कर रहे माल्यवान नाम के गंधर्व पर नृत्यांगना पुष्पवती मोहित हो गयी। अपने प्रबल आर्कघण के चलते वो सभा की मर्यादा को भूलकर ऐसा नृत्य करने लगी कि माल्यवान उसकी ओर आकर्षित हो जाए। एेसा ही हुआ आैर माल्यवान अपनी सुध बुध खो बैठा और गायन की मर्यादा से भटक कर सुर ताल भूल गया। इन दोनों की भूल पर इन्द्र क्रोधित हो गए आैर दोनों को श्राप दे दिया कि वे स्वर्ग से वंचित हो जाएं और पृथ्वी पर अति नीच पिशाच योनि को प्राप्त हों। श्राप के प्रभाव से दोनों पिशाच बन गये और हिमालय पर्वत पर एक वृक्ष पर अत्यंत कष्ट भोगते हुए रहने लगे। एक बार माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दोनो अत्यंत दु:खी थे जिस के चलते उन्होंने सिर्फ फलाहार किया आैर उसी रात्रि ठंड के कारण उन दोनों की मृत्यु हो गर्इ। इस तरह अनजाने में जया एकादशी का व्रत हो जाने के कारण दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति भी मिल गयी। वे पहले से भी सुन्दर हो गए और पुन: स्वर्ग लोक में स्थान भी मिल गया। जब देवराज इंद्र ने दोनों को वहां देखा तो चकित हो कर उनसे मुक्ति कैसे मिली यह पूछा। तब उन्होंने बताया कि ये भगवान विष्णु की जया एकादशी का प्रभाव है। इन्द्र इससे प्रसन्न हुए और कहा कि वे जगदीश्वर के भक्त हैं इसलिए अब से उनके लिए आदरणीय हैं अत: स्वर्ग में आनन्द पूर्वक विहार करें।