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Google ने आज के डूडल को 50 साल की गर्व और LGBTQI समुदाय की स्वीकृति के लिए समर्पित किया है

Google ने आज के डूडल को 50 साल की गर्व और LGBTQI समुदाय की स्वीकृति के लिए समर्पित किया है।

डूडल 1969 से शुरू होकर प्राइड इतिहास के माध्यम से हमें ले जाता है, जब समुदाय ने सामूहिक रूप से अपनी पहचान, अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ाई शुरू कर दी थी।

कलाकार नैट स्वाइनहार्ट पिछले पांच दशकों की प्राइड परेड और इसके बढ़ते आकार और गति के माध्यम से दर्शकों को चलने के लिए समुदाय के साथ पहचाने जाने वाले विभिन्न रंगों का उपयोग करता है।

जून का महीना दुनिया भर में गौरव के महीने के रूप में मनाया जाता है।

यह गर्व की परेड के साथ स्मरण किया जाता है, जहां एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के सदस्यों का दावा है कि वे सड़कों को स्वतंत्रता और स्वीकृति के स्तर पर मना रहे हैं जो उन्होंने समाज में हासिल की है और अधिक के लिए पूछ रहे हैं। प्राइड परेड के बारे में बताते हुए डूडल डिजाइनर स्वाइनहार्ट ने कहा, “प्राइड परेड पूरे एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए उत्सव और मुक्ति का प्रतीक है।

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Breaking News : शायद अब तक का सबसे छोटा वर्ल्ड कप

न्यूज़ 7 वर्ल्ड एक्सक्लूसिव (News7world) 

शायद अब तक का सबसे छोटा वर्ल्ड कप

वैसे तो हर किसी में कोई न कोई ख़ूबी होती है लेकिन कुछ लोगों में एक हुनर ऐसा छिपा होता है जिसे दुनिया के सामने लाना बेहद ज़रूरी था ऐसा ही ऐक कारनामा सिरसा (हरियाणा) के सज्जन कुमार सोनी ने शायद अब तक का सबसे छोटा वर्ल्ड कप जो की सेम डिटो कोपी लम्बाई , 6 mm वजन 160, मीली ग्राम 90,मीन्ट बनाने मे लगा चांदी व सोने मे हाथ से निर्मित बिना सहायता 1987 से हर लोगो ट्राफी क्रिकेट की बनाई इसके ईलावा ओलपीक गेम ,फिफा फूटवोल कप, कोमनवैल्थ गेम , 20 20, वर्ल्ड कप ट्राफी !

न्यूज 7 वर्ड (News7world) इसके लिए दिल से आभारी है। सज्जन कुमार सोनी सिरसा ने यह िसद़् कर दिया दुनिया में नामुमकिन कुछ नहीं है।

सज्जन कुमार सोनी सिरसा

न्यूज़ 7 वर्ल्ड (News7world) मेरी पसन्द क्यो,स्टीक न्यूज देना बड़ी खबर को सुक्षम बनाकर प्रस्तुत करना ,स्टीक जानकारी देेश बिदेश के बारे में जिससे हमे कुछ नया करने को प्रेरित करता है,जो और चैनलो से अलग है यू तो हमारे देश में बहुत न्यूज चेनल है लेकिन खबरो की जानकारी जरुर देते है लेकिन मसाला ज्यादा जिससे खबर पर विश्वास करना कई बार मुशकिल हो जाता है के सत्य है या असत्य, इस से मै प्रभावित हुआ मन में विचार आया जो हमे कुछ दे रहा है, शायद अब तक का सबसे छोटा वर्ल्ड कप जो की सेम डिटो कोपी बनाकर भेजा तो न्यूज़ 7 वर्ल्ड इसे स्वीकार करेगा एक नई उम्मीद के साथ कुछ नया करने के लिए प्रेरित करेगा होसलो की उङान के साथ
आपका,
सज्जन कुमार सोनी सिरसा

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विश्व साइकिल दिवस 2019: आइआइटी में प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राओं को यह निर्देश हैं कि वह कैंपस में साइकिल का ही इस्तेमाल करेंगे।

कानपुर:

दुनिया को उम्दा तकनीक देने वाला आइआइटी कानपुर पर्यावरण को लेकर भी सचेत है और प्रोफेसर व छात्र समेत संस्थान से जुड़े आठ हजार लोग कार व बाइक की बजाय कैंपस में साइकिल से चलते हैं।

क्लास में जाने से लेकर कैंटीन और प्ले ग्राउंड तक की दूरी साइकिल से तय करते हैं। ऐसे में एक छात्र व प्रोफेसर प्रतिदिन औसतन पांच किलोमीटर साइकिल चलाते हैं।

इस तरह रोजाना ये सभी 40 हजार किमी की दूरी साइकिल से तय कर करीब आठ सौ लीटर पेट्रोल की बचत कर रहे हैं।

ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के साथ आइआइटी ईंधन भी रोजाना बचा रहा है।

आइआइटी में प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राओं को यह निर्देश हैं कि वह कैंपस में साइकिल का ही इस्तेमाल करेंगे।

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Google ने डूडल के साथ ICC कार्यक्रम की शुरुआत की

Google ने डूडल के साथ ICC कार्यक्रम की शुरुआत की

गूगल ने गुरुवार को इंग्लैंड में ICC क्रिकेट विश्व कप 2019 की शुरुआत डूडल बनाकर की।

दस टीमें एक महीने तक चलने वाले टूर्नामेंट में एक-दूसरे के साथ भिड़ेंगी जो 14 जुलाई को अपने फाइनल का आयोजन करेगी।

टूर्नामेंट के पहले मैच में मेजबान इंग्लैंड का सामना दक्षिण अफ्रीका से होगा।

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चाइनीज कंपनी Huawei से गुगुल ने तोड़ा रिश्ता

चाइनीज कंपनी Huawei से Google ने तोड़ा रिश्ता

लॉस एंजेल्स: गुगुल ने चीनी टेक मोबाइल कंपनी ‘हुआवे’ के एंड्राएड आपरेटिंग सिस्टम के कुछेक अपडेट का उपयोग बंद कर दिया है, जो चीनी कंपनी के लिए एक बड़ा आघात बताया जा रहा है।

हुआवे के नए डिज़ाइन वाले मोबाइल स्मार्ट फ़ोन में अब गुगुल की कुछ एप्स हटा ली गई हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल में इस चीनी टेक कंपनी के विरुद्ध प्रतिबंध लगाकर अमेरिकी कंपनियों को इससे किनारा करने के आदेश दिए थे।

गूगल ने एक बयान जारी कर इस आशय की जानकारी दी है।

हुआवे कंपनी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। इसका अभिप्राय यह होगा कि चीनी कंपनी हुआवे के भविष्य में आने वाले सेल फ़ोन में यू ट्यूब और मैप्स एप्स नहीं होंगे।

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Google ने 7वें चरण के मतदान को लेकर बनाया स्पेशल डूडल

Google ने 7वें चरण के मतदान को लेकर बनाया स्पेशल डूडल

भारत में लोकसभा चुनाव 2019 जारी है, जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर पलटवार कर रही हैं।

चुनाव 2019 (Elections 2019) को ध्यान में रखकर दिग्गज राजनीतिक पार्टियां जमकर प्रचार कर रही हैं और इस बार देश के लोगों की भी इन चुनावों पर नजर बना रखी है।

आज देश के 8 राज्यों की 58 सीटों पर मतदान का सातवां चरण जारी है और इसको ध्यान में रखकर दिग्गज टेक कंपनी Google ने स्पेशल डूडल बनाया है।

गूगल के डूडल में देखें को इसमें एक अंगुली बनी है, जिसमें स्याही लगी है। यह मतदान करने के बाद लगाई जाती है।

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Shabha Elections 2019) को लेकर गूगल ने अपने डूडल में वोट करने के तरीके को बताया है।

अगर आप भी गूगल के इस डूडल पर टैप करेंगे, तो आपको कैसे मतदान करें इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी।

19 मई 2019 आज सातवें चरण में बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और चंडीगढ़ की सीटों पर मतदान जारी हैं।

अब तक छह चरण पूरे हो चुके हैं और 23 मई 2019 को परिणाम आएंगे।

आज सातवें चरण की वोटिंग जारी है। आपको बता दें कि आखरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी भी शामिल है।

अब तक छह चरण पूरे हो चुके हैं और 23 मई 2019 को परिणाम आएंगे।

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गूगल ने डूडल के जरिये – फ़ारसी गणितज्ञ, दार्शनिक, कवि और खगोलशास्त्री उमर खैय्याम का 971 वां जन्मदिन मनाया

गूगल ने डूडल के जरिये फ़ारसी गणितज्ञ, दार्शनिक, कवि और खगोलशास्त्री उमर खैय्याम का 971 वां जन्मदिन मनाया।

गणितज्ञ और खगोलशास्त्री उमर खैय्याम को उनके 971वें जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि।

गूगल ने डूडल के जरिये गणितज्ञ और खगोलशास्त्री उमर खैय्याम को उनके 971वें जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि।

पूर्वोत्तर ईरान के निशापुर में 18 मई, 1048 को जन्मे उमर खैय्याम कई गणितीय और वैज्ञानिक खोजों के लिए जाने जाते हैं।

महज 22 साल की उम्र में खय्याम में गणितज्ञ के क्षेत्र में अपना नाम कमाना शुरू कर दिया था। 22 साल की उम्र में, खय्याम पहले से ही गणित के क्षेत्र में अलजेब्रा और संतुलन (Balancing) में अपना योगदान देकर अपना नाम बना लिया था।

उमर खैय्याम ने क्यूबिक इक्वेशन्स को सॉल्व करने के लिए एक सामान्य तरीका बनाया जहां उन्होंने कॉनिक्स के इंटरसेक्शन के जरिए जियोमेट्रिक सल्यूशन दिए।

उमर खैय्याम को जलाली कैलेंडर के लिए भी जाना जाता है, बाद में यह कई अन्य कैलेंडर का आधार बन गया।

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सेटअप बॉक्स के बिना भी आप देख सकेंगे टीवी

दिल्ली: आज टीवी हर एक व्यक्ति के घर में है। टीवी ही एक ऐसा साधन है, जिसके जरिए लोग अपना मनोरंजन करते हैं।

वैसे तो मार्केट में कई डीटूएच कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन उनमे से सिर्फ वीडियोकॉम और टाटा स्काई ऐसी कंपनियां हैं, जो कि अपने ग्राहकों को कम कीमत में ज्यादा चैनल दे रही हैं।

वहीं, टीवी पर चैनल्स देखने के लिए लोगों को सेटअप बॉक्स लगाना पड़ता है, तभी चैनल देखें जा सकते हैं।

अगर हम कहें कि अब आप भी बिना सेटअप बॉक्स के ही टीवी चैनल देख सकते हैं, तो आपको यह बात सुनकर थोड़ी हैरानी होगी। 

दरअसल, डीटूएच कंपनी Tata Sky ने अपने ग्राहकों के लिए Tata Sky Binge सेवा को लॉन्च किया है। टाटा स्काई बिंग बिलकुल अमेज़न फायर स्टिक की तरह है और इसके जरिए बिना सेटअप बॉक्स के ही टीवी देखा जा सकता है।

Tata Sky Binge अपने ग्राहकों को अमेज़न फायर स्टिक की तरह की प्रीमियम कंटेंट देखने का एक्सिस देता है।

वहीं, ग्राहक भी टाटा स्काई बिंग पर केवल 249 रुपए में अपने अनुसार टीवी पर अपना पसंदीदा कंटेंट देख सकेंगे।

इसके लिए ग्राहकों को प्रति माह 249 रुपए का भुगतान करना होगा।

अगर आपके पास स्मार्ट टीवी है या फिर ऐसा टीवी है, जिसमें एचडीएमआई पोर्ट हो। तो तभी आप टाटा स्काई की नई सेवा लाभ उठा सकेंगे और इसके लिए घर में वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन भी होना चाहिए।

टाटा स्काई बिंग को इस्तेमाल करने के लिए लोगों को अपने फोन में टाटा स्काई ऐप से कंटेंट को एक्सिस करना होगा और इसके बाद लोग फोन में मौजूदा कंटेंट को देख सकेंगे।

इसके अलावा लोगों को टाटा स्काई बिंग के साथ एक रिमोट मिलेगा, जो कि वॉयस कमांड फीचर से लैस होगा।

टाटा स्काई की इस सेवा का लाभ उठाने के लिए आपको सबसे पहले टाटा स्काई एडिशन पैक को खरीदना होगा, जिसमें आपको टाटा स्काई बिंग प्री-लोडेड ही मिलेगा।

आप भी टाटा स्काई बिंग को 3,999 रुपए में खरीद सकते हैं और इसके बाद कंटेंट के लिए आपको हर महीने 249 रुपए का भुगतान करना होगा।

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बुधवार के दिन भगवान गणेश का विधिवत पूजन करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते ऐसा माना जाता है

पंचकूला: बुधवार का दिन रिद्धि -सिद्धि (Ridhi Sidhi) के देवता श्री गणेश को समर्पित है।

इस दिन भगवान गणेश का विधिवत पूजन करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं।

माना जाता है जो भी व्यक्ति गणेश जी की पूजा करता है उसके घर में रिद्धि और सिद्धि का वास होता है। यानी घर में धन के साथ-साथ सुख और समृद्धि दोनों आती है।

गणेश जी की अराधना से कुंडली में बुध ग्रह के दोष भी दूर होते हैं।

अगर आप इस दिन कुछ उपाय भी करते हैं तो आपके जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहेगा।

  • यदि आपके में नकारात्मक का वास है तो शुक्लपक्ष के बुधवार के दिन घर की पूरी तरह सफाई करें। इसके बाद गणपति की सफेद प्रतिमा स्थापित करें। फिर विधि-विधान से इनकी पूजा करें। 
  • बुधवार के दिन भगवान गणेश के समक्ष गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  • प्रत्येक बुधवार को गाय को हरी घास खिलाएं। यदि हरी घास खिलाना संभव न हो तो हरी सब्जी खिला सकते हैं। ऐसा करने से आपके घर के समस्त क्लेश दूर होते हैं और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। 
  • बुधवार के दिन गणेश जी को सिंदूर अर्पित करें। उन्हें सिंदूर चढ़ाने से व्यक्ति की समस्त परेशानियां दूर होती है।
  • साथ ही घर-परिवार और नौकरी पेशे से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  • भगवान गणेश के मंदिर में जाकर उन्हें दूर्वा घास और लड्डू अर्पित करें। गणपति को दूर्वा और लड्डू दोनों ही बहुत अधिक प्रिय हैं। ये चढ़ाने से वो जल्द प्रसन्न हो कामनाओं की पूर्ति करते हैं।
  • यदि आपके में नकारात्मक का वास है तो शुक्लपक्ष के बुधवार के दिन घर की पूरी तरह सफाई करें। इसके बाद गणपति की सफेद प्रतिमा स्थापित करें। फिर विधि-विधान से इनकी पूजा करें। 
  • बुधवार के दिन भगवान गणेश के समक्ष गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
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श्री सीता नवमी 2019 को जानकी नवमी भी कहते हैं, जानिेए कैसे ?

श्री सीता नवमी 2019:

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जनकनंदनी एवं प्रभु श्रीराम की प्राणप्रिया, सर्वमंगलदायिनी, पतिव्रताओं में शिरोमणि श्री सीताजी का प्राकट्य हुआ। यह दिन जानकी नवमी या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस पावन पर्व पर जो भी भगवान राम  सहित माँ जानकी का व्रत-पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल एवं समस्त तीर्थ भ्रमण का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है एवं समस्त प्रकार के दु:खों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है।

भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी देवी सीता जी का जन्मदिवस फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो मनाया जाता ही है परंतु वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भी जानकी-जयंती के रूप में मनाया जाता है क्योंकि रामायण के अनुसार वे वैशाख में अवतरित हुईं थीं, किन्तु ‘निर्णयसिन्धु’ के ‘कल्पतरु’ ग्रंथानुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीता जी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी के नाम से भी संबोद्धित किया गया  है अत: दोनों ही तिथियाँ उनकी जयंती हेतु मान्य हैं तथा दोनों ही तिथियां हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी गई हैं। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। अत: इस दिन व्रत करने का विशेष महत्त्व है। 

शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी ‘सीता’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। 

सीता जन्म कथा सीता के विषय में रामायण और अन्य ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसके अनुसार मिथिला के राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं हो रही थी। इससे चिंतित होकर जनक ने जब ऋषियों से विचार किया, तब ऋषियों ने सलाह दी कि महाराज स्वयं खेत में हल चलाएँ तो इन्द्र की कृपा हो सकती है। मान्यता है कि बिहार स्थित सीममढ़ी का पुनौरा नामक गाँव ही वह स्थान है, जहाँ राजा जनक ने हल चलाया था। हल चलाते समय हल एक धातु से टकराकर अटक गया। जनक ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया। इस स्थान से एक कलश निकला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक निःसंतान थे। इन्होंने कन्या को ईश्वर की कृपा मानकर पुत्री बना लिया। हल का फल जिसे ‘सीत’ कहते हैं, उससे टकराने के कारण कालश से कन्या बाहर आयी थी, इसलिए कन्या का नाम ‘सीता’रखा गया था। ‘वाल्मीकि रामायण’ के अनुसार श्रीराम के जन्म के सात वर्ष, एक माह बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को जनक द्वारा खेत में हल की नोक (सीत) के स्पर्श से एक कन्या मिली, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया। जनक दुलारी होने से ‘जानकी’, मिथिलावासी होने से ‘मिथिलेश’ कुमारी नाम भी उन्हें मिले। वर्तमान में मिथिला नेपाल का हिस्सा हैं अतः नेपाल में इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते हैं । वास्तव में सीता, भूमिजा कहलाई क्यूंकि राजा जनक ने उन्हें भूमि से प्राप्त किया था । 

वेदों, उपनिषदों तथा अन्य कई वैदिक वाङ्मय में उनकी अलौकिकता व महिमा का उल्लेख एवं  उनके स्वरूप का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है जहाँ ऋग्वेद में एक स्तुति के अनुसार कहा गया है कि असुरों का नाश करने वाली सीता जी आप हमारा कल्याण करें एवं इसी प्रकार सीता उपनिषद जो कि अथर्ववेदीय शाखा से संबंधित उपनिषद है जिसमें सीता जी की महिमा एवं उनके स्वरूप को व्यक्त किया गया है। इसमें सीता को शाश्वत शक्ति का आधार बताया गया है तथा उन्हें ही प्रकृति में परिलक्षित होते हुए देखा गया है। सीता जी को प्रकृति का स्वरूप कहा गया है तथा योगमाया रूप में स्थापित किया गया है।

अष्टमी तिथि को ही नित्यकर्मों से निर्मित होकर शुद्ध भूमि पर सुंदर मंडप बनाएं, जो तोरण आदि से मंडप के मध्य में सुंदर चौकोर वेदिका पर भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की स्थापना करनी चाहिए। पूजन के लिए स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, एवं मिट्टी इनमें से यथासंभव किसी एक वस्तु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है। मूर्ति के अभाव में चित्रपट से भी काम लिया जा सकता है। जो भक्त मानसिक पूजा करते हैं उनकी तो पूजन सामग्री एवं आराध्य सभी भाव में ही होते हैं। भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की प्रतिमा के साथ साथ पूजन के लिए राजा जनक, माता सुनैना, पुरोहित शतानंद जी, हल और माता पृथ्वी की भी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। नवमी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर श्री जानकी राम का संकल्प पूर्वक पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम पंचोपचार से श्री गणेश जी और भगवती पार्वती का पूजन करना चाहिए। फिर मंडप के पास ही अष्टदल कमल पर विधिपूर्वक कलश की स्थापना करनी चाहिए। यदि मंडप में प्राण-प्रतिष्ठा हो तो मंडप में स्थापित प्रतिमा या चित्र में प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। प्रतिमा के कपड़ों का स्पर्श करना चाहिए। भगवती सीता का श्लोक के अनुसार ध्यान करना चाहिए।आज के दिन माता सीता की पूजन करने से सर्वश्रेष्ठ लाभ प्राप्त होता है।

श्री वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह पश्चात भगवती सीता जी का प्राकट्य हुआ। गोस्वामी तुलसीदास जी बालकांड के प्रारम्भ में आदिशक्ति सीता जी की वंदना करते हुए कहते हैं :

‘‘उद्भवस्थिति संहारकारिणी क्लेशहारिणीम्।

सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥’’

माता जानकी ही जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली तथा समस्त संकटों तथा क्लेशों को हरने वाली हैं। वह मां भगवती सीता सभी प्रकार का कल्याण करने वाली रामवल्लभा हैं। उन भगवती सीता जी के चरणों में प्रणाम है, मां सीता जी ने ही हनुमान जी को उनकी असीम सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियों तथा नव-निधियों का स्वामी बनाया।

‘‘अष्टसिद्धि नव-निधि के दाता।

अस वर दीन जानकी माता॥’’

सीता-राम वस्तुत: एक ही हैं।