इतिहास, धर्म, अध्यात्म और परंपराओं से जुड़ा हरियाणा आज कृषि और सहकारिता के सहयोग से किसानों की समृद्धि के नए आयाम गढ़ रहा है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर ‘सहकार से समृद्धि’ का नया मंत्र दिया और रोजगार के साथ-साथ समृद्धि को भी सहकारिता से जोड़ा
कृषि, पशुपालन और सहकारिता इन तीनों को जोड़कर हो रहा है ‘सहकार से समृद्धि’ का सृजन
कम पानी, प्राकृतिक खेती और कम रिस्क, यही आधुनिक कृषि के तीन स्तंभ हैं
मोदी जी ने नेतृत्व में कृषि, सब्सिडी निर्भरता की जगह सस्टेनेबल और मुनाफा कमाने की दिशा में आगे बढ़ रही है
सहकारिता पर आधारित ‘भारत टैक्सी’ से होने वाला अधिकतम मुनाफा ड्राइवरों के पास जाएगा, उन्हें बीमा जैसी अनेक सुविधाएँ मिलेंगी
MSP पर 24 फसलें खरीदने वाला पहला राज्य है हरियाणा, 48 घंटे के भीतर होता है खरीदी का भुगतान
11 वर्षों में मोदी जी ने कृषि बजट पांच गुना से अधिक और ग्रामीण विकास बजट दुगुना से अधिक बढ़ाया
गृह मंत्री जी ने मिल्क चिलिंग सेंटर, HAFED के आटा मिल, RuPay प्लेटिनम कार्ड, मॉडल पैक्स का पंजीकरण और सहकारिता वर्ष के पोर्टल का लोकार्पण भी किया

पंचकूला , 24 दिसंबर – केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज हरियाणा के पंचकूला में कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) द्वारा ‘सतत कृषि में सहकारिता की भूमिका’ विषय पर आयोजित सहकारी सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर, केन्द्रीय सहकारिता सचिव डॉ. आशीष भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि इतिहास, धर्म, अध्यात्म और परंपराओं से जुड़ा हरियाणा आज धीरे-धीरे कृषि और सहकारिता के सहयोग से किसानों की समृद्धि के नए आयाम लिख रहा है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर कृभको द्वारा आयोजित इस सेमिनार में मिल्क चिलिंग सेंटर, HAFED का आटा मिल, RuPay प्लेटिनम कार्ड, मॉडल पैक्स का पंजीकरण और सहकारिता वर्ष का पोर्टल, जो पूरे देश की सहकारिता से जुड़ी सूचनाएं सहकारिता से जुड़े सभी किसानों तक पहुंचाएगा, का लोकार्पण किया गया।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। उन्होंने कहा कि हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जीवन-यापन खेती, किसानी तथा पशुपालन पर आधारित होता है। उन्होंने कहा कि यदि हम कृषि और पशुपालन को स्वतंत्र व्यवसाय के रूप में देखें, तो ये क्षेत्र बहुत सारे लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। श्री शाह ने कहा कि देश में सबसे अधिक रोजगार यदि किन्हीं दो क्षेत्रों में सृजित होता है, तो वह कृषि और पशुपालन से ही होता है। लेकिन जब हम कृषि और पशुपालन को सहकारिता से जोड़ते हैं, तो यह करोड़ों लोगों को न केवल रोजगार उपलब्ध कराने का काम करता है, बल्कि उन्हें समृद्ध बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि गुजरात में आज अमूल 36 लाख महिला दुग्ध उत्पादकों को हर साल लगभग 90 हजार करोड़ रुपए वितरित करती है। यदि हम उतने ही दूध को बाजार मूल्य पर बेचें, तो वह मात्र 12 हजार करोड़ रुपए में बिकता। उन्होंने कहा कि इस 12 हजार करोड़ और 90 हजार करोड़ रुपए के बीच का जो अंतर है, वही सहकारिता की ताकत है। इसीलिए कहा जाता है कि पशुपालन, कृषि और सहकारिता—इन तीनों को जोड़कर ‘सहकार से समृद्धि’ का सृजन किया जा सकता है। श्री शाह ने कहा कि हमने हमेशा कृषि और पशुपालन को केवल रोजगार की दृष्टि से देखा है, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने केन्द्र में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना करके ‘सहकार से समृद्धि’ का एक नया मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि अब रोजगार के साथ-साथ समृद्धि को भी जोड़ने का काम किया जा रहा है।
श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने अपनी सरकार आने के बाद कृषि के आधार को मजबूत किया और सहकारिता के माध्यम से मजबूत की गई कृषि को किसानों को समृद्ध बनाने के लिए उपयोग किया। उन्होंने कहा कि कम पानी, कम केमिकल और कम जोखिम नई कृषि नीति की नींव है। इसमें वैज्ञानिक तरीके से सिंचाई करके कम पानी में ज्यादा फसल प्राप्त करना, प्राकृतिक खेती के माध्यम से उर्वरकों का उपयोग कम करना, तथा मिट्टी के परीक्षण से न्यूनतम जोखिम वाली फसलों का चयन करना शामिल है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की सेहत (soil health), जल सुरक्षा (water security), संस्थागत ऋण (institutional credit), बाजार पहुंच (market access), उत्पाद का प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग, इन सभी माध्यमों से किसान की आय बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। साथ ही, धीरे-धीरे सब्सिडी पर निर्भर कृषि की जगह सस्टेनेबल फार्मिंग की दिशा में आगे बढ़ना होगा, जो सतत मुनाफा बढ़ाने वाली हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने जल और मिट्टी की सुरक्षा, उनका परीक्षण, ऑर्गेनिक फार्मिंग, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने वाली खेती, डिजिटल कृषि मिशन और सहकारिता—इन सभी वर्टिकल्स को आगे बढ़ाने का काम किया है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने, तब देश का कृषि बजट 22 हजार करोड़ रुपए था, जिसे हमारी सरकार ने बढ़ाकर 1 लाख 27 हजार करोड़ रुपए करने का काम किया है। ग्रामीण विकास का बजट 80 हजार करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 1 लाख 87 हजार करोड़ रुपए किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि आज कोई सरपंच ऐसा नहीं है, और हरियाणा में तो बिल्कुल भी नहीं, जिसे पिछले 10 साल में 10 करोड़, 20 करोड़ या 25 करोड़ रुपए गांव के विकास के लिए न मिले हों। यह विकास के दृष्टिकोण में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।श्री शाह ने कहा कि फसल बीमा को ज्यादा उपयोगी बनाया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से हर किसान को हर साल 6 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में 1 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। e-NAM के माध्यम से किसानों को उचित दाम मिल रहे हैं। श्री अन्न मिशन, दलहन-तिलहन मिशन, डेयरी सेक्टर की चक्रीय व्यवस्था—इनके अलावा कई प्रकार के इनिशिएटिव्स लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 1 लाख करोड़ रुपए (जो योजना पूर्ण होते-होते 93 हजार करोड़ से बढ़कर 1 लाख करोड़ की हो जाएगी) के माध्यम से पिछले 10 साल में 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित करने का काम भी आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि ढेर सारी पहल करके कृषि क्षेत्र को मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना इसलिए की गई ताकि कृषि और पशुपालन के माध्यम से किसान द्वारा पैदा की जाने वाली उपज का पूरा मुनाफा किसान तक पहुँच सके।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के लिए मॉडल बायलॉज़ तैयार किए हैं, तथा मल्टीपर्पस PACS के प्रमाण-पत्र किसानों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमने उर्वरक वितरण, कीटनाशक वितरण, कृषि उत्पादों की सफाई, ग्रेडिंग, मार्केटिंग, दवाइयों की दुकान, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, पानी का वितरण—इन सभी सेवाओं को PACS के साथ जोड़ने का काम किया है। लगभग 30 अलग-अलग आयामों को PACS के साथ जोड़कर हमने PACS को मजबूत बनाया है। श्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर तीन मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ बनाए गए हैं, जिनमें एक किसानों की उपज को एक्सपोर्ट करने के लिए (National Cooperative Exports Limited – NCEL), एक ऑर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग और प्रमाणीकरण के लिए (National Cooperative Organics Limited – NCOL), और एक बीज के उत्पादन, प्रोक्योरमेंट और वितरण के लिए (Bharatiya Beej Sahkari Samiti Limited – BBSSL) है। उन्होंने कहा कि इन पहलों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की मजबूत नींव डाली गई है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि जब अमूल की स्थापना हुई थी, तब वह रोजाना मात्र 2 हजार लीटर दूध इकट्ठा करता था। आज यह देशभर में कई करोड़ लीटर (लगभग 3 करोड़ लीटर प्रतिदिन) दूध इकट्ठा करता है और इसका टर्नओवर लगभग 1 लाख 23 हजार करोड़ रुपए है। श्री शाह ने विश्वास जताया कि 15 साल बाद इस देश में अमूल जैसी कम से कम 20 संस्थाएं खड़ी होंगी, जो किसानों के लिए काम करने वाली मजबूत सहकारी संस्थाएं होंगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने गन्ना किसानों को सबसे अधिक दाम देने का काम किया है और नायब सिंह सैनी सरकार ने हरियाणा के किसानों को खुशहाल बना दिया है, जो सबसे बड़ी उपलब्धि है।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश में कई कंपनियां टैक्सी परिचालन का काम करती हैं, लेकिन उनमें मुनाफा ड्राइवर के पास नहीं, बल्कि मालिक के पास जाता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की पहलों के तहत हम एक-दो महीने में ही ‘भारत’ टैक्सी लॉन्च करेंगे, जिसका एक-एक आना मुनाफा हमारे ड्राइवर भाइयों के पास जाएगा।इससे हमारे ड्राइवर भाइयों के लिए रोजगार की कई नई संभावनाएं खुलेंगी। उन्हें बीमा की व्यवस्था मिलेगी, उनकी टैक्सी पर एडवर्टाइजमेंट की व्यवस्था होगी और सारा मुनाफा अंततः उनके पास ही जाएगा। इससे ग्राहक की सुविधा भी बढ़ेगी और टैक्सी ड्राइवर भी समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि ‘भारत’ सहकारिता टैक्सी जल्द ही लॉन्च होने वाली है। श्री शाह ने विश्वास जताया कि देखते-देखते यह भारत की नंबर 1 टैक्सी परिचालन कंपनी बन जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन लगभग 125 साल पुराना है, लेकिन मोदी जी ने जो इनिशिएटिव लिया है, उससे यह आंदोलन नई बुलंदियों पर पहुँचेगा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समृद्धि का प्रमुख कारण बनेगा।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि हरियाणा ने हमेशा देश की खाद्य सुरक्षा, दूध उत्पादन और खेलों के मैदान में देश के लिए पदकों की झड़ी लगाने का काम किया है। मोर्चा या मैदान कोई भी हो, हरियाणा के किसानों, जवानों और खिलाड़ियों ने हर मोर्चे पर हमारे तिरंगे की शान बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि आज भी हम उस कालखंड को भूल नहीं सकते, जब हमारी आबादी बहुत कम होने के बावजूद खाने के लिए हमें अमेरिका से लाल गेहूं मंगाने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा और पंजाब की ही भूमि है जिसने देश को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनाकर दुनिया में सम्मान दिलाया है। श्री शाह ने कहा कि छोटा सा प्रदेश होने के बावजूद केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और तीनों सेनाओं में आबादी के अनुपात में सबसे अधिक जवान हरियाणा के हैं और उनकी बहादुरी के कारण ही भारत की सेनाएं और सशस्त्र बल बहुत सारे आक्रमण विफल कर सके हैं। उन्होंने कहा कि धाकड़ हरियाणा के धाकड़ खिलाड़ी हर खेल में देश को मेडल तालिका में शीर्ष पर ले जाने का काम करते हैं।
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