*MP Manish Tewari inaugurates Open Air Gym at Central Park, Sector 63, Chandigarh*

चुनाव पर्यवेक्षक सौरभ कुमार ने की फार्म 17ए व 17सी की जांच, चुनाव प्रत्याशी व प्रतिनिधि भी रहे मौजूद

सिरसा, 13 मई। 

सिरसा लोकसभा क्षेत्र के सभी 9 विधानसभा सेग्मेंट के प्रपत्र 17ए की छंटनी के लिए आज चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के मल्टीपर्पज हॉल में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में लोकसभा क्षेत्र के चुनाव पर्यवेक्षक सौरभ कुमार, रिटर्निंग अधिकारी एवं उपायुक्त प्रभजोत सिंह, उपायुक्त फतेहाबाद धीरेंद्र खडग़टा, अतिरिक्त उपायुक्त मनदीप कौर सहित संबंधित विस के एसडीएम, राजनीतिक दलों के प्रत्याशी व प्रतिनिधि मौजूद थे। 

चुनाव पर्यवेक्षक सौरभ कुमार ने सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों के जिन बूथों पर सबसे कम व सबसे अधिक मतदान हुआ है। ऐसे बूथों के पीठासीन अधिकारी द्वारा भरे गए फार्म 17ए व 17सी की जांच की। जिन फार्मों के कॉलम अधूरे पाए गए उन्हें संबंधित एआरओ को पूरा करवाने के निर्देश दिये। उन्होंने फार्मों की जांच करते हुए प्रत्याशियों व उनके एजेंटों से उनकी समस्याएं जानी।

सिरसा लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी एवं उपायुक्त प्रभजोत सिंह ने बताया कि सिरसा लोकसभा क्षेत्र में 13 लाख 67 हजार 362 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जोकि कुल का 75.97 प्रतिशत मतदान हुआ है, यह प्रदेश भर में सर्वाधिक है। लोकसभा क्षेत्र में एक ओर जहां पुरुष मतदान प्रतिशत्ता 76.47 प्रतिशत रही, वहीं महिला मतदान प्रतिशत्ता भी 75.39 प्रतिशत रही है। पूरे लोकसभा क्षेत्र में रानियां विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 78.96 प्रतिशत मतदान हुआ है। उन्होंने बताया कि ईवीएम व वीवीपैट मशीनों को स्ट्रॉंग रुम में जमा कर सील कर दिया गया है और थ्री टायर सिक्योरिटी सिस्टम में सुरक्षित रखा गया है। 

उन्होंने संबंधित एआरओ को निर्देश दिये कि प्रतिदिन अपने संबंधित स्ट्रॉंग रुम चैक करते रहें। उन्होंने सीसीटीवी कैमरे भी लगातार चालु रखने व रिकार्डिंग सुरक्षित रखने के निर्देश दिये। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों व ऐजेंटों से भी कहा कि वे किसी भी समय आ कर स्ट्रॉंग रूम की सुरक्षा व्यवस्था देख सकते हैं, और यदि कोई प्रत्याशी या प्रतिनिधि स्ट्रॉंग रूम के आस-पास रहना चाहते हैं तो वे स्ट्रॉंग रुम के 200 मीटर दायरे से बाहर अपना पंडाल लगा कर बैठ सकते हैं। उन्होंने सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों के एआरओ को निर्देश दिये कि वे मतगणना के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना आरंभ करें ताकि मौके पर किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

उन्होंने बताया कि कालांवाली विस सेग्मेंट में 78.90 प्रतिशत, डबवाली विस सेग्मेंट में 76.18 प्रतिशत, रानियां विस सेग्मेंट में 78.96 प्रतिशत, सिरसा विस सेग्मेंट में 69.67 प्रतिशत, ऐलनाबाद विस सेग्मेंट में 79.97 प्रतिशत, नरवाणा विस सेग्मेंट में 71.91 प्रतिशत, टोहाना विस सेग्मेंट में 77.09 प्रतिशत, फतेहाबाद विस सेग्मेंट में 75.43 प्रतिशत तथा रतिया विस सेग्मेंट में 77.33 प्रतिशत मतदान हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बार मतदान में पुरुष मतदाताओं के साथ-साथ महिला मतदाताओं ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया है। तत्पश्चात उपायुक्त ने जिला सिरसा के सभी पांचों विधानसभा क्षेत्रों के स्ट्रॉंग रुम की सील गहनता से चैक की व लॉगबुक में इंद्राज किया। 

चुनाव पर्यवेक्षक सौरभ कुमार, जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त फतेहाबाद धीरेंद्र खडग़टा, अतिरिक्त उपायुक्त मनदीप कौर, एसडीएम डबवाली ओम प्रकाश, एसडीएम ऐलनाबाद अमित कुमार, एसडीएम सिरसा वीरेंद्र चौधरी, एसडीएम फतेहाबाद सुरजीत नैन, एसडीएम रतिया डा. किरण सिंह, एसडीएम टोहाना सुरेंद्र बेनीवाल, एसडीएम नरवाना जयदीप कुमार, एआरओ रानियां राजेंद्र कुमार, सीटीएम जयवीर यादव, कार्यकारी अभियंता सीडीएलयू एसके विज, ईओ एमसी अमन ढांडा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेश कुमार, डीएसपी आर्यन सहित चुनाव से संबंधित अधिकारी मौजूद थे। 

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पनामा में 6.1 की तीव्रता से आया तेज भूकंप

पनामा में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। इस वजह से इमारतों और मकानों को नुकसान पहुंचा है और कम से कम पांच लोग जख्मी हुए हैं।

अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने बताया कि भूकंप का केंद्र देश के पश्चिमी हिस्से में कोस्टा रिका सीमा के पास 37 किलोमीटर की गहराई में था।

राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा प्रणाली ने कहा कि भूकंप की वजह से चार मकानों को नुकसान पहुंचा और पांच लोग जख्मी हुए हैं।

राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वरेला ने पहले ट्वीट किया था कि प्यर्टो आर्मुलेस में सिर्फ एक व्यक्ति घायल हुआ है। उन्होंने बताया कि मकानों और कारोबारी इमारतों को नुकसान पहुंचा है।

राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा प्रणाली ने कहा कि दो क्षतिग्रस्त घर गिर गए हैं। बहरहाल, प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की है।

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श्री सीता नवमी 2019 को जानकी नवमी भी कहते हैं, जानिेए कैसे ?

श्री सीता नवमी 2019:

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जनकनंदनी एवं प्रभु श्रीराम की प्राणप्रिया, सर्वमंगलदायिनी, पतिव्रताओं में शिरोमणि श्री सीताजी का प्राकट्य हुआ। यह दिन जानकी नवमी या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस पावन पर्व पर जो भी भगवान राम  सहित माँ जानकी का व्रत-पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल एवं समस्त तीर्थ भ्रमण का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है एवं समस्त प्रकार के दु:खों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है।

भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी देवी सीता जी का जन्मदिवस फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो मनाया जाता ही है परंतु वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भी जानकी-जयंती के रूप में मनाया जाता है क्योंकि रामायण के अनुसार वे वैशाख में अवतरित हुईं थीं, किन्तु ‘निर्णयसिन्धु’ के ‘कल्पतरु’ ग्रंथानुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीता जी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी के नाम से भी संबोद्धित किया गया  है अत: दोनों ही तिथियाँ उनकी जयंती हेतु मान्य हैं तथा दोनों ही तिथियां हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी गई हैं। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। अत: इस दिन व्रत करने का विशेष महत्त्व है। 

शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी ‘सीता’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। 

सीता जन्म कथा सीता के विषय में रामायण और अन्य ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसके अनुसार मिथिला के राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं हो रही थी। इससे चिंतित होकर जनक ने जब ऋषियों से विचार किया, तब ऋषियों ने सलाह दी कि महाराज स्वयं खेत में हल चलाएँ तो इन्द्र की कृपा हो सकती है। मान्यता है कि बिहार स्थित सीममढ़ी का पुनौरा नामक गाँव ही वह स्थान है, जहाँ राजा जनक ने हल चलाया था। हल चलाते समय हल एक धातु से टकराकर अटक गया। जनक ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया। इस स्थान से एक कलश निकला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक निःसंतान थे। इन्होंने कन्या को ईश्वर की कृपा मानकर पुत्री बना लिया। हल का फल जिसे ‘सीत’ कहते हैं, उससे टकराने के कारण कालश से कन्या बाहर आयी थी, इसलिए कन्या का नाम ‘सीता’रखा गया था। ‘वाल्मीकि रामायण’ के अनुसार श्रीराम के जन्म के सात वर्ष, एक माह बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को जनक द्वारा खेत में हल की नोक (सीत) के स्पर्श से एक कन्या मिली, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया। जनक दुलारी होने से ‘जानकी’, मिथिलावासी होने से ‘मिथिलेश’ कुमारी नाम भी उन्हें मिले। वर्तमान में मिथिला नेपाल का हिस्सा हैं अतः नेपाल में इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते हैं । वास्तव में सीता, भूमिजा कहलाई क्यूंकि राजा जनक ने उन्हें भूमि से प्राप्त किया था । 

वेदों, उपनिषदों तथा अन्य कई वैदिक वाङ्मय में उनकी अलौकिकता व महिमा का उल्लेख एवं  उनके स्वरूप का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है जहाँ ऋग्वेद में एक स्तुति के अनुसार कहा गया है कि असुरों का नाश करने वाली सीता जी आप हमारा कल्याण करें एवं इसी प्रकार सीता उपनिषद जो कि अथर्ववेदीय शाखा से संबंधित उपनिषद है जिसमें सीता जी की महिमा एवं उनके स्वरूप को व्यक्त किया गया है। इसमें सीता को शाश्वत शक्ति का आधार बताया गया है तथा उन्हें ही प्रकृति में परिलक्षित होते हुए देखा गया है। सीता जी को प्रकृति का स्वरूप कहा गया है तथा योगमाया रूप में स्थापित किया गया है।

अष्टमी तिथि को ही नित्यकर्मों से निर्मित होकर शुद्ध भूमि पर सुंदर मंडप बनाएं, जो तोरण आदि से मंडप के मध्य में सुंदर चौकोर वेदिका पर भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की स्थापना करनी चाहिए। पूजन के लिए स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, एवं मिट्टी इनमें से यथासंभव किसी एक वस्तु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है। मूर्ति के अभाव में चित्रपट से भी काम लिया जा सकता है। जो भक्त मानसिक पूजा करते हैं उनकी तो पूजन सामग्री एवं आराध्य सभी भाव में ही होते हैं। भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की प्रतिमा के साथ साथ पूजन के लिए राजा जनक, माता सुनैना, पुरोहित शतानंद जी, हल और माता पृथ्वी की भी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। नवमी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर श्री जानकी राम का संकल्प पूर्वक पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम पंचोपचार से श्री गणेश जी और भगवती पार्वती का पूजन करना चाहिए। फिर मंडप के पास ही अष्टदल कमल पर विधिपूर्वक कलश की स्थापना करनी चाहिए। यदि मंडप में प्राण-प्रतिष्ठा हो तो मंडप में स्थापित प्रतिमा या चित्र में प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। प्रतिमा के कपड़ों का स्पर्श करना चाहिए। भगवती सीता का श्लोक के अनुसार ध्यान करना चाहिए।आज के दिन माता सीता की पूजन करने से सर्वश्रेष्ठ लाभ प्राप्त होता है।

श्री वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह पश्चात भगवती सीता जी का प्राकट्य हुआ। गोस्वामी तुलसीदास जी बालकांड के प्रारम्भ में आदिशक्ति सीता जी की वंदना करते हुए कहते हैं :

‘‘उद्भवस्थिति संहारकारिणी क्लेशहारिणीम्।

सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥’’

माता जानकी ही जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली तथा समस्त संकटों तथा क्लेशों को हरने वाली हैं। वह मां भगवती सीता सभी प्रकार का कल्याण करने वाली रामवल्लभा हैं। उन भगवती सीता जी के चरणों में प्रणाम है, मां सीता जी ने ही हनुमान जी को उनकी असीम सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियों तथा नव-निधियों का स्वामी बनाया।

‘‘अष्टसिद्धि नव-निधि के दाता।

अस वर दीन जानकी माता॥’’

सीता-राम वस्तुत: एक ही हैं।