राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान , पंचकूला में   रक्तदान शिविर का आयोजन

संतुलित आहार ही पोषण का सही आधार : उपायुक्त

सिरसा, 10 सितंबर।

बुरी कुरीतियों को त्यागकर व अच्छी परंपराओं को अपनाकर ही समाज बढ़ेगा आगे


महिलाओं में खून की कमी (अनीमिया) व बच्चों का कुपोषण का शिकार होना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही गंभीर विषय है। 52 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी(अनिमिया) व 38 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। ये प्रतिशतता बहुत अधिक है। अभियान से जुड़े विभागों को सामाजिक संस्थाओं,पंचायतों आदि के साथ बेहतर तालमेल के साथ धरातल स्तर पर काम करना होगा, तभी हम पोषण अभियान को सफल बना सकते हैं।  


ये बात उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने आज पोषण अभियान के तहत स्थानीय पंचायत भवन में आयोजित कार्यशाला में उपस्थित आंगनवाड़ी वर्कर, आशा वर्कर व हैल्पर को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर डीएसपी आर्यन, सिविल सर्जन डॉ. वीरेश भूषण, डॉ. गिरीश, सीडीपीओ सरोज रानी, कविता सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। उपायुक्त ने गर्भवती महिलाओं को फ्रूट की टोकरी भेंट कर उन्हें संतुलित आहार बारे प्रेरित किया। पोषण बारे लघु फिल्म भी दिखाई गई तथा विभाग की आंगनवाड़ी वर्कर ने गर्भवती महिला को दिए जाने वाले पोषण आहार पर आधारित एक नाटक भी प्रस्तुत किया।

राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत स्थानीय पंचायत भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन


उपायुक्त ने संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं में खून की कमी होना केवल संतुलित आहार का ही न होना नहीं है, बल्कि इसका एक कारण हमारी सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार महिलाओं का परिवार को पहले खिलाना और खुद बाद में खाना भी है। महिलाओं को अपने खान-पान के प्रति ध्यान देना होगा। बुरी कुरीतियां व परंपराओं से समाज आगे नहीं बढ सकता है। इसलिए जो बुरी कुरीतियां व परंपराएं हैं, उन्हें त्यागें और जो अच्छी हैं उन्हें अपनाएं। महिलाएं पहले अपने लिए खाना निकाल कर रख लें, ताकि उन्हें पूरा व संतुलित आहार मिल सके और उनकी सभी स्वास्थ्यिक आवश्यकताएं पूरी हो। उन द्वारा ऐसा करना किसी परंपरा व संस्कृति को प्रभावित नहीं करता है। उन्होंने कहा कि देश में 52 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी व 38 प्रतिशत बच्चों का कुपोषण का शिकार होना बड़ा हैरान करने वाला है। इसलिए सरकार द्वारा चलाए गए राष्ट्रीय पोषण अभियान को धरातल स्तर पर एक जन आंदोलन बनाना पड़ेगा और इसमें महिला एवं बाल विकास विभाग की आशा वर्कर, आंगवाड़ी कार्यकर्ताओं आदि की अहम भूमिका रहेगी।

महिलाएं अपने खान-पान व अधिकारों के मामले में ना करें किसी प्रकार का समझौता


उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने खान-पान व अधिकारों के प्रति किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहिए। महिलाओं को अपने अधिकारों व अवसरों को स्वयं जानना होगा। इसके लिए आशा वर्कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक बेहतर माध्यम बन सकती हैं, क्योंकि महिला समाज से इनका गहरा जुड़ाव रहता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पुरानी परंपराओं व संस्कृति का हवाला देकर उनके अधिकारों व अवसरों से वंचित नहीं रखा जा सकता। उदाहरण के तौर पर पर्दा रखने की जो पुरानी प्रथा व परंपरा चली आ रही है, यह भी महिलाओं को आगे बढने में बाधक है। जिला में घुंघट रखने की इस परंपरा को खत्म करने की आवश्यकता है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग अपनी अहम भूमिका निभाएं और इसे भी एक आंदोलन के रूप में जिला में चलाएं। उपायुक्त द्वारा दिए निर्देशों पर महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने जिला के दस गांवों को गोद लेकर वहां घुंघट अर्थात पर्दा रखने के प्रति महिलाओं को जागरूक किया जाएगा।
उपायुक्त ने कहा कि जिला को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए अधिक से अधिक प्रचार व प्रसार किया जाए। इसके अलावा रैली, जागरूकता कार्यक्रम तथा नुक्कड़-नाटकों के माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भवती व शिशुओं को स्तनपान करवाने वाली माताओं को पोषक आहार व स्वास्थ्य के प्रति विस्तार से जानकारी दें। इसके साथ-साथ उन्हें शिशुओं के पोषक आहार तथा समय-समय पर विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिए लगाए जाने वाले टिकों की जानकारी दें।


जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. दर्शना सिंह ने जागरूकता गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि महा पोषण अभियान के दौरान आंगनवाडिय़ों में सभी बच्चों का वजन लिया जाएगा और बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा। सभी आयोजनों के दौरान बच्चों को कम लागत में अधिक पोषण देने वाली रेसिपी जैसे पेठे की बर्फी संपूर्ण आहार पंजीरी आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी। बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए माताओं को व किशोरी बालिकाओं को पोषण बारे जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही घर-घर जाकर सुपरवाइजर व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पोषण के बारे में विशेष जानकारी दी जाएगी।

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