मत्स्य पालन अपनाकर लोग बन रहे आत्मनिर्भर, बढ़ रहा पंचायतों का राजस्व
सिरसा, 19 जून।
मत्स्य पालन के प्रति प्रोत्साहित स्वरूप प्रदेश सरकार दे रही है 40 से 60 प्रतिशत की अनुदान राशि
मत्स्य पालन को अपनाकर न केवल लोग अपने आपको आर्थिक रूप से सुदृढ बना रहे हैं, अपितु पंचायतों को भी इससे राजस्व प्राप्त हो रहा है। किसानोंं को मत्स्य पालन के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्ïेश्य से नीली क्रांति योजना के तहत अनेक लाभकारी अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन जैसे लाभकारी व्यवसाय अपनाकर अपने आपको आर्थिक रूप से सुदृढ बना सकते हैं। प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालन व्यसाय को बढावा देने के उद्ïेश्य से नीली क्रांति योजना के तहत अनुदान दी रही है। अनुदान योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मत्स्य विभाग के माध्यम से दिया जाता है। यदि गत वित्त वर्ष की बात की जाए तो जिला के 30 लोगों ने नीली क्रंाति योजना का लाभ उठाया है। इन लाभार्थियों को मत्स्य विभाग के माध्यम से 18 लाख 70 हजार 800 रुपये की वित्तीय सहायता अनुदान स्वरूप प्रदान की गई है। योजना में सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत और महिला तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है।
उपायुक्त ने बताया कि योजना से न केवल पात्र व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंच रहा है अपितु ग्राम पंचायतें को अपना राजस्व बढाने में मदद मिल रही है। ग्राम पंचायतों को किराय पर दिए गए तालाब से आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। गत वित्त वर्ष जिला के 820 तालाबों से ग्राम पंचायतों को किराए पर देने से लगभग 15 लाख रुपये प्रतिवर्ष का राजस्व प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि नये तालाबों, टैंकों के निर्माण पर 7 लाख रुपये प्रति हैैक्टेयर खर्चा आता है, जिस पर सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। ताजे पानी की मछली पालन की खाद-खुराक पर भी एक लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर की लागत पर तथा मिशन फिंगर्लिंग के तहत नये तालाबों और टैंकों के निर्माण पर 6 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर के खर्चे पर निर्धारित अनुदान दिया जाएगा। मिशन फिंगर्लिंग के तहत मछली बीज, फीड, खाद आदि के लिए भी किसानों को 1 लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर के खर्चे पर 40 से 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।
उपायुक्त ने बताया कि जलमग्न क्षेत्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने व जलमग्न क्षेत्र का विकास करने के लिए किसान को अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान राशि सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, महिला और अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक यूनिट की लागत 5 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर है तो उस पर भी निर्धारित 40 और 60 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। उन्होंने बताया कि लवणीय भूमि जल में मत्स्य पालन के लिए नये तालाबों और टैंकों के निर्माण पर प्रति हैक्टेयर 7 लाख रुपये खर्च होते हैं, इस पर भी किसान को निर्धारित अनुदान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जा रहा है। रि-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के तहत एक यूनिट लगाने के लिए 50 लाख रुपये का खर्च आता है और लवणीय भूमि में झिंग्गा पालन के लिए यूनिट की लागत 10 लाख रुपये है, तो ऐेसी योजना पर भी सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत और महिला तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है।
उपायुक्त ने बताया कि तालाबों के प्रथम वर्ष के पट्टा राशि पर 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में दिया जाता है जो 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर से कम और 2 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर से ज्यादा न हो। खाद, खुराक पर भी 1 लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य पालकों को प्रति दिन 100 रुपये प्रशिक्षण के लिए भी दिए जाते है। जाल खरीदने के लिए अधिकतम 15 हजार रुपये पर 50 प्रतिशत की दर से 7500 रुपये दिया जाता है। जिस गांव में अनुसूचित जाति की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है, उन गांवों में तालाबों के सुधार के लिए पंचायत के लिए 2 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर वित्तीय सहायता दी जाती है।
उपायुक्त ने किसानों से अपील की है कि वे कृषि के साथ-साथ उससे जुड़े हुए दूसरे काम धंधों को कर अपनी आजीविका को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में किसान मत्स्य पालन कर सकते हैं और विभाग द्वारा लागू की गई योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि के अलावा किसान स्वयं बैंक द्वारा भी ऋण लेकर काम शुरू कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इच्छुक किसान हरियाणा सरकार के सरल पोर्टल पर अथवा जिला मत्स्य अधिकारी सिरसा के कार्यालय में संपर्क कर योजना बारे जानकारी लेकर लाभ उठाए।
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