दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से मेला ग्राउंड, शालीमार माल के पास, सेक्टर-5 पंचकूला में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया गया।
21-09-2019
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से मेला ग्राउंड, शालीमार माल के पास, सेक्टर-5 पंचकूला में 15 से 21 सितम्बर तक सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसका समय प्रतिदिन सांय 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक है। षष्टम दिवस यजमान के रूप विधिवत पूजन गणेश पेपर्स से सुभाष मित्तल उनकी धर्मपत्नी सरिता मित्तल, बजरंग लाल गोयल उनके पुत्र संदीप गोयल उनकी पुत्रवधू अंशुमन गोयल, डी एस सैनी उनकी धर्मपत्नी सत्या सैनी उनकी बेटी पूनम सैनी, करतार सिंह उनकी धर्मपत्नी राजिंदर कौर द्वारा किया गया। षष्ठम दिवस कथा का शुभारंभ गुरजीत राणा एमएलए कपूरथला पंजाब, गुरमीत सिंह, विक्रम खंडेलवाल एबीवीपी संगठन मंत्री, उपिंदर कौर अहलूवालिया पूर्व मेयर पंचकूला, अजय शुक्ला प्रधान संपादक आईटीवी नेटवर्क्स, संजय पांडे स्थानीय संपादक अमर उजाला, प्रवीण पांडे बयूरो चीफ पंजाब एवं हरियाणा अमर उजाला, आज समाज से हरनेश अग्निहोत्री जी ने प्रभु की पावन ज्योति को प्रज्वलित कर के किया।
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्य साध्वी कालिंदी भारती जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत महापुराण पुराणों में श्रेष्ठ है। वह उस दर्पण की तरह है जो मनुष्य को उसकी आंतरिक सुंदरता का बोध करवाता है। इन्हीं भावों को साध्वी जी ने मथुरा गमन प्रसंग के द्वारा समझाया। जब संशयग्रस्त अकरूर जी श्रीकृष्ण और बलराम जी को रथ पर बैठाकर मथुरा की ओर बढ़ रहे थे, तब मार्ग में वे नदी में स्नान करने के लिए रुके। उन्होंने नदी में स्नान करते हुए प्रभु की दिव्यता का दर्शन किया और मन के सभी संशयों से मुक्ति को प्राप्त किया। लोग यह समझते हैं कि उनको नदी में ही श्रीकृष्ण व बलराम जी का दर्शन हो गया। परंतु ऐसा नहीं है। भागवत महापुराण समाधि की उत्कृष्टतम अवस्था में लिखा गया ग्रंथ है फिर एक साधारण मानव इनमें छिपे गूढ़ अर्थ को अपनी साधारण सी बुद्धि से कैसे समझ सकता है? वास्तविकता में अ1रूर जी ने ध्यान की नदी में उतरकर प्रभु का दर्शन किया था। आधाुनिक समाज में कोई बल्ब पर दृष्टि एकाग्र करने को ध्यान कहता है तो कोई मोमबती पर। कोई मन को कल्पना के द्वारा किसी सुंदर स्थान पर ले जाने को ध्यान की प्रक्रिया समझ रहा है तो कोई बाहरी नेत्रें को मूँद कर बैठ जाने को ध्यान कहता है। श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं- उपास्य के बिना उपासना कैसी! साध्य के बिना साधना कैसी! ध्यान दो शब्दों का जोड़ है- ध्येय ध्याता। ध्याता हम हैं जो ध्यान करना चाहते हैं लेकिन हमारे पास ध्येय नहीं है जो स्वयं ईश्वर है। इसलिए सबसे पहले ध्येय की प्राप्ति करनी होगी। उस ईश्वर, ध्येय को प्राप्त करने का केवल एक ही माध्यम है। जिसके बारे में यक्ष ने भी युधिष्ठिर से प्रश्न किया- क: पन्था:? युधिष्ठिर ने कहा-तर्कोप्रतिष्ठ: श्रुतयोविभिपा: नेकोट्टषिर्यस्य वच: प्रमाण धर्मस्य तत्तवं निहितं गुहायां महाजनो येन गत: स पन्था:।। अर्थात् महापुरुषों के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना होगा यानि उस ध्येय की प्राप्ति के लिए हमें भी किसी ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु की शरण में जाना होगा। अंत में साध्वी जी ने ‘कंस वध’ प्रसंग का उल्लेख किया। प्रभु की पावन आरती में नरिंदर बिष्ट डायरेक्टर टीडीएस ग्रुप्स सपरिवार, बंसल ग्राफिक्स चंडीगढ़ से संजीव बंसल, महिला संकीर्तन मण्डल रघुनाथ मन्दिर सेक्टर 15 से पंचकूला के सभी सदस्य, राधा माधव मन्दिर सेक्टर 4 के सभी सदस्य, प्रेम मन्दिर सेक्टर 4 पंचकूला के सभी सदस्य, राम मंदिर हरिपुर के सभी सदस्य विशेष रूप से समिलित हुए। अंत में आये हुए सभी श्रदालुओं में छप्पन भोग के प्रसाद का वितरण किया गया। जिसकी सेवा रिवरडेल अपार्टमेंट्स के डायरेक्टर विजय गर्ग जी के परिवार द्वारा की गयी।
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