IGNOU extends date for submission of exam form for December 2025 Term-End Examination

केरला स्टोरी के बाद मैंने पुलिस प्रोटेक्शन लेने से मना कर दिया-विपुल शाह

-भारत में रहते हुए मैं खुल कर बोलूंगा,लेकिन प्रोटेक्शन नहीं लूंगा

For Detailed

पंचकूला,25 फरवरी: प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक विपुल शाह ने कहा कि उनकी द केरला स्टोरी उनकी फिल्म नहीं जिम्मेदारी थी। अगर इसे नहीं बनाता पूरी जिंदगी अफसोस रहता। इस फिल्म की जरूरत थी कि वह बने ही।
   विपुल शाह रविवार को तीन दिवसीय अखिल भारतीय पांचवें चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के समापन अवसर के दौरान मास्टर कलास में संबोधित कर रहे थे।
    उन्होंने कहा कि जब मैंने केरला स्टोरी बनाना तय किया,तो मैंने अपनी पत्नी से कहा कि यह फिल्म बनाने के बाद हमारी जिंदगी बदल जाएगी।हो सकता है कि उसके बाद पूरा जीवन पुलिस प्रोटेक्शन में रहना पड़े या बालीवुड हमें ब्लैकलिस्ट कर दे। मेरी पत्नी ने कहा कि आप यह फिल्म बनाओ। हमने पुलिस प्रोटेक्शन लेने से मना कर दिया,क्योंकि यह मेरा देश है। भारत में रहते हुए मैं खुल कर बोलूंगा और खुलकर जीवन व्यक्ति करुंगा,लेकिन प्रोटेक्शन नहीं लूंगा।


    विपुल शाह ने एक फिल्म निर्देशक की विशेषताओं को मास्टर क्लास में रेखांकित करते हुए कहा कि अगर उसमें संवेदना है और वह उसे महसूस करता है,तभी वह अच्छा निर्देशक हो सकता है। फिल्म के लेखक सुदीप्तो सेन की कहानी सुन कर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे और मैंने उसी समय यह फिल्म बनाना तय किया था।अगर किसी कहानी को सुनते हुए,उसका कोई अंश आपके दिल को छू जाए तो उसे जरूर बनाना चाहिए। अगर फिल्म की कहानी को सोचने के लिए कुछ समय मांगना पड़े तो फिर फिल्म को नहीं बनाना चाहिए। एक निर्देशक सन्यासी जैसा होता है। फिल्म को बनाते हुए हम पूरी दुनिया से कट जाते हैं। कोई भी फिल्म उसके निर्देशक के विजन से ही बनती है। यह पूरी तरह निर्देशक का ही मीडियम है।
    यह पूछे जाने पर पर कि हालीवुड की फिल्में कमाई का एक हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर जाती है,लेकिन हमारी फिल्में यह नहीं कर पाती ? इस सवाल के उत्तर में विपुल शाह ने कहा कि हालीवुड की फिल्में एक साथ 50 हजार थिएटरों में रिलीज होती है,जबकि हमारी फिल्में पांच हजार थिएटरों में रिलीज होती है। जिस दिन हमारी फिल्में एक साथ 50 हजार थिएटरों में रिलीज होने लगेंगी,तो हम कमाई में हालीवुड को काफी पीछे छोड़ देंगें।
     ओ माई गाड टू के लेखक और निर्देशक अमित राय ने इस अवसर पर कहा कि अगर कोई निर्देशक अच्छा है तो इसका अर्थ है कि चीजों को देखने का तरीका अलग होगा। कोई भी कहानी खुद निर्देशक को खोज लेती है,निर्देशक उसे नहीं ढूंडता।
   हरियाणवी फिल्म लेखक तथा निर्देशक हरिओम कौशिक ने भी मास्टर क्लास में जिज्ञासा को शांत किया। प्रसिद्ध फिल्मकार अमिताभ वर्मा ने कहा कि कला भी समाज का दर्पण होती है। अब फिल्मों में एक बदलाव आया है। बड़े सितारे भी राम और रामत्व की भूमिकाओं में आ रहे हैं।

https://propertyliquid.com