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गैर-बासमती धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल व पराली प्रबंधन पर 1000 रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे : मुख्य सचिव

सिरसा, 11 नवंबर।


              सरकार द्वारा लघु व सीमांत किसानों को गैर-बासमती धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस तथा उपकरणों के माध्यम से पराली प्रबंधन करने पर 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। सभी जिलों में स्ट्रा बेलर भिजवाए गए हैं जिनकी मदद से किसान अपने खेत में पराली प्रबंधन कर सकते हैं। इसके बावजूद यदि कोई किसान खेतों में पराली को आग लगाता है तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाए और उस पर जुर्माना लगाया जाए।

हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से की पराली प्रबंधन कार्य की समीक्षा


                  यह निर्देश हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों के अधिकारियों के साथ आयोजित पराली प्रबंधन योजना की समीक्षा के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार प्रदेश में पराली जलाने की एक भी घटना न होने दी जाए और यदि कहीं चोरी-छिपे आग लगाई जाती है तो उसके लिए जिम्मेदार किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इस मामले में कोई ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


                  मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करने की दिशा में सरकार ने गैर बासमती धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस देने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि 6 से 15 नवंबर के बीच मंडियों में गैर बासमती धान बेचने वाले किसानों को इस योजना का मेरी फसल-मेरा ब्यौरा के अंतर्गत लाभ मिलेगा। इसके साथ ही अपनी पराली का जलाने की बजाय उपकरणों की मदद से प्रबंधन करने वाले लघु व सीमांत किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके लिए किसान को एक फार्म के माध्यम से अंडरटेकिंग देनी होगी कि उसने अपनी पराली का प्रबंधन उपकरणों की मदद से किया है। इस फार्म पर सरपंच के भी हस्ताक्षर होंगे।


                  उन्होंने बताया कि किसान द्वारा दी गई अंडरटेकिंग को वेरीफाई करने के लिए प्रत्येक गांव में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यदि किसी किसान ने अपने खेत में पराली को आग लगाई है तो उसे किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पात्र किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित सभी लाभ प्राथमिकता के आधार पर प्रदान करें। उन्होंने जरूरत के अनुसार जिलों में स्ट्रा बेलर्स की संख्या में बढ़ोतरी करने को भी कहा। उन्होंने सभी उपायुक्तों को पराली प्रबंधन कार्य की प्रतिदिन आधार पर समीक्षा करके उन्हें रिपोर्ट भिजवाने को कहा।

पराली जलाने की प्रत्येक घटना पर कड़ा संज्ञान लेने व एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए


मुख्य सचिव ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों में पराली के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के संबंध में जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक को नोडल अधिकारी बनाया गया है जो इस संबंध में सभी संभावनाएं तलाश करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कई जिलों में स्ट्रा-पेपर मिल्स, ऊर्जा उत्पादक इकाइयों व बायो-फ्यूल्स यूनिट्स में पराली का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को पराली के इस्तेमाल के और अधिक विकल्प तलाशने के संबंध में भी विशेष दिशा-निर्देश दिए।


                  उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने वीडियो कॉफ्रेंस के दौरान सिरसा जिला में पराली प्रबंधन की दिशा में किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला में 5 नवम्बर तक एक लाख एक हजार मीट्रिक टन गैर बासमती धान की खरीद की जा चुकी है। जिला में पराली जलाने वाले 31 व्यक्तियों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। जिला में पराली आगजनी की घटनाएं न हो इसके लिए अधिकारियों, कर्मचारियों, सरपंच व नंबरदार के माध्यम से कड़ी नजर रखी जा रही है। किसानों को समझाने व जागरूक करने के बावजूद जो किसान पराली में आग लगा रहे हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है और उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है।


                  वीडियो कॉफ्रेंस कक्ष में एसडीएम कालांवाली निर्मल नागर, एसडीएम ऐलनाबाद संयम गर्ग, एसडीएम सिरसा जयवीर यादव, जिला राजस्व अधिकारी राजेंद्र कुमार, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक अशोक बंसल, उप निदेशक कृषि डा. बाबूलाल, सहायक कृषि अभियंता जसविंद्र सिंह चौहान, क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर सुखदेव, सचिव मार्केट कमेटी मौजूद थे।

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