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आज नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे, कई नए चेहरे सरकार में शामिल

बिहार : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। विस्तार के लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं।

इस विस्तार में जदयू कोटे से छह से सात लोगों को सरकार में शामिल किया जाएगा।

विस्तार में भाजपा के किसी सदस्य को मौका नहीं मिलेगा। हालांकि जदयू का इस पर कहना है कि भाजपा कोटे के मंत्री पहले ही बनाए जा चुके हैं और हाल में जो पद खाली हुए हैं, वे सभी जदयू कोटे के हैं।

हालांकि मोदी सरकार में जदयू के शामिल नहीं होने से उपजी परिस्थिति में यह विस्तार राज्य की राजनीति को गरमा सकता है। 

नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में सुबह 11.30 बजे होगा। सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात कर विस्तार पर बात की।

मंत्रिमंडल विस्तार में अशोक चौधरी, नीरज कुमार, लक्ष्मेश्वर राय, श्याम रजक, बीमा भारती, संजय झा, नरेंद्र नारायण यादव को जगह मिलना तय है। 

इस विस्तार के जरिए नीतीश पिछड़ों और अति पिछड़ों मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत रखने का सियासी संदेश देना चाह रहे हैं।

राज्य में 50 फीसदी से अधिक पिछड़ा और अति पिछड़ों का वोट है। राज्य में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

जदयू का कहना है कि पार्टी अगले एक साल संगठन पर पूरा फोकस करेगी और पिछड़े समाज के लिए लंबित कामों को पूरा करने की कोशिश करेगी।

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लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जाति के नाम पर राजनीति का जोड़-तोड़ शुरू

बिहार: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जाति के नाम पर राजनीति का जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। तमाम दल जातियों के नाम पर मतदाताओं को अपने पाले में करने में जुट गए हैं। खास तौर पर ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए होड़ मच गई है। इसे लेकर जनसभाओं, रैलियों और अभियानों का सिलसिला तेज हो गया है। 2019 आम चुनाव के मद्देनजर हर पार्टी जाति के नाम पर दांव खेलकर मतदाताओं को लुभाना चाहती है। 

भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों पक्ष पिछड़े वर्ग के वोटर्स को अपनी तरफ करने में जुटे हैं। इसी के मद्देनजर जनसभाओं, रैलियों का आयोजन का दौर तेज हो रहा है। भाजपा 15 फरवरी को ही पटना में ओबीसी मोर्चा की दो दिवसीय जनसभा कर चुकी है। हालांकि पुलवामा हमले के मद्देनजर इसे रद्द कर दिया गया है। 

वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के नेता, लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव राज्य में बेरोजगारी हटाओ, आरक्षण बढ़ाओ अभियान के तहत प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। उनका जोर इस बात पर है कि पिछड़ों के लिए आरक्षण और बढ़ाया जाए और इसी मुद्दे के सहारे वह आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा दांव खेलना चाहते हैं। 

केंद्र सरकार की ओर से सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के फैसले के बाद तेजस्वी ने आरक्षण बढ़ाओ अभियान के तहत मंडल राजनीति का दांव खेलकर लोकसभा चुनाव में बड़ी बाजी जीतना चाहते हैं। उनका जोर है कि आबादी के हिसाब से आरक्षण दिया जाए। न सिर्फ निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू हो बल्कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, ईबीसी को उनकी जाति में संख्या के हिसाब से आरक्षण मिले। 

जनता दल (युनाइटेड) पहले ही पूरे राज्य में अपने ‘अति पिछड़ा प्रकोष्ठ’ का जिलास्तरीय सम्मेलन आयोजित कर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश कर चुकी है. माना भी जाता है कि जिस प्रकार यादव मतदाताओं पर राजद की पकड़ है, वैसे ही कई चुनावों में जद (यू) अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अत्यंत पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे हैं.

जनता दल (यू) भी जातीय राजनीति की कवायद में जुटी है। पार्टी पहले ही पूरे राज्य में अति पिछड़ा प्रकोष्ठ का जिलास्तरीय सम्मेलन आयोजित कर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर चुकी है। सीएम नीतीश कुमार का अति पिछड़ा वर्ग पर खासा प्रभाव भी माना जाता है।